हांगकांग के फूड सेफ्टी विभाग सेंटर फॉर फूड सेफ्टी ने एमडीएच कंपनी के मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला मिक्स्ड पाउडर और करी पाउडर मिक्स्ड मसाला में कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड पाया है और लोगों को इसका इस्तेमाल न करने को कहा है. ऐसा क्यों? जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है। सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

थोर यानी केले के पेड़ के तने का बिलकुल अंदर का सफ़ेद नरम हिस्सा। थोर को धोकर बारीख काट ले। थोर में रेशें हो तो उसको काट ते समय हटा दे. थोर को काटके तुरंत पानी में रखे वरना थोर काला पढ़ जायेगा। दूसरे सब्ज़ी में आलू, मूली और कच्चा पपीता को बिलकुल छोटे टुकड़ों में काट ले. थोर २ भाग, आलू १ भाग, पपीता और मूली भी १-१ भाग ले। उड़द दाल के बड़ी को तेल में अच्छे से फ्राई कर ले और उसको छोटे टुकड़ों में तोड़ ले। अब कढ़ाई में थोड़ा सरसो का तेल ले. गरम होने पे उसमे पांच फोरन, तेज पत्ता, और जीरा का तड़का डाले। अब तेल में आलू, पपीता और मूली डालके उसको पकाएँ थोड़ी देर बाद उसमे सवदानुसार नमक और हल्दी डालके २ मिनट पकायें। अब कढ़ाई में कटी हुई थोर को भी डाल दे और 5 मिनट धीमे आँच में अच्छे से पकाएँ। अब इसमें पानी डाले, पानी इतना ही डाले जिससे सरे सब्ज़ी गाल जाए और सूखी सब्ज़ी बन पाए. जब पानी में उबाल आये उसमे फ्राई बड़ी के टुकड़ों को भी डाल दे और सब्ज़ी अच्छे से पकायें। जब सब्ज़ी पक जाए और पानी भी लगभग सूख जाए तब 1 /4 टेबल स्पून चीनी और १ टेबल स्पून घी डाल के मिला ले. गैस बंद सब्ज़ी क ऊपर भुजा हुआ जीरे का पाउडर छिरका दें। थोर घोंटो खाने के लिए तैयार है।

नमस्ते , मेरा नाम अरुंधति दास है , मैं बहरामपुर , मुर्शिदाबाद जिला , पश्चिम बंगाल से बोल रही हूँ , मैं एक पारंपरिक बंगाली व्यंजन बताने जा रही हूँ जिसे आमशूल कहा जाता है । यह ज्यादातर गर्मियों में हमारे द्वारा खाया जाता है क्योंकि इसमें बहुत कम मसाले होते हैं और यह आम भी है , इसलिए यह माना जाता है कि यह गर्मियों में गर्मियों के लिए बहुत अच्छा होता है , इसके अलावा इसमें विभिन्न प्रकार के विटामिन होते हैं । इन सभी पोषक तत्वों में विटामिन ए भी पाया जाता है , इसलिए नुस्खा में , हम पहले शोल मार्च लेंगे , जो ताजा होना चाहिए । इसे काटें , धोएँ , इसमें हल्दी और नमक मिलाएँ , इसे सरसों के तेल में बहुत हल्का करें , इसे बहुत जोर से न तलें , हल्का तलें , अब इसे तेल से हटा दिया जाएगा , फिर हम इसका आनंद लेंगे । अब एक आम , खट्टा आम , कच्चा आम लें , उसे छीलकर चार लंबे टुकड़ों में काट लें और फिर तेल में डाल दें । वे इसे कुछ समय के लिए पकाएंगे , फिर इसमें नमक और हल्दी डालेंगे । वे विशेष व्यंजन बनायेंगे । अब हम मसाले का पेस्ट बनायेंगे । आधा किलो मछली के लिए हमें दो बड़े चम्मच खसखस या खसखस , दो बड़े चम्मच सरसों के बीज और दो बड़े चम्मच मछली का तेल लेना होता है । अब जब आम कड़ाही में पकने लगेंगे , तो हम इस सरसों और खसखस का पेस्ट डालेंगे और पकाएंगे , फिर हम इसमें पानी डालेंगे । गुनगुना पानी मिलाने के बाद जब आम अस्सी से नब्बे प्रतिशत पक जाए तो हम मछली को तलने में डाल देंगे और इसे फिर से दो से तीन मिनट तक पकाएंगे । इसे बनाने के लिए , हम स्वाद के अनुसार थोड़ी मात्रा में चीनी डालेंगे , इसलिए यह नुस्खा को बेहतर बनाता है , यह बहुत अच्छा है , इसमें हमारी ग्रेवी भी है , यह सूखा नहीं है और इसे भारी चावल के साथ खाया जाता है ।

