केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना पूरी तरीके से ठप हो गई है 5 माह से इस योजना में कार्य कर्मियों को वेतन नहीं मिल रहा है जिससे लाभार्थी भी परेशान हैं प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना उत्तर प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा पिछले 6 वर्षों से संचालित किया जा रहा था इसके सफल संचालन के लिए जिले स्तर पर कर्मियों की नियुक्ति जिला स्वास्थ्य समिति के माध्यम से किया गया था जिसमें जिला कार्यक्रम समन्वय एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी की नियुक्ति किया गया था इस कार्यक्रम आगे चल रहा था लेकिन जून 2023 में प्रदेश के हाई लेवल की बैठक में प्रमुख सचिव के अध्यक्षता में या निर्णय लिया गया कि अब यह कमी महिला कल्याण विभाग में समायोजित होंगे ह ई व के अंतर्गत प्रावधानिक पड़ा जहां से उक्त कर्मियों को वेतन भी दिया जा रहा था लेकिन पिछले 5 माह से मुक्त कर्मियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है और ना ही बैठक के लिए कोई जगह दिया जा रहा है मुक्त कमी सांसद विधायक एवं उन अधिकारियों से वेतन दिलाने की मांग को लेकर पत्र भी दिया लेकिन अभी तक इन कर्मियों को वेतन नहीं मिला जिससे यह कमी और इनका परिवार भुखमरी के कगार पर है।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि जब उनकी बातचीत महिलाओं से हुई तो महिला यह बताई कि महिला और पुरुष में भेद - भाव ख़त्म नहीं होगी। महिला को पूर्ण रूप से अधिकार नहीं मिल पायेगी। कुछ महिलाओं ने कहा की अगर हम पुरुष का सम्मान करेंगे तो वह भी महिला का सम्मान करेंगे।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से बृजेश से हुई थी । बृजेश ये बताए कि महिलाओं को पढ़ाया नहीं जाना चाहिए क्योंकि अगर वह पढ़ लेंगी तो पुरुष के सामन खड़ी हो जाएगी। आपस में लड़ाई होगी। अगर वे पढ़ते-लिखते हैं, तो वे होशियार होंगे, फिर वे अपने अधिकार मांगेंगे और जमीन मांगेंगे, तो लड़ाई होगी, ऐसी स्थिति में उन्हें बहुत ज्यादा नहीं पढ़ाया जाना चाहिए।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से मोहम्मद इमरान , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि अधिकांश महिलाओं का कहना है कि वो लोग किसी भी मामले में पीछे नहीं है। वह वर्तमान में धान के प्रत्यारोपण से लेकर धान की निराई तक सभी काम खेतों में करते हैं, लेकिन अपने घरों में उनके पति की भूमि का स्वामित्व नहीं मिलता है, उन्हें यह अधिकार तभी मिलता है जब पति की मृत्यु हो जाती है या पति की मृत्यु के बाद विरासत में मिलता है। हमें स्वामित्व का अधिकार तभी मिलता है जब भूमि उस रूप में खरीदी जाती है या जब पति द्वारा भूमि खरीदी जाती है, ऐसे मामले में, उनको भूमि पर अधिकार मिल पाता है। वर्तमान में सरकार सरकारी योजनाओं में महिलाओं को 100 प्रतिशत लाभ दे रही है, लेकिन आज भी महिला पिछड़ी हुई है।
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उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि हमारे देश में सामाजिक न्याय और समानता के आधार पर, जब उन्होंने आज एक बैठक की और बैठक में महिलाओं के साथ चर्चा की, जब उन्होंने अधिक महिलाओं से बात की कि समानता और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने में पुरुषों और लड़कों की भूमिका क्या होनी चाहिए, तो उसमें मौजूद लोगों में से एक ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि महिला तब तक आगे नहीं बढ़ी है , जब तक कि उसने पढ़ना नहीं सीखा है । कहीं न कहीं यह सच है कि जागरूकता के बिना, शिक्षा के बिना, वह अपने अधिकारों को नहीं जान सकती।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से रमजान अली , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि उन्होंने महिलाओं के साथ बैठक की जिसमे महिलाओं को कैसे सशक्त किया जाये इसकी चर्चा की गई , जिसमे कई महिलाओं की अलग-अलग राय थी। एक महिला ने बताया की सरकार तो जागरूक कर रहे लेकिन महिला जागरूक होगी तभी अच्छी बात होगी। वह जागरूक ही नहीं होती है। वह सरकार की बातों को सुनती तो है लेकिन उसपर अमल नहीं करती है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना चाहिए।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से मोहम्मद इमरान , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है उन्होंने दुबौलिया प्रखंड क्षेत्र में पुरी औरिराई ग्राम पंचायत में महिलाओं के साथ बैठक की। जिसमें ज्यादातर महिलाओं का कहना है कि उनके अधिकारों के बारे में हर कोई बात करता है, चाहे वह घर के लोग हों ,सरकार के, बाहर के या प्रशासन के लोग। हर कोई बात करता है, सरकार उनके अधिकार देने के लिए हर तरह के प्रयास करती है जो कहीं न कहीं लोग उन्हें नहीं देना चाहते हैं। चाहे वह आरक्षण के माध्यम से हो या किसी और के माध्यम से, लेकिन किसी पद पर चुने जाने के बाद एक जन प्रतिनिधि के रूप में, उन्हें अपनी बात रखने के लिए सभा में जाने या गाँव में कहीं और जाने की अनुमति नहीं होती है। इसके लिए, पुरुष वर्ग केवल अपनी बात रखने के लिए बैठक या कहीं और जाते है। ऐसी स्थिति में वह केवल मोहरे के रूप में रह जाते हैं।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि लैंगिक असमानता स्कूल में शुरू नहीं होती है, बल्कि गर्भधारण के समय शुरू होती है, लोग जांच कराकर पता लगा लेते है कि लड़का है या लड़की ,अगर लड़की हुई तो उसे पैदा होने से रोकने के लिए कई प्रयास किए जाते हैं। समाज में लोग लड़के की इच्छा में, कई प्रकार के कार्य करते रहते है। समाज में लोगों का यह मानना है कि पुरुष ही केवल घर चला सकते हैं,लेकिन ऐसा नहीं है। आज भी महिलाएं उंचाईयों पर है और नौकरियों में भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएँ कृषि का काम कर रही है। वह कृषि का काम तो कर रही है लेकिन उन्हें जमीन पर मालिकाना हक़ नहीं मिला है। पुरुष प्रधान देश होने के नाते जमीन पर हक़ पुरुषों को ही दिया जाता है। महिलाओं को जमीन पर हक़ प्राप्त करने में कठिन संगर्ष करना पड़ता है। कई महिलायें पैतृक संम्पत्ति नहीं लेना चाहती है क्योंकि उनका मानना है कि हक़ लेने पर घर में विवाद हो सकता है। सरकार द्वारा यह कानून भी बनाया गया है कि अगर पति की मृत्यु हो जाती है तो जमीन पर पत्नी को भी हक़ मिलेगा।