साथियों गर्मी का मौसम आने वाला है और इसके साथ आएगी पानी की समस्या। आज की कड़ी में हम आपको बता रहे है कि बरसात के पानी को कैसे संरक्षित कर भूजल को बढ़ाने में हम अपना योगदान दे सकते है। आप हमें बताइए गर्मियों में आप पानी की कौन से दिक्कतों से जूझते हैं... एवं आपके क्षेत्र में भूजल कि क्या स्थिति है....

बिहार सरकार के योजना एवं विकास विभाग के द्वारा अरियरी प्रखंड के विमान पंचायत के अरुयारा एवं चेवाङा प्रखंड लोहान पंचायत के लोहान गांव में शेखपुरा के राजद विधायक विजय सम्राट ने 2 करोड़ 48 लाख की लागत से निर्मित होने वाली पंचायत सरकार भवन का भूमि पूजन कर शिलान्यास किया। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

बिजली ट्रांसफार्मरों पर मकङजाल की तरह लगा है उपभोक्ताओं के कनेक्शन के तार। शेखपुरा।। जिले में बिजली महकमा बिल की वसूली के लिए बङे पैमाने पर अभियान में जुटा हुआ है। लेकिन अपने संसाधनों को सुधारने के लिए कोई काम नहीं कर रहा है। स्थिति यह है कि जिले के कई स्थानों पर मकङजाल की तरह उपभोक्ताओं का कनेक्शन का तार ट्रांसफार्मरों पर लगा हुआ है। जिससे ट्रांसफार्मरों में बिजली के तारों के मकङजाल खतरे को दावत दे रहा है। जिससे अक्सर हादसा होने का अंदेशा बना रहता है। जिले के कोयला, डीहकुसुम्भा, बुधौली बाजार सहित कई चौक चौराहों पर लगे ट्रांसफार्मर में झूलते तार से दूर्घटना की आशंका बनी रहती है। कुछ ट्रांसफार्मरों से जुड़े तार तो बिल्कुल जमीन पर लटक रहे हैं, जिससे दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। कई ट्रांसफार्मर जमीन से महज तीन से चार फिट की ही उंचाई पर रखे गए हैं। सुरक्षा की दृष्टि से किनारे पर जाली भी नहीं लगाया गया है। विभाग की इस लापरवाही के कारण आये दिन कई जगहों पर दूर्घटना घटित होते रहती है। बिजली विभाग के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले कई महीनों से पोल तार लगाने का काम चल रहा है। बाबजूद इस तरह से उलझे हुए तारों को नहीं हटाया जा रहा है। इस कारण शार्ट सर्किट से हमेशा आग लगने की संभावना बनी रहती है। उपभोक्ताओं की परेशानी यह है कि ट्रांसफार्मर पर लगे तारों के मकरजाल के कारण मिस्त्री किसी उपभोक्ता का तार जोड़ने जाते हैं तो दूसरे की लाइन खराब हो जाती है। इससे परेशानी और बढ़ जाती है। हालांकि सभी पोलों पर सर्विस कनेक्शन के लिए बॉक्स लगा हुआ है फिर भी जिसको जहां मन होता है तार जोड़ लेता हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में पोलों और ट्रांसफार्मर पर मकरजाल अधिक है जिसे विभाग द्वारा नहीं हटाए जाने से परेशानी बढ़ती जा रही है। लोगों ने विभागीय अधिकारियों से ट्रांसफार्मर के पास जाली लगाने, तारों के मकरजाल को हटाने व तार को ऊंचा व सुरक्षित करने की मांग की है, ताकि किसी भी हादसे से बचा जा सके।

2016 में 14% छात्र औपचारिक शिक्षा से बाहर थे जो कि देश में 2023 में भयानक सुधार होने के बाद भी अब मात्र 13.2 फीसद बाहर हैं ... 2016 में 23.4 फीसद अपनी भाषा में कक्षा 2 का पाठ नहीं पढ़ पाते थे आज 2023 में अति भयानक सुधार के साथ ये आंकड़ा 26.4 प्रतिशत है ... देश के आज भी 50 फीसद छात्र गणित से जूझ रहे हैं ... मात्र 8 साल में गणित में हालात बद से बदतर हो गए ... 42.7% अंग्रेजी में वाक्य नहीं पढ़ सकते हैं... अगर आप सरकार से जवाब माँगिए , तो वे कहती है कि वो लगातार बैठकें कर रहे हैं लेकिन असर की रिपोर्ट बताती है कि ये बैठकें कितनी बेअसर हैं... तो विश्व गुरु बनने तक हमें बताइये कि *-----आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? *-----वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? *-----और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ?

लड़कियों के सपने सच में पुरे हो , इसके लिए हमें बहुत सारे समाजिक बदलाव करने की ज़रूरत है। और सबसे ज्यादा जो बदलाव की ज़रूरत है, वो है खुद की सोच को बदलने की। शिक्षा महिलाओं की स्थिति में बड़ा परिवर्तन ला सकती है लेकिन शिक्षा को लैंगिक रूप से संवेदनशील होने की जरूरत है। गरीब और वंचित समूह के बच्चों को जीवन में शिक्षा में पहले ही सीमित अवसर मिलते हैं उनमें से लड़कियों के लिए और भी कम अवसर मिलते हैं, समान अवसर तो दूर की बात है। सरकारी स्तर पर जितने ही प्रयास किये जा रहे हों, यदि हम समाज के लोग इसके लिए मुखर नहीं होंगे , तब तक ऐसी भयावह रिपोर्टों के आने का सिलसिला जारी रहेगा और सही शौचालय न होने के कारण छात्राओं को मजबूरी में स्कूल छोड़ने का दर्द सताता रहेगा। तब तक आप हमें बताएं कि *----- आपके गांव में सरकारी स्कूल में शौचालय है, और क्या उसकी स्थिति कैसी है? *----- क्या आपको भी लगता है कि सरकारी स्कूल में शौचालय नहीं होने से लड़कियों की शिक्षा से बाहर होने का बड़ा कारण है *----- शौचालय होने और ना होने से लड़कियों की शिक्षा किस प्रकार प्रभावित हो सकती है?

