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क्या आप जानते है कैकेयी की दासी मंथरा पिछले जन्म में कौन थी नहीं तो मैं आप को बताती है मैं पल्लवी श्रीवास्तव सीतापुर मोबाइल वाणी से अयोध्या वासियों को जब पता चला कि उनके प्राणप्रिय राजकुमार राम का राज्याभिषेक होने की बजाय उन्हें चौदह वर्ष के वनवास के लिए भेजा जा रहा है और इन सबके पीछे कैकेयी की दासी मंथरा का हाँथ है तो वे सब मंथरा पर कुपित हो गए और उन कुपित अयोध्या वासियों ने श्री लोमश जी से पूछा "प्रभु ! इस मंथरा का ही राम से विरोध क्यों है ? जबकि पशु-पक्षी, जड़, चेतन, वृक्ष आदि तक हमारे राम के प्रेमी हैं"। इस पर लोमश जी ने उत्तर दिया “यह मंथरा जन्मांतर में प्रहलाद की पौत्री तथा विरोचन की पुत्री थी। उस जन्म में भी इसका नाम मंथरा ही था। इसका छोटा भाई बलि जब माता के गर्भ में ही था, तब देवताओं ने छलपूर्वक ब्राह्मण का रूप धारण कर विरोचन से अपनी सारी आयु ब्राह्मणों को दान देने की प्रार्थना की। अतः दानी विरोचन ने अपना शरीर त्याग दिया। जिसके बाद दैत्य निराश्रित हो गए। वह मंथरा की शरण में गए। मंथरा ने उनको रक्षा का आश्वासन दिया। जिससे उत्साहित होकर शम्बर, मय, बाण आदि दैत्य युद्ध के लिए निकले, पर वे देवताओं से हार गए। तब मंथरा देवताओं पर भयंकर क्रोधित हुई और क्रुद्ध होकर उसने नागपाश के द्वारा समस्त देवताओं को बांध लिया। नारद जी ने देवताओं के ऊपर आयी इस विपत्ति को वैकुंठ स्थित भगवान नारायण के समस्त निवेदित की। भगवान विष्णु ने इंद्र को अमोघ शक्ति दी जिससे इंद्र ने ना केवल नागपाश के बंधन को काटा बल्कि उसी शक्ति से इंद्र ने मंथरा को मार कर बेहोश कर दिया। उस दिव्य शक्ति के प्रभाव से मंथरा का शरीर अपंग हो गया, वह कुब्जा-सी हो गई। दैत्य स्त्रियों ने भी पीछे से उसका बड़ा उपहास किया। मृत्यु के बाद अगले जन्म में वह उसी रूप में कश्मीर क्षेत्र में उत्पन्न हुई और भगवान विष्णु से प्रतिशोध लेने के लिए कैकई की दासी बन कर उसने रामराज्य की स्थापना में विघ्न डाला जिसकी वजह से वह सारे संसार में अपयश की भागी हुई।

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मैं पल्लवी श्रीवास्तव सीतापुर मोबाइल वाणी से आधार कार्ड आज हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है ज्यादातर कागजी कार्रवाई के लिए इसकी आवश्यकता पड़ती है। आधार कार्ड अपनी पहचान दिखाने, गैस सिलेंडर में नंबर लगवाने, सिम कार्ड से लेकर बैंक तक के कामों में अनिवार्य हो गया है। ऐसे में आधार कार्ड में दी गई जानकारी भी सही और अपडेट रहना जरूरी है। आधार कार्ड में ज्यादातर लोगों के फोटो, नाम, पता, मोबाइल नंबर जैसी जानकारियां पुरानी या गलत होने पर ठीक करवा सकते हैं। इसके लिए आधार केंद्र पर जाकर मामूली शुल्क जमा कर अपडेट करा सकते हैं। कई बार आधार केंद्र पर मौजूद कर्मचारी काम करवाने के एवज में या जल्द काम करवाने के नाम पर तय शुल्क से अधिक राशि की मांग करते हैं। तो आप 1947 नंबर पर काल करकर्मचारी की शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा आधार के आफिशियल लिंक myaadhaar.uidai.in/file-complaint पर भी जाकर कर सकते हैं।

