झारखंड राज्य के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड से सुमंत कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि झारखण्ड में सब्जी उत्पादन की संभावना अधिक है। क्योंकि झारखंड की भूमि खेती करने योग है। और यहाँ की जमीन भी काफी उपजाऊ है। उसी प्रकार नावाडीह प्रखंड के दर्जनों गाँवो में सब्जी उत्पादन कर किसान एवम उनके परिवार खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहें हैं। एक किसान भाई जिनका नाम रूपेंद्र कुमार है वे बताते हैं कि किसान भाई समय-समय पर मौसम के अनुसार सब्जी लगाते हैं। और खेतों में बहुफ़सली बीजों का उपयोग करते हैं, जिससे सब्जियों का उत्पादन दोगुनी होती है। साथ ही रूपेंद्र कुमार ने यह भी बताते हैं, कि सब्जी उत्पादन के लिए बेसीक खाद, गोबर एवं गौ मूत्र का उपयोग कर किसान सशख्त और समृद्ध हो सकते हैं। इससे लोगों को ताज़ी और अच्छी सब्जी प्राप्त होगी और रासायनिक खाद में लगने वाले पैसों की भी बचत होगी। किसानों के लिए प्रेरणा बने आज के युवा किसान ने खेती कर पुरे परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। रूपेंद्र कुमार सभी युवा किसानो को यह सलाह देते हैं, कि खेती से बेरोजगारी तो दूर होगी साथ ही हरी भरी सब्जियां भी खाने को मिलेगी। अतः सभी लोग थोड़ी ही खाली पड़ी जमीन में खाने योग्य सब्जी उत्पादन कर सकते हैं।
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.
झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला के नावाडीह प्रखंड से सुमंत कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि चिटफंड कंपनियां आज पुरे भारत में अपना जाल फैला चुकी है। कुछ तो अभी भी जनता को लूटने का काम कर रही है और कुछ बंद हो चुकी है। इन कम्पनियों ने करोड़ों लोगों को लूटा और बरबाद कर दिया है। कई लोगों से जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि हमने अपने जेवर,जानवर,खेत गिरवी में रख कर कंपनियों द्वारा अधिक पैसे देने के लालच में आ कर निवेष किया। लेकिन सभी जमा पूँजी कम्पनियों द्वारा हड़प लिया गया। कम्पनी तरह-तरह के प्रलोभन देकर जनता को अपनी ओर आकर्षित करती है। और पैसे लेकर भाग जाती है। चिटफंड कम्पनियों पर सरकारी तंत्र भी नकेल कसने में नाकामयाब रही है। सरकारी स्तर पर यदि शक्ति से करवाई हो, तभी इन चिटफंड कम्पनियों पर नकेल कसा जा सकता है।
झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के नवाडीह प्रखंड से सुमंत कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि दामोदर नदी घाटी के दायरे के किनारे में कई जिले बसे हुवे हैं। इसके पानी पर लाखों लोगों का जीवन निर्भर है। औधोगिक कारण एवं शहरीकरण में इसे दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में शामिल कर दिया गया। अब दामोदर नदी का किनारा काला रेगिस्तान बनने के कगार पर है।भारत सरकार ने बहुउद्देशीय दामोदर परियोजना की घौषणा की थी। इसकी हकीकत को बया करने के लिए नदी के किनारे बसे बदहाली की दास्तान ही काफी है।दामोदर नदी का पानी अब पीने के लायक नहीं रह गया है।पीने की बात तो दूर, पानी इतना कला और प्रदूषित है कि लोग यहां नहाने से भी कतराते हैं। इस प्रदूषण के जिम्मेदार कलकारख़ाने और खदान है। प्रदूषण का आलम यह है कि नदी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा औसत से काफी कम है। पहले इस नदी की यह मान्यता थी की इस पानी में नहाने मात्र से सभी तरह के चर्म रोग दूर हो जाते थे। परन्तु आज यह जीवनदायनी नदी लोगों के मौत का कारण बनता जा रहा है।
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.
झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला के नावाडीह प्रखंड से जे एम् रंगीला झारखंड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि झारखंड में कुल चौबीस जिले हैं। कुछ जिलों में ही लाह की खेती व्यवसायिक स्तर पर होती है। उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में हज़ारीबाग,रामगढ़, चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, बोकारो, धनबाद आदि जिले पड़ते हैं। पर किसी भी ज़िला में लाह की खेती नहीं होती है। इन जिलों में अधिकांश लाह की खेती के लिए उपयुक्त पलास पेड़ प्रचुर मात्रा में मौजूद है। परन्तु कृषि विभाग ,झारखंड सरकार की उदासीनता की वजह से कही किसान लाह की खेती नहीं करते। झारखंड की राजधानी में लाह अनुसंधान केंद्र स्थापित है। केंद्र के क्रियाकलाप भी सीमित क्षेत्रों में संचालित की जा रही है। यदि लाह अनुसंधान केंद्र का राज्य कृषि विभाग उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल क्षेत्र में अपनी गतिविधियाँ संचालित करे, तो पश्चिमी खेती करने वाले किसानों के बीच जागरूकता के लिए कार्यशाला, खेती करने के तकनीक आदि का प्रचार प्रसार करे तो निस्संदेह उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल क्षेत्रों के किसान इसकी खेती कर अच्छी आमदनी क्र आत्मनिर्भर हो सकते हैं।
झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड से सुमंत कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि गावं से लेकर शहर तक गर्मी शुरू होते ही पानी की किल्लत शुरू हो जाती है।और इसी पानी के लिए लोगो में मारपीट तक हो जाती है। पानी की किल्लत को देखते हुए सरकार द्वारा पानी की पाईप लाइन बिछाई गयी है।इतना ही नहीं इसके लिए बड़े बड़े जलाशयो और जलमीनारो का निर्माण कराया गया है। पर समय पर इन जलमीनारो से पानी कि आपूर्ति नहीं हो पाती है और ना ही इसका कोई ध्यान रखा जाता है। आज बड़े बड़े जलमीनार मात्र शोभा की वस्तु बनकर रह गए है। आम जनता भी अपने स्तर से कोई प्रयास नहीं करना चाहती वे सिर्फ सरकार के ही भरोसे बैठे रहते है। जब पानी की किल्लत शुरू होती है तब लोगो में मारामारी शुरू हो जाती है। जनता को चाहिए कि गर्मी शुरू होने से पूर्व जितने भी नलकूप ख़राब पड़े हुए है उनकी मरम्मत कराये इसके लिए आवेदन दे एवं अपने क्षेत्र में बड़े बड़े जलाशयों का निर्माण कराये जिससे पानी की किल्लत ना हो ,साथ ही लोगो को अपने घरो में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग बनाने की भी जरुरत है, जिससे गर्मियों में पानी की किल्लत से बचा जा सके।
Transcript Unavailable.