सीतापुर। ब्लॉक स्तर के जिम्मेदार अफसर व कर्मियों की लापरवाही से करीब 347 अपात्र व्यक्तियों को आवास योजना ग्रामीण का लाभ दिया गया है। इन्हे एक करोड़ 74 लाख रुपये दिए गए। विभिन्न स्तरों से इसका खुलासा होने के बाद लाभार्थियों के खाते में भेजी गई धनराशि की वसूली की तैयारी की जा रही है। सीडीओ की सख्ती के बाद सभी बीडीओ को शीघ्र वसूली के निर्देश दिए गए हैं। जिले के 19 ब्लॉक क्षेत्रों की विभिन्न ग्राम पंचायतों में पीएम और सीएम आवास योजना के लाभार्थियों काे आवासीय सुविधा दिए जाने में गड़बड़झाला किया गया है। अपात्रों का चयन कर धनराशि उनके खाते में भेजी गई है, जबकि तमाम पात्र भटक रहे हैं। प्रभावितों की ओर से इसकी शिकायतें निरंतर की जा रही हैं।

सीतापुर। 88 हजार ऋषि मुनियों की पावन तपोभूमि नैमिष में भी भगवान राम की अयोध्या है। इसे छोटी अयोध्या अथवा अयोध्या हार के नाम से जाना जाता है। प्रभु श्रीराम जब अयोध्यावासियों के साथ नैमिष आए थे, तब इसी स्थान पर विश्राम किया था। यहां राम दरबार के अलावा हनुमान जी का मंदिर है। रामलला का नैमिषारण्य से गहरा नाता है। यहां की पावन धरा भगवान राम के आगमन का आध्यात्मिक इतिहास भी संजोए है। प्रभु श्रीराम के चरण रज से नैमिष का कण-कण सुशोभित है। कालीपीठाधीश गोपाल शास्त्री बताते हैं, कि भगवान राम अयोध्यावासियों के साथ नैमिषारण्य आए थे। गोमती के तट पर जिस स्थान पर प्रभु श्रीराम ने विश्राम किया, वह अयोध्या के नाम से विख्यात है। प्राचीन काल में इसे अयोध्या हार भी कहते थे।

तहसील सदर क्षेत्र के ग्राम दहेलिया की रहने वाली पिंकी ने तीन साल पूर्व परिवारिक लाभ योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन किया था। एसडीएम ने इसकी जांच कराकर पात्र पाए जाने पर धनराशि देने की स्वीकृति ऑनलाइन की थी। साथ ही मूल आवेदन पर भी पात्रता अंकित करते हुए समाज कल्याण दफ्तर भेजा था। इसके बाद भी योजना का लाभ नहीं मिल सका है। इससे वह जिम्मेदारों के चक्कर लगाने को मजबूर है। इसी तरह वेलगवां गांव की सुनीता भी योजना की धनराशि न मिलने से परेशान हैं। इनकी ओर से भी तीन साल पहले आवेदन किया गया था। पात्रता के बाद भी लाभ नहीं मिल सका है।

उत्तर प्रदेश जिला सीतापुर शुशील कुमार छुट्टा गौ वंश परेशान हैं किसान भाई

रास्ते नहीं होने के कारण परेशान हैं किसान भाई उत्तर प्रदेश जिला सीतापुर

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झरेखापुर (सीतापुर)। इमलिया सुल्तानपुर थाना क्षेत्र के नौव्वा महमूदपुर गांव के बाहर खेतों में बाघ के पगचिह्न दिखने से हड़कंप मच गया। वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर कांबिंग की। टीम ने ग्रामीणों को सतर्क रहने के लिए कहा। नौव्वा महमूदपुर गांव के बाहर सरसों के खेत में ग्रामीणों ने बाघ के पग चिह्न देखे। इसके बाद आननफानन वन विभाग को सूचना दी। मौके पर वन क्षेत्राधिकारी, वन दरोगा राजकुमार, अमित सिंह व अपनी समस्त टीम के साथ नौव्वा महमूदपुर गांव पहुंचे। वन क्षेत्राधिकारी सुयश श्रीवास्तव ने बताया कि जांच में पगचिह्न बाघ के प्रतीत हो रहे हैं। ग्रामीणों को सुझाव दिया गया है कि वह खेतों में समूह बनाकर जाएं।

