सतना जिले में धड़ल्ले से चल रही मिलावट खोरी को रोकने के लिए जिला स्तर पर एक स्पेशल टीम गठित की जाएगी। कलेक्टर अनुराग वर्मा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश स्तर से प्राप्त दिशा निर्देशों के आधार पर सतना जिले में मिलावट मुक्त अभियान चलाया जाएगा। इसमें खाद्य विभाग पुलिस विभाग नापतोल विभाग खाद्य एवं औषधि विभाग समेत अन्य प्रमुख विभागों के अधिकारियों की एक टीम गठित की जाएगी। यह टीम लगातार सतना जिले के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण कर दूध से बने उत्पाद पनीर, मावा के नमूने एकत्रित कर उनकी जांच करेगी यदि जांच में मिलावट खोरी पाई गई तो संबंधित दुकानदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान उन दुकानदारों के विरुद्ध भी कार्यवाही होगी जो बिना पंजीयन के दुकान संचालित कर रहे हैं।

सतना जिले में कुपोषण को दूर करने के लिए मोटे अनाज और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इस संबंध में कृषि वैज्ञानिकों ने वर्ष 2024 की कार्य योजना तैयार कर ली है । कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां में बैठक आयोजित की गई, जिसमें कलेक्टर अनुराग वर्मा मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। बैठक में सतना, कटनी ,रीवा के कृषि वैज्ञानिक तथा सतना जिले के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए। इस दौरान सतना जिला पंचायत के अध्यक्ष रामखेलावन कोल ने कहा की खेती को लाभकारी का धंधा बनाने और आय दुगनी करने कृषि वैज्ञानिक अनुपयोगी तथा रिक्त भूमि पर फसल लगाने की तकनीक और प्रेरणा दें। उन्होंने कहा कि मझगवां और परसमनिया के दूरस्थ पहाड़ी अंचल पर मोटे अनाज की खेती के प्रचलन को बढ़ावा देकर इन क्षेत्रों से कुपोषण दूर किया जा सकता है। अन्य उपस्थिति जनों ने भी सुझाव दिए।

एक सामान्य समझ है कि कानून और व्यवस्था जनता की भलाई के लिए बनाई जाती है और उम्मीद की जाती है कि जनता उनका पालन करेगी, और इनको तोड़ने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसके उलट भारतीय न्याय संहिता में किये गये हालिया बदलाव जनता के विरोध में राज्य और पुलिस को ज्यादा अधिकार देते हैं, जिससे आभाष होता है कि सरकार की नजर में हर मसले पर दोषी और पुलिस और कानून पूरी तरह से सही हैं।

दैनिक जागरण बिहार की मई 2023 की रिपोर्ट के अनुसार नरपतगंज प्रखंड से सटे सुपौल जिला के छातापुर प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय ठूठी में सोमवार को एमडीएम परोसने के क्रम में बच्चों के भोजन में मरी हुई छिपकली मिली, जिसके बाद बच्चों व गांव वालों में हड़कंप मच गया। लेकिन क्या ये हड़कंप हमारा अपने जन प्रतिनिधियों के सामने झलकता है ? जिस पन्ना ज़िले के स्कुल में 40 बच्चे बीमार हो गए , क्या वोट देते समय हम ये बात सोचते है? नहीं .. बिलकुल भी नहीं सोचते। क्योंकि हम एक वोट देने की मशीन में ढल चुके है। कुछ लोग इसे मेरी ही मूर्खता करार देंगे कि मध्यान भोजन के लिए हम नेताओ को दोष क्यों दें ? लेकिन सच ये है कि जब तक कोई घटना हमारे या हमारे अपनों के साथ नहीं घटती , तब तक हम राजनितिक पार्टियों की चाटुकारिता में लगे रहते है। लोग आपको ही बार बार समझायेंगे कि हमें इन सभी पचड़ों में नहीं पड़ना चाहिए। दोस्तों, अपने देश, समाज और बच्चों के भविष्य को बदलने के लिए किसी न किसी को शुरुआत करनी पड़ेगी और वह शुरुआत स्वयं से ही होगी, इसके बाद अन्य समाज के लोगों का साथ मिलता चला जाएगा। तब तक आप हमें बताइए कि * ------ आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन की स्थिति क्या है ? *------- आपने क्षेत्र या गाँव के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कैसा पौष्टिक खाना मिलता है क्या ? आपके अनुसार बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन का क्या मतलब है ? *------ साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।