दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा गाँव से हमारे संवाददाता रफ़ी ने हरीश पति जी के साथ बातचीत की जो एक श्रमिक थे और आज भी श्रमिकों की लड़ाई के लिए खड़े हुए हैं।साझा मंच के माध्यम से हरीश जी ने बताया, कि वे नरेले में रहते हैं और हरियाण स्थित एक कम्पनी में कार्यरत थे। जंहा हैंडटूल यानी पलास,पेचकस,हथौड़ा आदि चीजे बनाई जाती है। कम्पनी द्वारा मजदूरों को 17 महीने का वेतन नहीं दिया गया। मजबूरन मजदुर अपनी मेहनत की कमाई लेने के लिए कोर्ट में भी गुहार लगाई परन्तु अबतक कोई न्याय नहीं मिला। सरकार की गलत नियतियों के कारण आज मजदूरों को दर-दर की ठोकर खाना पड़ रहा है। अपनी मांग को लेकर आज सभी मजदुर धरना पारदर्श में उतने पर मजबूर हो गए हैं। कानून द्वारा यह बात कही जाती है कि देश में बाल मजदूरी करना मना है, परन्तु कई ऐसे फैक्ट्री हैं जहां अभी कितने बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं।इस पर प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रही है।