उत्तर प्रदेश राज्य के संत कविर नगर से के सी चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि अभी भी महिलाओं को भूमि अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, इस समय भूमि अधिकारों का मुद्दा सोशल मीडिया पर काफी चल रहा है, सोशल मीडिया के माध्यम से महिलाओं को उनके संपत्ति के अधिकार के बारे में सूचित किया जा रहा है, लेकिन अभी तक जागरूकता पैदा नहीं की गई है। इसके अभाव में महिलाओं को भूमि अधिकारों का लाभ नहीं मिल रहा है जैसा कि मोबाइल वाणी पर प्रतिदिन प्रकाशित किया जा रहा है कि महिलाओं को संपत्ति का अधिकार दिया जाना चाहिए या नहीं। लोगों को जानकारी दी जा रही है, लेकिन अभी महिलाएं संपत्ति के अधिकार में बहुत पीछे हैं। जहाँ पुरुष महिलाओं को संपत्ति का अधिकार देने से कतराते प्रतीत होते हैं, वहीं महिलाएं भी अपनी जानकारी के अभाव में संपत्ति के अधिकार लेने के लिए पीछे रह जा रही हैं। महिलाओं को यह भी जागरूक किया जाना चाहिए कि संपत्ति के अधिकारों का क्या नुकसान है और क्या लाभ है महिलाएं तब तक पीछे रह जाएंगी जब तक महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में नई जानकारी मिलती है इसके लिए शिक्षा भी आवश्यक है। लोगों को महिलाओं को संपत्ति का अधिकार देने के बारे में भी जागरूक करना चाहिए और सरकार को भी इसके लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के. सी. चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं को पुरुषों के साथ समानता का अधिकार तभी मिलेगा जब महिलाएं पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगी। आज समाज में महिलाएं धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं, सरकार को शिक्षा, रोजगार आदि में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए भी कदम उठाने चाहिए।लेकिन उन्हें अभी तक संपत्ति का अधिकार नहीं मिला है, महिलाओं के लिए संपत्ति का अधिकार प्राप्त करना सबसे बड़ा दर्जा है क्योंकि जब तक महिलाओं को संपत्ति का अधिकार नहीं मिलेगा तब तक महिलाओं को पीछे छोड़ दिया जाएगा सरकार महिलाओं को संपत्ति का अधिकार देने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है, लेकिन शिक्षा की कमी के कारण महिलाएं अभी भी अपने अधिकारों में पीछे हैं। महिलाओं को जागरूकता अभियान चलाकर अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए आगे आना चाहिए। शिक्षित महिलाओं को भी अशिक्षित महिलाओं को प्रेरित करना चाहिए। जब तक महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लड़ती नहीं हैं, वे पीछे रह जाएंगी। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को अधिकार देने के लिए पुरुषों को भी तब तक महिलाओं की मदद करनी चाहिए। जब तक महिलाओं को सशक्त नहीं बनाया जाता, तब तक देश कमजोर रहेगा क्योंकि माँ एक मजबूत देश की एक मजबूत रक्षक पैदा कर सकती है। इसके लिए आवश्यक है कि पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता का अधिकार हो।
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के सी चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि संपत्ति के अधिकार को लेकर कुछ महिलाओं का कहना है कि संपत्ति के अधिकार लेने से भाई-बहन के रिश्ते में दरार आ जाएगी। वही पुरुष प्रधान समाज में पुरुष वर्ग का कहना है कि महिलाओं को संपत्ति का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब सरकार महिलाओं को संपत्ति का अधिकार देने की बात करती है, तो पुरुष वर्ग क्यों कतराता नज़र आता है। जब तक महिलाओं को संपत्ति का अधिकार नहीं दिया जाता, तब तक समाज में समानता का अधिकार कैसे देखा जाएगा। महिला वर्ग भी अपने अज्ञानता और शिक्षा की कमी के कारण अभी भी संपत्ति का अधिकार लेने से बहुत पीछे है। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है ताकि महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हो सकें।
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के सी चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं को संपत्ति का अधिकार दिया जाना चाहिए या नहीं इस पर क्षेत्र के लोगों की अलग अलग राय है, महिलाओं का भी कहना है कि उन्हें पति के संपत्ति में अधिकार चाहिए भाई के हिस्से में नहीं। वही पुरुष वर्ग भी महिलाओं को हिस्सा देने से कतराते हैं। मोबाइल वाणी के तरफ से लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि महिलाओं को उनके अधिकार मिलने के लिए उन्हें शिक्षा देना जरूरी है। महिलाओं को समाज में अपने अधिकारों की मांग करने का अधिकार या ज्ञान तब तक नहीं होगा जब तक कि वे शिक्षित नहीं होंगी। अक्सर देखा जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सत्तर प्रतिशत महिलाओं को मतदान करने का अधिकार नहीं है। आसपास की महिलाएं अभी भी अनपढ़ हैं, सरकार का कहना है कि महिलाओं को आरक्षण दिया जा रहा है लेकिन उनके पति या बेटे आरक्षण का लाभ उठाते हैं। ग्राम पंचायतों में अक्सर महिलाएँ ग्राम प्रधान होती हैं, लेकिन महिलाओं के साथ जाँच करने से यह भी पता चलता है कि हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि गाँव में कितना विकास हुआ है। अगर गाँव के लोग गाँव की मुखिया के पास जाते हैं, तो वह अंगूठे की छाप डालने में अनिच्छुक लगती है।
