उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के. सी. चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से संजू से साक्षात्कार लिया। संजू ने बताया कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए विभिन्न तरह की योजनाएं चलाई जाती है। भूमि अधिकार कानून उनमे से एक है। शिक्षा के अभाव में महिलाएँ इन योजनाओं का लाभ नही ले पाती हैं। जब तक महिलाएं शिक्षित नही होंगी और अपने अधिकार की लड़ाई नहीं लड़ेंगी,तब तक उनका विकास नहीं होगा। वो समाज में पीछे रह जाएंगी। महिला ग्राम प्रधान के होते हुए भी उनके पति या बेटा काम करते हैं . महिला सिर्फ नाम की प्रधान होती है
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के. सी. चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि देश में महिलाओं के लिए नौकरी का अवसर नही है। महिलाएं कम पैसों में जगह - जगह काम करने के लिए मजबूर हैं। सरकार की कमजोरियों के वजह से समाज के प्रत्येक महिलाओं तक शिक्षा नही पहुँच पाया है। ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का अभाव है और महिलाएँ स्कूल भी नही जा पाती हैं। प्राथमिक और जूनियर को छोड़कर, महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा के लिए बहुत दूर जाना बहुत मुश्किल है, इसलिए परिवार भी महिलाओं को शिक्षा के लिए दूर नही भेजना चाहते हैं । यही कारण है कि महिलाएं अशिक्षित हैं और नौकरी से दूर हैं।
उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि अगर बेटी शादीशुदा है, तो बेटी को हिंदू अविभाजित परिवार का हिस्सा भी नहीं माना जाता है। 2005 के संशोधन के बाद बेटी को सम्मान उत्तराधिकारी माना गया है।अब बेटी की शादी से पिता की संपत्ति पर उसका अधिकार नहीं बदलता है, यानी बेटी की शादी के बाद भी पिता के संपत्ति पर अधिकार ले सकती है
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के. सी. चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिला सम्पत्ति अधिकार पर क्षेत्र के लोगों की राय अलग - अलग है। कुछ लोगों का कहना है कि महिलाओं का शिक्षा और सम्पत्ति का अधिकार ना दिया जाये,क्योंकि ऐसा होने से भाई - बहन के रिश्तों में दरार आएगा। लोगों के बीच तरह - तरह की भ्रांतियां फैली हुई है। महिलाओं को जागरूक होंगी तभी वो अपने हक़ का लाभ ले पाएंगी। महिलाओं को समूह बना कर अपने हक़ की आवाज उठानी चाहिए
उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से सरोज चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं के कृषि उद्योग में शामिल होने से महिलाओं के आर्थिक विकास के साथ साथ ग्रामीण विकास में भी मदद मिलेगी। स्वयं सहायत समूह छोटे कृषि उद्योग को चलने में मदद कर सकते है, जैसे की दुग्ध उत्पादन, शहद उत्पाद , बागबानी और जैविक खाद निर्माण आदि। महिलाओं को कृषि आधारित उद्योग के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, विकास कार्यकर्मो से जोड़ना चाहिए।
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के. सी. चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कुछ लोगों के अनुसार महिलाओं को संपत्ति का अधिकार दिया जाता है तो, भाई-बहन के संबंध बिगड़ जाएंगे। जबकि कुछ बहनों का यह भी मानना है कि पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा नही बल्कि पति के सम्पत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए। भाई-बहन का रिश्ता बहुत मधुर होता है, यदि रिश्ते में खटास आ जाएगी तो यह पवित्र रिश्ता खराब हो जाएगा।बहन हिस्सा लेगी तो वो पाटिदार हो जाएगी। परिवार में एकता बनाए रखने के लिए बहनें भी अपने भाई के पक्ष में दिखाई देती हैं और महिलाओं को महिला संपत्ति का अधिकार मिलता है, तो उन्हें यह पति के हिस्से में मिलना चाहिए।
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के. सी. चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षा के अभाव में महिलाओं को संपत्ति का अधिकार नहीं मिल रहा है। इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, इसके लिए महिलाओं को जागरूक करना आवश्यक है। जब तक महिलाओं को संपत्ति के बारे में जागरूक नहीं किया जाता है,तब तक महिलाएं पीछे रह जाएंगी। भले ही सरकार कहती है कि महिलाओं के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं और महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। इन क्षेत्रों में अभी भी कई पिछड़े लोग हैं जो संपत्ति के अधिकार और अन्य अधिकारों के बारे में नहीं जानते हैं।
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उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से रामप्रकाश सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कड़ी संख्या आठ 'अपनी जमीन, अपनी आवाज' बहुत पसंद आई। महिलाओं को सामने आने के लिए बहुत सारी उम्मीदें हैं। महिलाएं अभी भी बहुत पीछे हैं और शिक्षा की कमी के कारण समाज में अपना रुख नहीं दिखा पाती हैं, क्योंकि महिलाएं अभी तक परिवार के दबाव से बाहर नहीं निकल पाई हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से रामप्रकाश सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए कानून बनती है ,मगर जागरूकता के आभाव में महिलाएं इसका लाभ नही उठा पाती हैं। शासन- प्रसाशन और कानून महिलाओं को अधिकार नही दिला पाता है। महिलाएं भी चाहती हैं कि उन्हें पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिले, लेकिन पारिवारिक दबाव के कारण वो नही ले पाती हैं। भारत में नौ प्रतिशत महिलाएं आज भी शिक्षा के अभाव में पीछे हैं। यदि वो शिक्षित होती तो अपने हक़ की लड़ाई लड़ पाती और समाज में अपनी बात रख पाती । बड़े घर की महिलाएं आज भी घर से बाहर नही निकलती हैं। गरीब महिलाएं खेतों में काम कर के और मेहनत - मजदूरी कर के अपना घर संभाल रही हैं