चेवाड़ा प्रखंड के ग्राम करंडे में 27लाख की लागत से निर्मित स्वास्थ्य उपकेंद्र एवं सियानी में 75 लाख की लागत से निर्मित स्वास्थ्य एवम खुशहाली केंद्र का विधायक के कर कमलों से उद्धघाटन किया गया.अस्पताल के निर्माण होने से आसपास के गांव के मरीजों को काफी सुविधा मिलेगी.सारी सुविधा से सुसज्जित अस्पताल में 24 घंटे डॉक्टर एवम स्वास्थ कर्मी उपलब्ध रहेंगे.मेरा एकमात्र लक्ष्य है स्वस्थ होगा शेखपुरा खुशहाल रहेगा मेरा शेखपुरा.इस कार्यक्रम में सिविल सर्जन शेखपुरा डॉ अशोक कुमार सिंह, जिला राजद जिलाध्यक्ष शिवकुमार सिंह, सीपीआई जिला सचिव प्रभात पांडेय, सीपीआई नेता कमलेश मानव, कमलेश प्रसाद, जिशान रिजवी पूर्व जिलाध्यक्ष संजय सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष राम नरेश यादव,जिलाध्यक्ष व्यवसायिक प्रकोष्ठ सोनू साव, महासचिव बालाकांत पांडेय, कांग्रेस वरिष्ठ नेता रामकिशुन सिंह, संतोष, मुखिया भारत यादव, प्रखंड अध्यक्ष चेवाडा जनार्दन यादव , अखलेश सिंह, वेस्ट नेता राजेन्द्र यादव, मुखिया विनोद चौरसिया युवा नेताब्रकेश रंजन उर्फ धुरी,जन्रदान यादव, प्रखंड अध्यक्ष शेखपुरा अशोक सिंह, सुभाष पासवान , एवम विनय यादव, बाल्मिकी यादव प्रभाष पांडेय, नागो, रंजीत, राजेश केवट, अनिल मंडल, महेश महतो ,युगल महतो अन्य लोग शामिल हुए.विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।

ठेकेदार की लापरवाही से हुआ जल जमाव, बढ़ी परेशानी। ठेकेदार ने सङक को खोदकर छोड़ा, नाले का पानी गिरने से बनी जल जमाव की स्थिति।

नगर पंचायत क्षेत्र के विभिन्न छठ घाट का किया गया.नगर पंचायत अध्यक्ष लट्टू यादव के द्वारा निरीक्षण.गौरतलब है कि शुक्रवार चेवाड़ा नगर पंचायत क्षेत्र के चेवाड़ा ,बसंत, चिंतामन चक, बहुआरा छठ घाटों का सौंदर्य को लेकर नगर पंचायत के अध्यक्ष लट्टू यादव के द्वारा निरीक्षण किया गया तथा कार्य कर रहे सफाई कर्मियों को निर्देश दिया गया कि नाली गली छठ घाटों पर कचरा ना रहे एवं साफ सफाई पर विशेष ध्यान देने को कहा गया तथा उन्होंने नगर पंचायत के सुपरवाइजर को निर्देश दिया गया कि जिन घाटों पर पानी अधिक है, वहां पर बांस की बैरिकेडिग करने व सभी घाटों पर लाइट की व्यवस्था करने के लिए कई आवश्यक निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि छठ व्रतियों को किसी प्रकार की परेशानी या दिक्कत नहीं होनी चाहिए. इस दौरान सभी घाट क्षेत्र में छठ पूजा कमेटियों से भी रूबरू हुए.

साथियों, आये दिन हमें ऐसे खबरे सुनने को और देखने को मिलती कि फंलाने जगह सरकारी स्कुल की छत गिर गई या स्कुल की दिवार ढह गई। यहाँ तक कि आजकल स्कुल के क्षेत्र में लोग पशु भी बाँधने लगते है, अभी ऐसी ही खबर दैनिक भास्कर के रांची सस्करण में छपी। रांची के हरमू इलाके में जहाँ कुछ लोग वर्षो सेअपने दुधारू पशु को स्कुल से सटे दीवाल में बाँध रहे है और प्रशासन इस पर मौन है। ये हाल झारखण्ड की राजधानी रांची के एक सरकारी स्कुल का है , बाकि गाँव का हाल तो छोड़ ही दीजिये। क्या आपको पता है कि शिक्षा के अधिकार के नियम के तहत स्कुल में पीने का साफ़ पानी और शौचालय की बुनियादी सुविधा के अनिवार्य रूप से मुहैया करवाने की बात कही गयी है। और ये बेसिक सी चीज़े उपलब्ध करवाना सभी सरकारों का काम है। लेकिन जब 25 से 35 % स्कूलों का हाल ये हो तब किसे दोषी माना जाए ? सरकार को नेताओ को या खुद को कि हम नहीं पूछते??? बाक़ि हाल आप जान ही रहे है। तब तक, आप हमें बताइए कि ******आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में शौचालय और पानी की व्यवस्था कैसी है ? ****** वहां के स्कुल कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ****** साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

बिहार राज्य के शेखपुरा जिला से मनोज मांझी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि इनके गाँव में नाली की समस्या है। नाली से पानी की निकासी नहीं होती है ।