कोरोना की दूसरी लहर ने मजदूरों को फिर से किया मजबूर पर आधारित हमारे श्रमिक साथियों की राय-प्रतिक्रिया लेकर। साथियों जैसा कि हम सभी जानते है कि कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है और साथ ही आंकड़े बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर की वजह से भारत में एक करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हो गए. साथियों,साझा मंच पर कई श्रोताओं का कहना है कि बेरोजगार हुए मजदूरों को नई नौकरियों की तलाश करने में काफी परेशानी हो रही है और साथ ही आइये सुनते हैं व्यवसाय क्षेत्र में लोगो का क्या कहना है .. वही मंजर एक बार फिर से देखने मिल रहा है। मजदूर फिर से पलायन करने को मजबूर है। सरकार है कि दावे तो बहुत करती है लेकिन आर्थिक मदद सिर्फ कागजों पर ही दिखता है। लॉकडाउन ने तो मजदूरों की कमर ही तोड़ कर रख दिया है। कुछ हालात संभलें ही थे की दूसरी लहर ने आर्थिक परिस्तिथियों को फिर से ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया कि बेबसी का आलम फिर से है। दावे तो सरकार द्वारा बराबर किए जाते हैं कि मजदूरों के साथ सरकार खड़ी है लेकिन असलियत कुछ और होता है। ऐसे में सवाल जरूर उठता है कि आखिरकार कोरोना के इस आपातकाल में कौन लेगा मजदूरों की सुध?साथियों अगर आप इस पर अपनी बात रखना चाहते है और अगर आपको हमारी आज की पेशकश अच्छी लगी हो तो अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर अपनी बात ज़रूर रिकॉर्ड करें।