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कहीं लोग बेरोज़गारी के कारण तो कहीं मौसम के बदलाव के कारण भी एक स्थान से दूसरे स्थान स्थान में पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं।और बेरोज़गारी की मार से मज़दूरों को कई ऐसे क्षेत्रों में काम करना पड़ता है ,जहाँ काम करने के दौरान ही दुर्घटना में उनकी मौत भी हो जाती है।लोगों के पलायन करने का मुख्य वजह क्या-क्या है...? आपके क्षेत्र में मृतक के परिजनों को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है...? और सरकार द्वारा उन्हें किस तरह की आर्थिक सहायता दी जाती है...? क्या पलायन किये मृत मज़दूरों के हित में मज़दूर संगठन अपनी भूमिका अच्छे से निभा रही है...? झारखण्ड में पलायन से होने वाली लोगों की मौत के पीछे कौन कौन से लोग और कारण जिम्मेवार है...?

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जिला धनबाद तोपचांची से खीरु महतो जो मोबाइल वाणी के माध्यम से जितिया पर्व पर आधारित एक गीत प्रस्तुत कर रहे हैं

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जिला बोकारो,प्रखंड पेटरवार से सुषमा कुमारी जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि पिछले दिन के न्यूज में आप सभी यह देखें होंगे कि एक पिता अपने मृत बच्चे का शव पीठ पर बांध कर अस्पताल से अपने घर ले जा रहें हैं। इससे यह साफ पता चलता है कि हमारे राज्य को सुधार करने में अब भी काफी समय लगेगा।यह स्थिति सरकारी अस्पतालों में लोगो को हो रही परेशानियों को साफ दर्शाता है।यह हमारे राज्य का तीसरा और शर्मसार घटना है।आखिर क्यों सरकार कोई घटना होने के बाद ही जाँच करती है, इससे पहले सरकार क्यों शांत बैठी रहती है? क्यों अस्पतालों में दवाईयों की कमी हो जाती है?जबकि सरकार द्वारा पहले से ही अस्पताल में दवाइयां उपलब्ध करा दी जाती है। ताकि मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो सके।लेकिन सरकारी अस्पतालों की दवाइयों को महज कुछ पैसों के लिए डॉक्टर द्वारा अन्य अस्पताल में बेच दिया जाता है। और मरीजों के लिए परिजनों को दवाइयां बाहर से खरीदने को कहा जाता है।दवा खरीदने के लिए परिजनों के पास पैसे नहीं होने के कारण उन्हें ऐसे दिन देखना पड़ जाता है।अतः सरकार को सरकारी अस्पतालों की जाँच करनी चाहिए ताकि किसी भी मरीज की मृत्यु दवा के अभाव में ना हो सके।

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