सीतापुर शहर कोतवाली पुलिस ने ऑनलाइन ठगी का शिकार हुए एक युवक के चार लाख 44 हजार रुपये दो दिन में ही वापस करवा दिये। पुलिस ने एक बैंक खाते को फ्रीज करते हुए पीड़ित की धनराशि उसके खाते में वापस कराई। रामकोट के सहसापुर गांव निवासी देवेंद्र कुमार मौर्य ने बताया कि 31 अक्तूबर को उसके पास एक फोन आया। ठग ने ट्रेडिंग कंपनी का एजेंट बताते हुए पैसा निवेश किए जाने की बात कही। ठग ने सारी जानकारी देते हुए पीड़ित को झांसे में ले लिया। पहले देवेंद्र ने 16 हजार 500 रुपये कंपनी के खाते में भेज दिए। ठग ने धीरे-धीरे लॉट (ट्रेडिंग का एक शब्द) खरीदने की बात कहकर रुपये ले लिए। फिर घाटा होने की बात कहकर डराते हुए और रुपये देने की बात कही। इस तरह से उसने चार लाख 44 हजार 500 रुपये ठग लिए।

सीतापुर जिले में चल रही गन्ना मिलों का पेराई सत्र शुरू हो गया है। गन्ना किसान मेहनत से उगाए गन्ने को मिल तक पहुंचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं। इस दौरान इन गन्ना किसानों को ठगने के लिए एजेंट भी सक्रिय हो गए हैं। ऐलिया ब्लॉक के टिकरा बाजार, इमलिया सुल्तानपुर, फरर्कपुर, चांदूपुर व अन्य जगहों पर खुलेआम अवैध गन्ना मंडियां चल रही हैं। सरकार द्वारा निर्धारित गन्ना मूल्य से करीब सौ रुपये सस्ता गन्ना बेचना किसानों की मजबूरी है। पेड़ी की फसल की पर्ची गन्ना मिलों द्वारा समय से उपलब्ध नहीं कराई जाती है, जिससे किसानों के आगे खेत को मजबूरी में खाली करने के लिए गांव-गांव घूमने वाले इन एजेंट का सहारा लेना पड़ता है। दूसरी ओर जिन लोगों के खेत में गन्ना बोआ नहीं गया है, उनका नाम सर्वे में शामिल कर उन्हें समय से पर्चियां दे दी जाती हैं। इन्हीं पर्चियों के आधार पर ये एजेंट गन्ना किसानों को ठग लेते हैं। गन्ना एजेंट ही गन्ने का मूल्य न्यूनतम करीब 200 रुपये निर्धारित कर देते हैं। बाद में सरकारी रेट पर इसे मिल में सप्लाई कर हजारों रुपये कमाते हैं। इस खेल में गन्ना पर्यवेक्षक से लेकर मिल के अधिकारी तक शामिल रहते हैं।

मास्टरबाग, बिसवां में महाराजनगर से पक्के तालाब तक 14 लाख रुपये खर्च कर बनाई गई सड़क 10 दिन भी नहीं टिक पाई। करीब 800 मीटर लंबी यह सड़क बनने के तुरंत बाद ही उखड़ने लगी है। इससे सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों ने निर्माण में मानकों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए जांच व कार्रवाई की मांग उठाई है। बिसवां के महाराज नगर से पक्के तालाब तक 800 मीटर लंबी सड़क का निर्माण लोक निर्माण विभाग ने 14 लाख रुपये से कराया है। विभागीय सूत्र बताते हैं, कि सड़क निर्माण में 2 सेमी. मोटी सतह बनाई जानी थी। लेकिन ठेकेदार व संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से निर्माण में मानकों की अनदेखी की गई। मानक से कम सामग्री लगाकर सड़क बना दी गई। सड़क निर्माण का काम दिवाली के दिन पूरा किया गया। जबकि सड़क अभी से उखड़ने लगी है।