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के. सी.चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिला सम्पत्ति अधिकार पर लोगों की अलग - अलग राय है। कुछ लोग चाहते हैं कि महिलाओं को सम्पत्ति का अधिकार मिले। वहीं कुछ लोग नही चाहते हैं कि महिलाओं को सम्पत्ति का अधिकार मिले।सरकार ने महिलाओं को सम्पत्ति का अधिकार दिया है ,मगर महिलाओं को इसका लाभ नही मिल रहा है। हमारे समाज में ज्यादातर महिलाएं अशिक्षित हैं और अनपढ़ होने के कारण वे अपने अधिकारों को नहीं जान पाती हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के. सी. चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की महिलाओं को संपत्ति का अधिकार पाने के लिए उनका शिक्षित होना बहुत ही जरुरी है। पुरुष वर्ग महिलाओं को संपत्ति का अधिकार देने से कतराते नज़र आते है। कुछ महिलाओं का कहना है की हमें संपत्ति का अधिकार नहीं चाहिए, लेकिन देखा जाये तो खेती किसानी में अधिकतर महिलायें जुड़ी हुई है। अगर महिलाओं के पास भूमि का अधिकार नहीं रहेगा तो उन्हें कैसे कृषक का दर्जा दिया जायेगा। तो महिलाओं को संपत्ति का अधिकार पाने के लिए शिक्षा सबसे जरुरी है और उन्हें जागरूक होना भी बहुत जरुरी है। सरकार को भी इसके लिए आगे आना चाहिए और जगह जगह जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के. सी. चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लोगों को 'अपनी जमीन अपना अधिकार' कार्यक्रम पसंद आ रहा है और इसकी सराहना की जा रही है। क्योंकि जिस तरह से मोबाइल वाणी पर महिलाओं के संपत्ति अधिकारों पर चर्चा की जाती है, इस पर क्षेत्र के लोगों की अलग-अलग राय है। कुछ लोगों का कहना है कि संपत्ति का अधिकार दिया जाना चाहिए। कुछ लोग कहते हैं कि संपत्ति का अधिकार नहीं मिलना चाहिए। कुछ महिलाएं खुद संपत्ति का अधिकार नहीं लेना चाहती हैं ।इस कार्यक्रम के माध्यम से महिलाएं जागरूक हो रही हैं और अपने अधिकार की लड़ाई के लिए आगे आ रही हैं
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से रामप्रकाश सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की पुरुष वर्ग आज भी महिलाओं को उनके हक़ दिलाने में पीछे रहते है। पुरुष वर्ग महिलाओं को समाज में लाना नहीं चाहते है। महिलाओं को तमाम प्रकार का शोषण किया जाता है। महिलाओं को अपने घरो से भी नहीं निकलने देना चाहते है
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के. सी. चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की महिला समाज के लोगों का कहना है कि हम संपत्ति के अधिकार नहीं चाहते हैं क्योंकि संपत्ति के अधिकार लेने से से भाई-बहन के रिश्ते में दरार आएगी। वही पुरुष वर्ग का कहना है कि अगर महिलाओं को संपत्ति का अधिकार दिया जाता है, तो भाई-बहन के रिश्ते में खटास आएगी। अगर सरकार महिलाओं को पुरुषों के समान हिस्सा देने की बात करती है, तो महिलाओं को तब तक सशक्त नहीं किया जा सकता, जब तक कि महिलाओं को हर हिस्से में पुरुषों के समान भागीदारी नहीं होगी। इसलिए एक सशक्त महिला होने के लिए महिलाओं को संपत्ति का अधिकार देना उचित है। शिक्षा के आभाव में महिलायें यह नहीं जान पा रही है कि संपत्ति का अधिकार मिलने से लाभ होगा या हानि। लेकिन एक जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है कि महिलाओं को भी शिक्षित किया जाए और एक शिक्षित समाज तभी बनेगा जब वे अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे।
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मां से बेटी को संपत्ति कैसे हस्तांतरित की जाए,संपत्ति का हस्तांतरण विभिन्न कानूनी तरीकों जैसे उपहार विलेख, बिक्री विलेख, वसीयत या वसीयत के बिना किया जाता है। इसमें दस्तावेज और अनुपालन शामिल हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हस्ताक्षर आधिकारिक है. हिंदू अधिकार संशोधन अधिनियम, 2005 के अनुसार, बेटियों को अपने पिता की अर्जित संपत्ति पर बेटों के समान अधिकार हैं। अगर पिता बिना वसीयत बनाए मर जाता है, तो संपत्ति पर उन लोगों का बराबर का हिस्सा बन जाता है.