2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।

आज के दौर में आत्महत्या के मामले बहुत बढ़ रहे हैं। जिसका एक प्रमुख कारण तनाव माना जा रहा है। इन दिनों व्यक्ति जितना तनावग्रस्त है ऐसी स्थिति अतीत में पहले कभी नहीं थी। या यूं भी कह सकते हैं कि आज धैर्य हीनता बढ़ गई है। विशेषज्ञ मनोचिकित्सकों का मानना है कि अपने मन की बात दूसरों से साझा करने से नहीं हिचकना चाहिए इससे दिमाग को बहुत राहत मिलती है। निराशा से बचने के लिए लोगों के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए। इसलिए जब भी परेशान हों तो दूसरों की मदद लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। आत्महत्या का किसी व्यक्ति की संपन्नता या विपन्नता से कोई संबंध नहीं है। आजकल हर आयु वर्ग में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। आए दिन ऐसी खबरें मिलती हैं कि किसी परेशानी से आजिज हो कर पूरे परिवार ने सामूहिक रूप से आत्महत्या कर ली या फिर किसी व्यक्ति विशेष ने आत्महत्या की या इसका प्रयास किया। आइए जानते हैं कि आत्महत्या करने के कारण क्या हैं और इस गंभीर समस्या का समाधान क्या है। इसका एक प्रमुख कारण तनाव है। इन दिनों व्यक्ति जितना तनावग्रस्त है, वैसी स्थिति अतीत में पहले कभी नहीं थी। लोगों की तेजी से बदलती जीवनशैली,रहन-सहन, भौतिक वस्तुओं के प्रति बहुत अधिक आकर्षण,पारिवारिक विघटन और बढ़ती बेरोजगारी और धन-दौलत को ही सर्वस्व समझने की प्रवृत्ति के कारण आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। स्ट्रेस दो प्रकार के होते हैं,जो स्ट्रेस हमें जीवन या कॅरियर में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे,उसे हम पॉजिटिव स्ट्रेस कह सकते हैं। जैसे प्रमोशन के लिए ज्यादा काम करना। किसी साहसपूर्ण जोखिम भरे कार्य को अंजाम देना। या कोई बड़ी चुनौती स्वीकार करने के बाद की स्थिति, वहीं स्ट्रेस का दूसरा प्रकार डिस्ट्रेस होता है,जो शरीर में कई बीमारियां पैदा करता है। यह स्ट्रेस का गंभीर प्रकार है। डिस्ट्रेस शरीर में तनाव पैदा करने वाले हार्मोंस को रिलीज करता है। इससे शारीरिक और मानसिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं। अब जानते हैं डिप्रेशन को-दुख की स्थिति अवसाद या डिप्रेशन नहीं है। डिप्रेशन में पीड़ित व्यक्ति में काम करने की इच्छा खत्म हो जाती है। पीड़ित व्यक्ति के मन में हीन भावना आ जाती है। व्यक्ति को यह महसूस होता है कि अब यह जीवन जीने का कोई फायदा नहीं और वह हताश तथा असहाय महसूस करता है। ऐसी दशा से पीड़ित व्यक्ति आत्महत्या की कोशिश कर सकता है। एक ओर कारण आपाधापी भरी जीवनशैली है। देखा जाए तो आज की जीवनशैली तनावपूर्ण हो गई है। लोगों के पास काम की अधिकता है और वे समुचित रूप से विश्राम नहीं कर पा रहे हैं। आज ऐसे परिवारों की संख्या बढ़ गई है, जहां शांति नहीं है। घरों में माहौल खराब हैं। यह स्थिति व्यक्ति को परेशानी की स्थिति में आत्महत्या के विचार को बढाने में मदद करती है। साथ ही इन दिनों सोशल और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया में जो कुछ दिखाया जा रहा है,उसका भी लोगों के दिमाग पर गलत असर हो रहा है। जो दुनियां जिन लोगों ने देखी नहीं है, उसे भी देखने की इच्छा लोगों में बढ़ती जा रही है। अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए लोग ऋण ले रहे हैं और आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसी स्थितियां डिप्रेशन से ग्रस्त कर सकती हैं। आत्महत्या में ऐसे में परिजन यदि उसकी तकलीफों को पहले से ही समझ लें और उसकी सहायता करें तो रोगी सहज रूप से जीवन जीना स्वीकार कर लेता है। जब व्यक्ति असामान्य और हताश महसूस करे तो उसे तब तक अकेला न छोड़ें, जब तक किसी मनोचिकित्सक की सुविधा उपलब्ध न हो जाए, और यह छोटा सहयोग एक जीवन को बचा लेगा। आत्महत्या के प्रयास से पहले कुछ ऐसे पूर्व लक्षण मनोरोगी के व्यवहार में नजर आते हैं, जिन्हें रोगी के परिजन या प्रियजन जान लें तो वे उसकी मदद कर सकते हैं। उसे स्पष्ट शब्दों में बताएं कि वह परिवार के लिए,बच्चों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है रोगी को समझाएं कि हम हर वक्त उसके लिए उपलब्ध हैं रोगी को इस बात का विश्वास दिलाएं कि उसके कष्ट सीमित समय के लिए हैं और कुछ ही दिनों में सब कुछ सामान्य हो जाएगा। समाज में मनोरोगों के प्रति जागरूकता कम है। अगर किसी व्यक्ति से कहें कि आप दिमागी तौर पर बीमार हैं तो वह बुरा मान जाता है। इन्हीं सब कारणों से समय रहते रोगी मनोरोग विशेषज्ञ से इलाज नहीं करा पाता। परेशानी होने पर दूसरों की मदद लेनी चाहिए। अधिकतर लोग मदद नहीं लेना चाहते,क्योंकि उन्हें लगता है कि वे कमजोर हो गए हैं। ऐसी सोच ठीक नहीं होती है।

बेरोजगार युवाओं से एक छोटा सा अनुरोध

देश में बढ़ती बेरोजगारी

तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।

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सरकार का दावा है कि वह 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन दे रही है, और उसको अगले पांच साल तक दिये जाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में यह भी दावा किया कि उनकी सरकार की नीतियों के कारण देश के आम लोगों की औसत आय में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस दौरान वित्त मंत्री यह बताना भूल गईं की इस दौरान आम जरूरत की वस्तुओं की कीमतों में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है।

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गोरखपुर। आज गोरखपुर में गोरखपुर में ओबीसी आर्मी द्वारा एक प्रेस वार्ता का आयोजन बैंक रोड स्थित एक होटल में आयोजित हुआ जिसमें ओबीसी आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष काली शंकर यदुवंशी ने ऑनलाइन राष्ट्रीय सदस्यता अभियान के तहत ऑनलाइन सदस्यता अभियान की वेबसाइट www.obcarmy.in लॉन्च किया। इस अवसर पर जातिगत जनगणना करने, मंडल कमीशन की रिपोर्ट पूर्ण रूप से लागू करने तथा सरकारी एवं प्राइवेट नौकरियां संसद एवं विधानसभाओं और प्रमोशन में आबादी के अनुसार प्रतिनिधित्व देने युवाओं को रोजगार नहीं दे पाने के स्थिति में बेरोजगार युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार सामाजिक सुरक्षा भत्ता देने तथा पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग की गई।

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