एड्स इस नाम से हम सभी भली भांति परिचित हैं इसका पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम ' यह एक तरह का वायरस है जिसे एचआईवी के नाम से भी जाना जाता है।यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन आज भी लोगों में एड्स को लेकर सतर्कता नहीं है।साथ ही इसे समाज में भेदभाव की भावना से देखा जाता है। एड्स के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। दोस्तों , हम सभी को एड्स को लेकर सतर्क रहना है ,साथ ही लोगों में सर्तकता लाने की भी ज़रुरत है।साथियों, एड्स का उपचार भेदभाव नहीं बल्कि प्यार है। आइये हम सभी मिलकर विश्व एड्स दिवस मनाए और लोगों में एड्स के प्रति अलख जगाए। सतर्क रहें,सुरक्षित रहें
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दिल्ली एनसीआर के मानेसर से शंकर पाल ,श्रमिक वाणी के माध्यम से बताती है कि 1 दिसम्बर को एड्स दिवस मनाया जा रहा है
हरियाणा राज्य के झज्जर ज़िला के बहादुरगढ़ से अनुभव ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि एड्स के प्रति लोगों में जागरूकता बहुत जरूरी है। एड्स से बचने का बेहतरीन तरीका जागरूकता ही है। ऑडियो पर क्लिक कर सुनें पूरी जानकारी..
उत्तरप्रदेश राज्य के मथुरा ज़िला से विष्णु पटेल ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि आज एड्स दिवस है।
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दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा गाँव से हमारे संवाददाता रफ़ी ने हरीश पति जी के साथ बातचीत की जो एक श्रमिक थे और आज भी श्रमिकों की लड़ाई के लिए खड़े हुए हैं।साझा मंच के माध्यम से हरीश जी ने बताया, कि वे नरेले में रहते हैं और हरियाण स्थित एक कम्पनी में कार्यरत थे। जंहा हैंडटूल यानी पलास,पेचकस,हथौड़ा आदि चीजे बनाई जाती है। कम्पनी द्वारा मजदूरों को 17 महीने का वेतन नहीं दिया गया। मजबूरन मजदुर अपनी मेहनत की कमाई लेने के लिए कोर्ट में भी गुहार लगाई परन्तु अबतक कोई न्याय नहीं मिला। सरकार की गलत नियतियों के कारण आज मजदूरों को दर-दर की ठोकर खाना पड़ रहा है। अपनी मांग को लेकर आज सभी मजदुर धरना पारदर्श में उतने पर मजबूर हो गए हैं। कानून द्वारा यह बात कही जाती है कि देश में बाल मजदूरी करना मना है, परन्तु कई ऐसे फैक्ट्री हैं जहां अभी कितने बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं।इस पर प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रही है।