उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से अरविन्द श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत वर्ष में महिलाएं सुनिया की सबसे ज्यादा सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिये पर दिखाई देती हैं, वैश्विक महामारी के बाद इसकी स्थिति और भी गंभीर हो गयी है। इस समय देश में लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं कृषि के काम में लगी होती हैं लेकिन उनमे से केवल 10 से 12 प्रतिशत महिलाओं के नाम ही भूमि में है। विस्तारपूर्वक खबर सुनने के लिए क्लिक करें ऑडियो पर।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से विजय पाल चौधरी ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते कि महिलाओं की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने के लिए जमीन में हक़ ज़रूरी है। महिलाएं भी किसी की बेटी,पत्नी,बहु होती है। इसीलिए उनका हक़ भी ज़मीन पर होना चाहिए। बहुत जगह में महिलाओं को घर तक ही सीमित रखा जाता है। उन्हें कोई अधिकार नहीं दिया जाता है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। महिलाओं को भी जमीन पर अधिकार मिलना चाहिए

महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक स्वतंत्रता के लिए ऐसा क्या किया जा सकता है कि जिससे कि उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सके, और एक स्वतंत्र नागरिक के तौर पर माना जा सके बनिस्बत इसके कि वह किसी की बेटी या किसी की पत्नी है? जबकि संविधान महिला और पुरुष में भेद किये बिना सबको समान मानता है, इसका जवाब है, भूमि अधिकार और संपत्ती पर हक। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं ? *----- "* इतिहास से लेकर वर्तमान तक महिलाओं की सशक्त भूमिका रही है, उसके बाद भी अभी तक उन्हें विकास की मुख्यधारा में नहीं लाया जा सका है, आपको इसके पीछे क्या कारण लगते है ? * महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने और उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने के लिए किस तरह के सुधारों की आवश्यकता है? "

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिलाओं का सम्म्मान होना चाहिए। महिलाओं के साथ भेद भाव नहीं होना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली , की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मोहम्मद जुबेर से हुई। मोहम्मद जुबेर यह बताना चाहते है कि पुरषों के समान महिलाओं को भी अधिकार मिलना चाहिए। पिता के नहीं रहने पर बेटा और बेटी दोनों को समान संम्पत्ति का अधिकार मिलना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से प्रशांत , की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अरुण कुमार से हुई। अरुण कुमार यह बताना चाहते है कि महिलाओं का अधिकार समाज में बहुत ही जरूरी अंग है। जिस प्रकार से मानव जीवन को चलाने के लिए एक तरफ पुरुष है और दूसरे तरफ महिला है दोनों एक दूसरे के पूरक है। जिस तरह से पुरुष को कई क्षेत्रों में अधिकार है उसी तरह से महिलाओं को अधिकार नहीं है। अधिकार नहीं होने की वजह से महिलाओं को बहुत अपमानित होना पड़ता है। इसीलिए महिलाओं को भी उनके मान सम्मान के लिए अपने जीवन के लिए अधिकार जरूरी है। महिलाओं को सभी क्षेत्रों के अधिकार मिलना चाहिए जैसे भूमि का अधिकार आदि।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि भारतीय समाज में महिलाएं अक्सर अपने परिवार और समुदाय के बिच में रह जाती है, क्यूंकि उनको पहले ही समझा दिया जाता है कि उनको परिवार और समुदाय के बिच में रहकर काम करना है। महिलाओं को कोई भी अधिकार नहीं दिया जाता है, उनको सभी अधिकारों से वंचित रखा जाता है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार महिलायें सिर्फ घर का काम ही देखेगी उनको बाहर के कामों से कोई मतलब नहीं रहता था लेकिन अब लोगों की जरूरत इतना बढ़ गया है जिसके महिलाओं को भी शसक्त होना जरूरी हो गया है। बच्चों का पढ़ाई का खर्चा बहुत बढ़ गया है और एक व्यक्ति के कामो से घर नहीं चलता है। जहाँ महिला जागरूक है वो बहार का काम कर रही है और पति भी उनका साथ देते है। महिलाओं को जमीन के बारे में कुछ पता नहीं होता है जिसके कारण उनके नाम से जमीन नहीं मिलता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिला और पुरुष दोनों को समान अधिकार मिलना चाहिए। जो लोग महिलाओं को सम्मान की नज़र से नहीं देखते है तो वह अशिक्षा का शिकार है। जिस तरह से पुरुषों का संपत्ति पर अधिकार होता है उसी तरह महिलाओं का भी होना चाहिए। आपस में भेद भाव नहीं होना चाहिए। जिस तरह से पुरुषों का सम्मान होता है उसी तरह महिलाओं का सम्मान होना चाहिए। महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से मोहम्मद इमरान ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत एक कृषि प्रधान देश होने के बावजूद महिलाओं को भूमि स्वामित्व का अधिकार देने में पीछे क्यों है, महिलाओं को उनका हक नहीं दिया जाता है। कानूनी रूप से या संसद भवन में महिलाओं के आरक्षण के लिए सभी प्रकार के कानून बनाए जाने के बावजूद पुरुष अधिकार नहीं देना चाहते हैं। लेकिन एक पुरुष प्रधान देश में महिलाओं के लिए अपने अधिकारों तक पहुँचना मुश्किल साबित हो रहा है। सेज स्टाम्प पेपर के नाम पर या भंडार में छूट पाने के लिए जमीन उनके नाम पर लिखी जाती है, लेकिन इसका स्वामित्व उनके परिवार के सदस्यों के पास रहता है। ऐसे में हमें जागरूक होने की जरूरत है और महिलाओं को भी अपने अधिकारों को समझने की जरूरत है, तभी हम महिलाओं को उनके अधिकार दे सकते हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से प्रशांत से हुई। ये कहते है कि बहुत अधिकारों से महिलाएं वंचित थी। जैसे शादी के पहले महिलाओं की संपत्ति पर अधिकार था पर शादी के बाद महिला का हक़ नहीं रहता था। अब नए कानून के तहत महिलाओं का संपत्ति पर अधिकार है। अगर वो चाहे तो अपना अधिकार वो ले सकती है