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पिछले कुछ वर्षों से सितंबर से लेकर शुरुआती दिसंबर तक डेंगू बुखार का भयानक प्रकोप देखने को मिलता आ रहा है। प्रतिवर्ष इस बुखार की तीव्रता, दायरा और मरने वालों की संख्या बीते वर्ष से ज्यादा देखने को मिलती है। सरकारी आंकड़े कुछ भी कहें लेकिन हमारे बिसवां क्षेत्र में ही इस वर्ष डेंगू एक महामारी के रूप में देखने को मिल रहा है। शायद ही ऐसा कोई घर हो जिसमे का कोई भी सदस्य इस बुखार की चपेट में न आया हो। सिर्फ बिसवां क्षेत्र में ही बीते तीन वर्षों में यह बुखार सैकड़ो जाने ले चुका है। हालांकि सरकारी आंकड़ों में इस बुखार से मरने वालों की संख्या उतनी ही दर्ज होगी जितने में सरकार की बदनामी न हो। लोगों के मरने से लापरवाह सरकार इसकी रोकथाम के लिए सिर्फ साफ सफाई रखने के कुछ प्रवचन दोहरा देती है और नगर पालिका थोड़ी बहुत दवाइयां (मच्छर मारने की दवा) का छिड़काव कर देती है और बस सरकार समझती है कि हमारा फर्ज पूरा हुआ, आदमी मरे या जिंदा रहे। लेकिन इस बुखार के साथ-साथ आप एक और दुष्चक्र में फंस जाते हैं, वह है डॉक्टर्स की कमीशन खोरी। आपके जैसे ही बुखार आएगा आपको डॉक्टर तुरंत जांच के लिए लिखेंगे और जांच में आपके डॉक्टर का 50% कमिशन बा ईमानदारी तय होता है जो सूरज ढलने के साथ ही प्रत्येक डॉक्टर के पास लिफाफे में पैक होकर पहुंच जाता है। हालांकि हम यह नहीं कह रहे हैं कि इस कमीशन खोरी में सभी डॉक्टर्स शामिल है। कुछ बहुत अच्छे डॉक्टर भी हैं जो इस कमीशन खोरी से बिल्कुल दूर रहते हैं और अपने मरीज के प्रति बेहद ईमानदार होते हैं लेकिन यह सच है कि कमीशनखोर डॉक्टर्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कुकुरमुत्ते की तरह फैली पैथोलॉजी और डॉक्टर्स के बीच की इस कमीशन खोरी को एक साधारण व्यक्ति तो क्या पुलिस भी न तो पकड़ सकती है और न ही साबित कर सकती है क्योंकि जांच की फीस पैथोलॉजी वाला लेता है और वह उस फीस में से चुपचाप जांच लिखने वाले डॉक्टर को आधा पैसा बा ईमानदारी पहुंचा देता है। हां इस भ्रष्टाचार को अगर सीबीआई जांच हो तो जरूर पकड़ा जा सकता है, जो होने से रही। मतलब यह है कि एक तरफ, एक व्यक्ति जिंदगी मौत से जूझ रहा होता है दूसरी तरफ यह कमीशन खोर उसकी मजबूरी और बीमारी का फायदा उठाकर उसको खूब लूटते हैं। बहुत से मरीज तो इस कमीशनखोरी की वजह से कर्जदार तक हो जाते है। इस पूरी कमीशन खोरी की कहानी को सरकार और उसके प्रतिनिधि सभी जानते हैं लेकिन क्यों बोलें? क्यों लगाम लगाएं? जनता है मरने दो। देश की आबादी वैसे भी बहुत हो चुकी है।

L क्यूएस एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग में अब भारतीय विश्वविद्यालयों की संख्या सबसे अधिक है। इस रैकिंग में 149 भारतीय विश्वविद्यालयों ने अपनी जगह बनाई है। सात भारतीय विश्वविद्यालय शीर्ष 100 एशियाई यूनिवर्सिटीज में शामिल हैं। इसके अलावा 37 नए प्रवेशकर्ता इंडिया से हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे 40वीं रैंक हासिल कर सर्वोच्च रैंकिंग वाला भारतीय संस्थान बनकर उभरा है। एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार आईआईटी बॉम्बे ने 100 में से 67.2 का स्कोर हासिल किया है। साथ ही आईआईटी दिल्ली, भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर, आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी कानपुर, आईआईटी मद्रास और दिल्ली यूनिवर्सिटी भी क्यूएस एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2024 के शीर्ष 100 में स्थान पर हैं। वर्तमान में भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक 148 विश्वविद्यालय हैं। इसके बाद 133 विश्वविद्यालयों के साथ चीन और 96 यूनिवर्सिटीज के साथ जापान है। इसके अलावा म्यांमार, कंबोडिया और नेपाल पहली बार फीचर लिस्ट में शामिल हुए हैं।