ब्रिटेन में साल की शुरुआत रेल कर्मचारियों की हड़ताल हुई थी। लेकिन जैसे जैसे मंदी बढ़ रही है, हड़तालें भीं बढ़ गई हैं।रेल सेवाओं और रॉयल मेल डिलीवरी से लेकर NHS नर्सों, एंबुलेंस चालकों और शिक्षकों तक सब ने हड़ताल पर जाने की योजना बनायी है।बढ़ती महंगाई के बीच वेतन वृद्धि और काम करने की स्थिति में सुधार की मांग को लेकर पिछले साल दिसम्बर में कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर हड़तालें आयोजित की थीं। अब जानते हैं काम करने की समय अवधि किस प्रकार से  कामकाजी लोगों के जीवन पर असर डालती है .. आईएलओ की रिपोर्ट के अनुसार कामकाजी लोगों के लिए कम काम के घंटे और अधिक फ्लेक्स वर्क बेहतर कार्य-जीवन संतुलन को बढ़ावा दे सकते हैं।अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने वर्किंग टाइम एंड वर्क-लाइफ बैलेंस अराउंड द वर्ल्ड (Working time and Work-life Balance around the World) शीर्षक से 171 पन्नों की एक रिपोर्ट जारी की है।यह रिपोर्ट एक ऐसी पृष्ठभूमि में आई है जब ILO के सर्वेक्षण के अनुसार, समस्त श्रमिकों में एक तिहाई से अधिक नियमित रूप से प्रति सप्ताह 48 घंटे  या प्रतिदिन 8 घंटे से अधिक से अधिक काम कर रहे हैं, जबकि वैश्विक कार्यबल का पाँचवे हिस्से को प्रति सप्ताह 35 घंटे से कम समय अनिश्चित रूप से  काम करना होता है।