ये रहमत अली, तिरपुर, सिडको, मेन गेट से बता रहे हैं कि इनकी सारी जमा-पूँजी लॉक डाउन में खाने-पीने में ख़त्म हो गयी है। सरकार को इनकी कोई चिंता नहीं है, न ही सरकार ज़मीनी-हक़ीक़त देखना चाहती है। दूसरी तरफ़ सरकार काम के घंटों को आठ घंटे से बढ़ाकर बारह घंटे करके मज़दूरों के पेट पर लात मार रही है। ये साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से सरकार से इस समस्या की तरफ़ ध्यान देने का निवेदन कर रहे हैं।