उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बालमपुर से वीर बहादुर यादव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि समाज में ना तो महिलाएं अपने पति का नाम लेते हैं और ना पति अपने महिला का नाम लेते हैं महिला को अगर पुकारते हैं तो उनके बच्चे के नाम से पुकारते हैं या उनके मायके के नाम से पुकारते हैं। ऐसी परंपराएं रही हैं जो उनकी रूढ़िवादी सोच हैं, पुरानी परंपराओं को आगे बढ़ाया गया है क्योंकि कुछ महिलाएं अपने पति का नाम लेने से बचती हैं क्योंकि ऐसी कई परंपराएं हैं जिन्हें हमारे पूर्वजों ने आगे बढ़ाया है। और जो बात आपने हमें बताई वह यह है कि महिलाओं को नाम नहीं लेना चाहिए, इसलिए यह पुरानी परंपरा है, इनमें से कुछ में निरक्षरता की भी कमी है, उनमें से कुछ को निरक्षर होते हुए भी इसकी जानकारी नहीं है, अगर वे शिक्षित हैं, तो हर जगह। मैंने देखा है कि शहरी इलाकों में जब महिलाएं किसी कारण से अपने पति के नाम पर अटक जाती हैं तो महिलाओं को अपने पति का नाम लेने में कोई झिझक नहीं होती।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बालमपुर से वीर बहादुर यादव , की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से विशाल जी से हुई। विशाल जी बताते है कि महिलाओं को महिलाओं के नाम से नहीं जाना जाता है उनके बच्चे या उनके पति के नाम से जाना जाता है। महिलाएं अपने लिए आवाज नहीं उठा पाती है। इस परम्परा को ठीक करने के लिए लोगों को शिक्षित होना बहुत जरूरी है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की महिलाओं के साथ आर्थिक या शारीरिक शोषण आम बात है, अगर इन अपराधों की एक सूची तैयार की जाती है, तो कई पृष्ठ भर जाएंगे। सरकार को इन अत्याचारों के बारे में पता भी नहीं है।महिलाओं की रक्षा के लिए कई कानून है। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि आम महिलाएं इन कानूनों के बारे में कितनी जागरूक हैं, वे अपने अधिकारों के लिए इन कानूनों का कितना उपयोग कर पा रही हैं। संविधान ने महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिए हैं। महिलाओं के खिलाफ हिंसा, महिला श्रमिकों के अधिकारों को बढ़ाने और समाज में अपनी स्थिति को मजबूत करने के खिलाफ लोगों की बढ़ती संख्या एक सौ पचास देशों में अब घरेलू हिंसा पर कानून हैं एक सौ चालीस देशों में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून हैं। कानून हैं, लेकिन इसके बावजूद महिलाओं और पुरुषों के बीच असमानता अभी भी बहुत गहरी है और इसे भरने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है, जो चुनौतियों से भरा होगा

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की महिलाएँ अदालत जाने के अपने अधिकार का उपयोग नहीं कर पाती हैं।इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि महिलाएँ खुद को इतना बड़ा कदम उठाने के लिए स्वतंत्र नहीं मानती हैं। आज भी हमारे देश में दहेज के लिए हजारों लड़कियों को जलाया जा रहा है और बहुत सी लड़कियों को यौन शोषण की शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। महिलाएं अपने अधिकारों का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पा रही हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की महिलाओं को भेदभाव से गुजरना पड़ता है, उसे पुरुषों से कमतर माना जाता है।महिलाओं को समाज में पुरुषों के समान अधिकार नहीं है। उसे सदियों से पुरुषों के साथ समान अधिकार पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। ग्रामीण क्षेत्र में उनकी स्थिति अभी भी दयनीय है। अगर समाज में ऐसा ही चलता रहा तो महिलाओं को समाज में पुरुषों के समान अधिकार कैसे मिलेंगे। वे हमेशा गुलाम का जीवन जीते रहेंगी

उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर से वीर बहादुर यादव ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि आज आधी से अधिक आबादी गाँवों में रहती है। महिलाओं को शिक्षा से भी वंचित किया जा रहा है। महिलाओं को वह शिक्षा नहीं दी जा रही है जिसके वे हकदार हैं। और महिलाएँ पुरुषों से कम नहीं हैं, वे उनसे आगे हैं, लेकिन हमारा समाज अब महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं दे रहा है। और उसके बाद महिलाओं को समाज में महिलाओं के रूप में नहीं जाना जाता है, वे या तो अपनी मायके या अपने बच्चे या अपने पति के नाम से जानी जाती हैं। समाज में बहुत भ्रम है, महिलाओं को समाज में आने के लिए आगे आना चाहिए और उन्हें भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उन्हें शिक्षा दी जानी चाहिए और महिलाओं को पूरा अधिकार दिया जाना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से वीर बहादुर यादव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिलाओं को महिलाओं के नाम से नहीं पुकारा जाता है। समाज में महिलाओं को उनके पति या उनके बेटे या उनकी मां के नाम से बुलाया जाता है। इसलिए समाज में महिलाओं को महिलाओं के रूप में जाना जाना चाहिए। वे महिलाओं को न तो महिलाओं के नाम से जानती हैं और न ही उनके नाम से।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कई राज्यों में कन्या सम्बंधित योजनाएं लागु है। जैसे-कन्या के जन्म पर उसके माता-पिता को नगदी देना,कुछ पॉलिसी में किश्तों पर भुगतान किया जाता है। जो कन्या के विवाह के समय परिपक्व होती है। स्थानीय पंचायत को भी कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए। स्थानीय नेता को जनता को शिक्षित तथा जागरूक करने के लिए अपने क्षेत्र से शिक्षित लोगों को नियुक्त करना चाहिए। ताकि लोगों की सेवा ली जा सके और कन्या भ्रूण हत्या को रोका जा सके। कन्या भ्रूण हत्या विरोधी अभियानों में, महिलाओं को अभियान में सबसे आगे होना चाहिए। सूचना देने वालों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए। इस कुप्रथा के प्रभाव और गंभीरता के बारे में व्यापक मीडिया कवरेज होनी चाहिए।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं ने शुरू से ही हमारे समाज में कई प्रकार के अत्याचारों का सामना किया। जैसे कई सारी कुरीतियां हमारे समाज में सालों तक रही हैं जिन्होंने महिला के अस्तित्व को पुरुष सेजोड़ कर देखा है। आज भी हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में यह देखा जाता है कि लोग महिला को उनके पति या बेटे के नाम से जानते हैं। प्रियंका के अनुसार महिला की अपनी एक अलग पहचान होनी चाहिए। ताकि वो अपने नाम से जानी जाएँ

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के अधिकारों के लिए बहुत खास माना जाता है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस केवल महिलाओं को धन्यवाद देने या उन्हें उपहार देने का दिन नहीं है। यह महिलाओं के खिलाफ वर्षों के भेदभाव को समाप्त करने और उन्हें समाज में समान अधिकार देने का दिन है। यह दिन महिलाओं के अधिकारों के लिए उठाई गई आवाज़ों का समर्थन करने के लिए होता है। वर्षों से जड़ें जमाए हुए पैतृक समाज में महिलाओं को कई स्थानों पर पुरुषों की तरह स्वतंत्रता नहीं मिली है।इसलिए महिला दिवस मानना बहुत जरुरी है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।