उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से प्रशांत , की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अरुण कुमार से हुई। अरुण कुमार यह बताना चाहते है कि महिलाओं का अधिकार समाज में बहुत ही जरूरी अंग है। जिस प्रकार से मानव जीवन को चलाने के लिए एक तरफ पुरुष है और दूसरे तरफ महिला है दोनों एक दूसरे के पूरक है। जिस तरह से पुरुष को कई क्षेत्रों में अधिकार है उसी तरह से महिलाओं को अधिकार नहीं है। अधिकार नहीं होने की वजह से महिलाओं को बहुत अपमानित होना पड़ता है। इसीलिए महिलाओं को भी उनके मान सम्मान के लिए अपने जीवन के लिए अधिकार जरूरी है। महिलाओं को सभी क्षेत्रों के अधिकार मिलना चाहिए जैसे भूमि का अधिकार आदि।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि भारतीय समाज में महिलाएं अक्सर अपने परिवार और समुदाय के बिच में रह जाती है, क्यूंकि उनको पहले ही समझा दिया जाता है कि उनको परिवार और समुदाय के बिच में रहकर काम करना है। महिलाओं को कोई भी अधिकार नहीं दिया जाता है, उनको सभी अधिकारों से वंचित रखा जाता है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार महिलायें सिर्फ घर का काम ही देखेगी उनको बाहर के कामों से कोई मतलब नहीं रहता था लेकिन अब लोगों की जरूरत इतना बढ़ गया है जिसके महिलाओं को भी शसक्त होना जरूरी हो गया है। बच्चों का पढ़ाई का खर्चा बहुत बढ़ गया है और एक व्यक्ति के कामो से घर नहीं चलता है। जहाँ महिला जागरूक है वो बहार का काम कर रही है और पति भी उनका साथ देते है। महिलाओं को जमीन के बारे में कुछ पता नहीं होता है जिसके कारण उनके नाम से जमीन नहीं मिलता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिला और पुरुष दोनों को समान अधिकार मिलना चाहिए। जो लोग महिलाओं को सम्मान की नज़र से नहीं देखते है तो वह अशिक्षा का शिकार है। जिस तरह से पुरुषों का संपत्ति पर अधिकार होता है उसी तरह महिलाओं का भी होना चाहिए। आपस में भेद भाव नहीं होना चाहिए। जिस तरह से पुरुषों का सम्मान होता है उसी तरह महिलाओं का सम्मान होना चाहिए। महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से मोहम्मद इमरान ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत एक कृषि प्रधान देश होने के बावजूद महिलाओं को भूमि स्वामित्व का अधिकार देने में पीछे क्यों है, महिलाओं को उनका हक नहीं दिया जाता है। कानूनी रूप से या संसद भवन में महिलाओं के आरक्षण के लिए सभी प्रकार के कानून बनाए जाने के बावजूद पुरुष अधिकार नहीं देना चाहते हैं। लेकिन एक पुरुष प्रधान देश में महिलाओं के लिए अपने अधिकारों तक पहुँचना मुश्किल साबित हो रहा है। सेज स्टाम्प पेपर के नाम पर या भंडार में छूट पाने के लिए जमीन उनके नाम पर लिखी जाती है, लेकिन इसका स्वामित्व उनके परिवार के सदस्यों के पास रहता है। ऐसे में हमें जागरूक होने की जरूरत है और महिलाओं को भी अपने अधिकारों को समझने की जरूरत है, तभी हम महिलाओं को उनके अधिकार दे सकते हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से प्रशांत से हुई। ये कहते है कि बहुत अधिकारों से महिलाएं वंचित थी। जैसे शादी के पहले महिलाओं की संपत्ति पर अधिकार था पर शादी के बाद महिला का हक़ नहीं रहता था। अब नए कानून के तहत महिलाओं का संपत्ति पर अधिकार है। अगर वो चाहे तो अपना अधिकार वो ले सकती है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि भूमि हर जगह एक स्थायी संपत्ति मानी जाती है। किसी भी परिस्थिति में भूमि का उपयोग कर सकते है। कृषि प्रधान होने के नाते हमारा देश के पचास प्रतिशत लोग कृषि कार्य में जुटे है। जमीन हमारे पास है तो हमे सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। महिलाएं खेत में काम करती तो है पर उन्हें कृषक नहीं माना गया है। पितृ सत्ता होने के कारण सारा अधिकार पुरुष को दिया गया है। अब समाज को जागरूक होने की ज़रुरत है। महिलाओं में भी उनके अधिकारों के प्रति उनको जागरूक करना होगा। ताकि वो खुद अपने अधिकारों का रक्षा और इस्तेमाल करेंगी। जहाँ शिक्षा का स्तर ऊँचा है वहाँ पुरुष महिला साथ मिल कर काम करती है और समाज में आर्थिक रूप से उन्हें सशक्त माना जाता है। इसीलिए महिलाओं को भूमि अधिकार के बारे में बताना होगा।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिलाओं का भी जमीन पर अधिकार होना चाहिए। असमानताओं की बात है, तो कहीं न कहीं शुरुआत से चल रही अज्ञानता के कारण को समाप्त करने की आवश्यकता है, संपत्ति का अधिकार महिला और पुरुष दोनों को समान मिलना चाहिए। लड़का और लड़की में भेद भाव नहीं होना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से विजय पाल चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बतया कि नारियों का सम्मान किया जाना चाहिए। भारत में नारियों को देवी का दर्जा दिया जाता है। लेकिन फिर भी उनके साथ उत्पीड़न किया जाता है जो की बहुत गलत है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से नीतू सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि । पुरुषों की तुलना में महिलाओं को बहुत कम अधिकार हैं। भूमि और प्रकृति संसाधनों के समान अधिकारों के बिना लैंगिक समानता हासिल नहीं की जा सकती है, आज भी हमारा समाज पुरुष प्रधान है। इसके अलावा, अपने पिता या पति की पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है, पति या पिता के नाम के बिना, महिला समाज एक महिला को स्वीकार नहीं करता है।

उत्तप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि महिलाओं का जमीनी हक़ के लिए सरकार ने भी कानून बनाया है। पहले महिला की शादी नहीं होती थी तब तक पैतृक संपत्ति का अधिकार था। शादी के बाद महिला का जमीन पर न मायके में रहता था न ही ससुराल में। पति की मृत्यु हो जाने के बाद पत्नी को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था। पर अब ऐसा नहीं है। अब महिला को भी जमीन का अधिकार है। अब पति की मृत्यु के बाद पत्नी का भी बराबर हक होगा। ऐसे होने पर महिला आर्थिक रूप से मज़बूत है। कृषि योग्य भूमि बना रही है और जमीन रहने पर व्यापार का भी द्वार खुला हुआ है। जो महिला जागरूक नहीं है ,वो ही अपने अधिकार का इस्तेमाल सही से नहीं कर पाती है