मोबाइल वाणी के साझा मंच पर गिरिडीह, झारखंड से सर्वेश तिवारी बताते हैं कि झारखंड के हजारीबाग जिले में बड़कागांव प्रखंड अंतर्गत बिरहोर जनजाति के लोग अब गांव छोड़कर बाहर दूसरे राज्य नहीं जाना चाहते। इन लोगों का साफ कहना है कि अब कभी कमाने के लिए झारखंड छोड़ बाहर नहीं जाएंगे, गांव में ही रहेंगे और खेती बाड़ी करेंगे। उन लोगों ने ऐसी कसम खा ली है कि अब वह गांव में ही रहेंगे। प्रखंड के कारण पंचायत स्थित सदा भैया एवं कला पंचायत के तार टा ड में बिरहोर जनजाति के लोगों के समक्ष कोरो ना वायरस संक्रमण पर रोकथाम के कारण लगी लॉक डाउन से इनके समक्ष इनकी स्थिति यह है।उन्होंने बताया कि जनवितरण प्रणाली के दुकानों से जो खाद्यान्न में चावल मिल रहे हैं, उसी से वह चावल को उबालकर माड भात बनाकर खा कर गुजारा कर रहे हैं। इस गांव के बिरहोर घूम घूम कर अपने लिए भोजन और पानी जुटाते हैं।सदा बहिया में बिरहोर के 45 घर है।जहां इनकी आबादी लगभग 290 है।टोला में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 30 से 35 है। स्कूल अभी बंद है।उनके पास स्मार्टफोन नहीं है।ऐसे में बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। गांव में दो चापानल है।जिसमें से एक खराब है।दो कुएं है।लेकिन स्थिति उसकी जर्जर है।पानी पीने का एकमात्र साधन एक पानी टंकी है।जो सौर ऊर्जा से संचालित है। बैटरी खत्म होने पर पेयजल आपूर्ति नहीं हो पाती है।