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झारखण्ड राज्य के धनबाद ज़िला से बीरबल महतो झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि झारखंड खनिज़ संपदाओं से परिपूर्ण हैं। इसके बावज़ूद शिक्षा क्षेत्र में बदहाली की दुर्दशा के कारण विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते हैं।केरल की तुलना में झारखण्ड संसाधनों से भरा पड़ा हैं परन्तु शिक्षा की दृष्टि में केरल से काफ़ी पीछे हैं। यहाँ देखा जाता हैं कि मैट्रिक उत्तीर्ण न रहने के बावज़ूद भी कई विधायक के पद पर स्थापित हो जाते हैं। शिक्षा के व्यवस्था में सुधार लाने हेतु स्थानीय प्रतिनिधियों द्वारा क्षेत्र में स्कूल,कॉलेज व विश्वविद्यालय स्थापित किया जाना चाहिए जिससे उच्च शिक्षा के लिए युवाओं का पलायन पर रोक लग सके।

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झारखण्ड राज्य के जिला बोकारो प्रखंड नावाडीह से जे.एम.रागीला झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से दिलिप महतो का साक्षात्कार लेते हुए वे कहते है, कि हर माँ बाप का सपना होता है कि उनके बच्चे पढ़ लिख कर डॉक्टर,इंजीनियर या कोई अधिकारी बने। बोकारो एक औद्योगिक जिला है लेकिन इस क्षेत्र में उच्च शिक्षण संस्थान उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण विद्यार्थियो को दूसरे शहर जाना पड़ता है। वे सरकार से आग्रह करते है कि बेरमो, बोकारो क्षेत्र में भी उच्च शिक्षण उपलब्ध कराई जाए।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग ज़िला से राजेश्वर महतो की बातचीत झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से लक्ष्मी कुमारी से हुई। बातचीत के दौरान लक्ष्मी कुमारी ने बताया कि वो बिष्णुगढ़ डिग्री कॉलेज में समाज शास्‍त्र की छात्रा हैं। वो बताती हैं कि कॉलेज का चुनाव करने से पहले यह देखना आवश्यक हैं कि संस्थान भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हो।वो पढ़ लिख कर रांची में जी.डी.ए का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं और प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वो गरीबों व असहाय बुजुर्गों की सेवा करना चाहती हैं। लक्ष्मी कुमारी यह भी बताती हैं कि वो निम्न वर्ग से सम्बन्ध रखती हैं। उनके अनुसार उनके क्षेत्र में ही उच्च शिक्षण संस्थान जैसे मेडिकल कॉलेज,इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ इलेक्ट्रीशियन,पत्रकार ,ब्यूटिशियन आदि का भी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि अभिभावकों को ज़्यादा ख़र्च की चिंता न करना पड़े।लक्ष्मी कुमारी के अनुसार अपने राज्य में ही रह कर उच्च शिक्षा प्राप्त करना ज़्यादा अच्छा हैं।

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अभी भी लाखों भारतीय बच्चे ऐसे स्कूलों में जाते हैं जहां न बिल्डिंग है, न किताबें और न ही अध्यापक। ऐसे भी कहा जाता है कि जिस देश या राज्य कि शिक्षा बदहाल हो जाए , तो उस देश या राज्य की तरक्की रुक जाती है। और यही हाल शायद हमारे राज्य झारखण्ड का भी है , जहाँ सिर्फ 8 फीसदी युवा ही उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज या विवि तक पहुंच पाते हैं। और इसी विषय को लेकर इस बार हमने जनता की रिपोर्ट में बात की झारखण्ड में उच्च शिक्षा की बदहाली की व्यवस्था पर . जिस पर हमारे श्रोताओं ने अपने विचार हमारे साथ साझा किए. तो साथियों आपने सुनी हमारे श्रोताओं की राय. दोस्तों ,राज्य में उच्च शिक्षा की इस तरह की बदहाली पर आप क्या सोचते है ? क्या आप या आपके जान-पहचान लोग है , जो उच्च शिक्षा कारण राज्य से पलायन कर गए ?आपके अनुसार राज्य में उच्च शिक्षा बदहाली पीछे क्या-क्या कारण हो सकते है ?

बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । यह हम में आत्मविश्वास विकसित करने के साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायता करती है।जहाँ प्राथमिक शिक्षा विद्यार्थियों को आधार प्रदान करती है, जो जीवन भर मदद करती है, वहीं माध्यमिक शिक्षा आगे की पढ़ाई का रास्ता तैयार करती है और उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरे जीवन में, भविष्य में आगे बढ़ने का रास्ता बनाती है। हमारी शिक्षा इस बात का निर्धारण करती है कि हम भविष्य में किस प्रकार के व्यक्ति बनेंगे। दोस्तों , इस हफ्ते जनता की रिपोर्ट में हम बात करेंगे झारखण्ड में उच्च शिक्षा की बदहाली की व्यवस्था पर श्रोताओं , 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार राज्य में साक्षरता का प्रतिशत 66.41 था. इसमें महिलाओं में साक्षरता दर 52.04% , जबकि पुरुष साक्षरता दर 76.84% थी. लेकिन इसके ठीक विपरीत झारखंड में उच्च शिक्षा की नामांकन दर सिर्फ 8.1 फीसदी है. यानी राज्य में सौ में से सिर्फ 8.1 फीसदी युवा ही उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज या विवि तक पहुंच पाते हैं केंद्रीय मानव संसाधन विभाग ने उच्च शिक्षा और इसे बढ़ावा देनेवाले संस्थानों की रिपोर्ट जारी की है। इसमें झारखंड की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। राज्य में केंद्रीय, राज्य , निजी और डीम्ड सभी मिलाकर कुल 14 विश्वविद्यालय हैं।इस कारण यहां के 50 प्रतिशत छात्र अन्य राज्यों में उच्च शिक्षा के लिए हर साल पलायन कर जाते हैं। और जिसमे सामान्य से स्नातक कोर्स के शिक्षा के साथ तकनिकी क्षेत्र की शिक्षा भी शामिल है । एक गैर-सरकारी आकड़ों के अनुसार इन छात्रों साथ -साथ राज्य से लगभग डेढ़-से दो अरब रूपये शिक्षा के नाम पर दूसरे राज्यों में चले जाते है। ऐसे में झारखंड सरकार को राजस्व की क्षति तो हो ही रही है। इसके साथ यहाँ का विकास और रोज़गार भी परोक्ष रूप से प्रभावित हो रहा है। दोस्तों , राज्य में उच्च शिक्षा की इस तरह की बदहाली पर आप क्या सोचते है ? क्या आप या आपके जान-पहचान लोग है , जो उच्च शिक्षा कारण राज्य से पलायन कर गए ?आपके अनुसार राज्य में उच्च शिक्षा बदहाली पीछे क्या-क्या कारण हो सकते है ? अभी चुनावी मौसम के खत्म होते ही 12 वीं के परीक्षा के परिणाम आ जाएंगे , क्या आपने अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि का ध्यान शिक्षा इस बदहाली पर दिलाया है। इन सभी बातों पर आप अपनी राय , प्रतिक्रिया और अनुभव हमारे साथ जरूर साझा करें