दिल्ली एनसीआर के नोयडा से कांता प्रसाद ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि जो श्रम कानून में बदलाव सरकार ने किया है ,उसे धीरे धीरे लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। इस पर लोगों की मिली जुली प्रक्रिया आ रही है। किसी का कहना है कि स्वयं सेवी संगठन का इस कानून से कोई लाभ नहीं है इसलिए वो मुखालफत कर रहे है। सरकार जो भी क़ानून लाती है सभी से सलाह मशवरा कर लाती है। और सरकार कोई न कोई मज़दूरों के लिए कानून ला तो रही है परन्तु इसका धरातल पर असर देखने को नहीं मिल रहा है। वहीं स्वयं सेवी संगठन यदि मज़दूरों के हित में कार्य करते है तो उन्हें सरकार के पास मज़दूरों का अहम मुद्दा उठाना चाहिए। कहा जाता है कि मज़दूर संगठन से जुड़े पर जब यूनियन ही भ्रष्ट हो ,तो मज़दूर किस पर भरोसा किया जाए। सभी जगह मज़दूरों का शोषण होता है। जब तक सरकार कोई ठोस कानून नहीं बनाएगी ,तब तक श्रमिकों का शोषण होता रहेगा