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जनता की रिपोर्ट प्रोमो-आजादी के आंदोलन में भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की दुर्दशा
हमारा देश ग़ुलामी की जंजीरों से सन 1947 में आज़ाद हुआ.यह आजादी लाखों लोगों के त्याग और बलिदान के कारण संभव हो पाई. अपने परिवार, घर-बार और दुःख-सुख को भूल, देश के कई महान सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी ताकि आने वाली पीढ़ी स्वतंत्र भारत में चैन की सांस ले सके. इन वीरों को आज 'स्वतंत्रता सेनानी' के नाम से जाना जाता है।इस त्याग और बलिदान में कही ना कही स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों का भी सहयोग रहा है जिनकी दुर्दशा आज किसी से छिपी हुई नहीं है।क्या आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों के परिवारों के प्रति सरकार अपना कर्तव्य निभा रही है...? सेनानियों के परिवारों को सरकार मुआवजे और नौकरी देने का ऐलान तो करती है पर क्या वास्तव में उन्हें मुआवजे और नौकरी दी जाती है..? या केवल कार्यालयों का ही चक्कर कटवाती है...? सरकारी योजनाओं के तहत सरकार सेनानियों के परिवारों के लिए क्या-क्या योजना निकालती है...? और उन योजनाओं का कितना प्रतिशत लाभ उनके परिवारों को मिलता है...?