दिल्ली एनसीआर के उद्योग विहार से नन्द किशोर की बातचीत श्रमिक वाणी के माध्यम से श्रमिक धर्मेंद्र से हुई। धर्मेंद्र कहते है कि सैलरी पर काम करने पर कंपनी से श्रमिकों के ऊपर दबाव रहता है। ज़्यादा से ज़्यादा कंपनी को समय देना पड़ता है। काम ख़त्म हो जाने पर भी कंपनी पर बैठना पड़ता है। वहीं पीस रेट में काम रहने पर ही काम करते है और नहीं रहने पर वो अपने अनुसार रहते है। काम अनुसार पीस रेट में काम करना अच्छा है। सैलरी और पीस रेट में ज़्यादा फर्क नहीं है केवल एक दो हज़ार की घटी बढ़ी रहती है। सैलरी में काम करने पर बंधन है। पीस रेट और सैलरी में दोनों तरफ़ से एडवांस में पैसा मिल जाता है साथ ही दोनों काम सुरक्षित है । कंपनी में सैलरी में काम करना अच्छा है। पीस रेट में ठेकेदारी को लेकर डर रहता है वहीं कंपनी में ऐसा डर नहीं रहता और कंपनी का काम ठेकेदार के माध्यम से भी सुरक्षित है। धर्मेंद्र पीस रेट पर काम करते हो तो इनका पीएफ व ईएसआई की सुविधा मिलती है