Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

जिला बोकारो से ज्ञानेद्र कुमार झारखण्ड मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि महिलाओ पर बढ़ते अत्याचार के मामले में हमारे में समाज में कितने भी कदम उठाया जाए पर वो कम है।

जिला बोकारो से ज्ञानेंद्र कुमार झारखण्ड मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि बोकारो की अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव का कहना है की घरेलु हिंसा के बारे में बहुत सी महिला को कुछ पता नहीं है,घरेलु हिंसा अधिनियम का निर्माण 2005 में किया गया,26 अक्तूबर 2006 को इसे लागु किया गया,ये अधिनियम महिला बाल विकाश द्वारा भी संचालित किया जाता है यह कानून ऐसी महिलाओ के लिए है जो कुटम्ब के भीतर होने वाली हिंसा से पीड़ित करने,अपशब्द कहने,किसी भी प्रकार से मार पिट करना आदि शामिल है,इसमें जो भी लोग पड़ताड़ीत हैं उसे शामिल किया जाता है,घरेलु हिंसा कर रहे अपराधियो को 3 साल की सजा दी जा सकती है,शारीरिक पड़ताडना से ज्यादा मानशिक पड़ताड़ना की जाती है महिलाओ के साथ इसके खिलाफ महिलाए आवाज उठा सकती हैं।

जिला बोकारो से ज्ञानेंद्र कुमार झारखण्ड मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि उन्होने बोकारो स्म्हारालय की अधिवक्ता मनोरमा सिंह से महिला हिंसा पर बात की तो उन्होने बताया की हर व्यक्ति जन्म से ही कुछ अधिकार ले कर आता है चाहे वो जीने का अधिकार हो या विकाश के लिए अव्षर प्राप्त करने का अधिकार हो,मगर इस पुरुष प्रधान समाज में महिलाओ के साथ लैंगिक भेद भाव करने से महिलाए इन अधिकारो से वंचित रह जाती हैं इसी वजह से महिलाओ के अधिकारो को सुनिश्चित करने हेतु हमारे समाज में अलग-अलग से कानून भी बने गए हैं जो की महिलाओ को जिंदगी जिने में ये कानून भरपूर मदद कर रहे हैं,इसके लिए इसमें संशोधन भी किए गए हैं,लेकिन महिलाए इस कानून का उपयोग नहीं कर पाती इस सामाज में महिलाओ को पता भी नहीं होता है की हिंसा से बचाव के लिए कोई कानून भी है।

बोकारो: ज्ञानेद्र कुमार सिंह झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही लड़ना होगा साथ ही महिलाओं के प्रति समाज की नज़रियाँ को बदलना होगा और सरकार को महिलाओं के लिए सुरक्षा प्रदान करना होगा।