नमस्ते , मेरा नाम अरुंधति दास है , मैं पश्चिम बंगाल के मुशिदा जिले से बोल रही हूँ । मैं आपको एक और पारंपरिक बंगाली रेसिपी बताने जा रही हूँ जिसका नाम थोडी भापा थोर है । दरअसल , यह एक केले का पेड़ है । सफेद नरम हिस्सा जो तने के अंदर है , जिसे हम हिस्का कहते हैं , जिसे हम थोडी कहते हैं , हम इसे ले लेंगे , हम इसे अच्छी तरह से धो लेंगे , इसे काट देगी , अगर थोड़ी में आँसू हैं , तो हमें काटते समय रीसता है तो निकालना होगा । अगर हमें इसे तुरंत पानी में डालना पड़े , नहीं तो यह काला हो जाएगा , अब हम पानी से पाउडर निकालेंगे और इसे मिक्सर में या सीम पर पीस लेंगे । पीसने के दौरान हमें पानी का उपयोग नहीं करना पड़ता है । यह बहुत सूखा होता है । ग्राइंडिंग होती है और थोडी से पानी भी निकलता है , इसलिए हमें अलग से पानी नहीं डालना पड़ता है । अब मसालों की बारी है । मसालों के लिए , पाँच सौ ग्राम थोडी के लिए , हम दो बड़े चम्मच पीले सरसों लेंगे । दो बड़े चम्मच काली सरसों । एक ठंडी चौकी लें और दो से तीन हरी मेज लें और एक पेस्ट बनाएं और पेस्ट बनाते समय एक चुटकी नमक डालें ताकि सरसों की कड़वाहट मसाला में न आए । और हम इसमें थोड़ा चावल और थोड़ा मसाला पेस्ट , और स्वाद के लिए थोड़ा नमक , और एक चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर , और एक चौथाई चम्मच चीनी , और चार चम्मच सरसों का तेल डालेंगे , और उन सभी को अच्छी तरह से मिलाएँ । हम टिफिन बॉक्स का ढक्कन बंद कर देंगे और हम खाना पकाने के लिए कड़ाई में पानी लेंगे और उसे गर्म करेंगे । जब पानी गर्म हो जाएगा , हम पानी के अंदर एक स्टैंड रखेंगे और हम इस टिफिन बॉक्स को स्टैंड के ऊपर रखेंगे । हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि कड़ाई में इतना ही पानी हो ताकि पानी स्टैंड में रखे टैफिन बॉक्स के नीचे तक रहे , वह ज्यादा ऊपर न आए । आज खाना पकाने के बाद हम रुकेंगे और इसे ठंडा होने देंगे । जब यह ठंडा हो जाएगा , तो हम टिफिन बॉक्स को कसकर बाहर निकालेंगे और ये अभी हम लोग जो हम लोग की विधि को पूरा करेंगे । पूरा यह है कि हम इसे रोटी या चावल के साथ खा सकते हैं । थोड एक बहुत ही पौष्टिक सब्जी है जिसमें विटामिन बी 6 और आयरन और इसके ग्लेज़ के अलावा बहुत सारे फाइबर होते हैं ।

नमस्कार , मेरा नाम अरुंधति दास है, मैं पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बरमापुर से बोल रही हूं आज मैं एक पारंपरिक बंगाली डिश की कहानी बताने जा रही हूं जिसका नाम शुक्तो है । शुक्तो में हम कई प्रकार की सब्जियों का उपयोग करते हैं और यह एक बहुत ही स्वस्थ नुस्खा है जिसमें हम आलू , शकरकंद , करेला , कच्चा केला , कच्चा पपीता , बैंगन जैसी सब्जियों का उपयोग करते हैं । हम चना की छड़ियाँ और सेम जैसी सब्जियाँ लेते हैं , फिर हम इन सब्जियों को लंबे टुकड़ों में काटते हैं , फिर हम एक कड़ाही में तेल लेते हैं , सरसों के तेल में , हम उड़द की दाल लेते हैं जो बड़ी होती है । हम इसे सुनहरा होने तक तलेंगे , अब इसे तेल से बाहर निकालें और तेल में सभी सब्जियों को एक - एक करके सुनहरा होने तक तलें , और अंत में हम लौकी को तलेंगे और उसे भी हटा देंगे । अगर कोई बचा है , तो फिर से हमें उसमें एक अलग मसाले का तड़का देना होगा और अगर तेल नहीं बचा है , तो उसे फिर से गर्म करके उसमें तेल डाल कर फोड़ें । तेजपत्ता का सूखी मिर्च और रामधुनी बोल का मसाला होता है । हम अब यह तय करेंगे । हम इसमें पानी भी डालेंगे और इसे कुछ मिनटों के लिए पकाएंगे । अब जब कुछ मिनट का समय होगा तो हम उसमें पोस्ट यानी खरस खास पेज और सरसों भी डालेंगे और मछलियों को दो मिनट तक पकाएंगे । उसके बाद , हम नमक और चीनी डालेंगे और इसे फिर से पकाएंगे । कुछ समय के लिए , हम इस मसाले के मिश्रण में दूध और पानी डालेंगे और इसे उबलने देंगे । जब यह उबलता है , तो हम इसमें तली हुई सब्जियां डाल देंगे । ढक्कन से ढक दें और लगभग आठ से दस मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं ताकि सब्जियां नब्बे प्रतिशत पकने पर सभी सब्जियां अच्छी तरह से पक जाएं और जो टूटी हुई दाल की बड़ी है उस को भी इसमें डाल देंगे और हमें देखना होगा कि पानी डालना है या नहीं क्योंकि जो आनंद लिया जाता है उसमें पर्याप्त ग्रेवी होनी चाहिए । थोड़ा पानी डालें और इसे अच्छी तरह से मिलाएं जब तक कि यह बहुत नरम न हो जाए और बड़ी के अंदर जो ग्रेवी है वह प्रवेश नहीं करती है , फिर जब इसे पकाया जाता है , तो कुछ मिनटों के बाद , हम इसमें पकने के बाद रामधुनी के पाउडर को फिर डालते हैं । पाउडर मिलाया जाएगा और पकने के बाद बंद किया जाएगा और मिलाने के बाद यह फिर से दो मिनट के लिए उबल जाएगा और अब इसे बंद कर दिया जाएगा , हम इसे चावल के साथ खा सकते हैं

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है। सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

भारत गंभीर भुखमरी और कुपोषण के से जूझ रहा है इस संबंध में पिछले सालों में अलग-अलग कई रिपोर्टें आई हैं जो भारत की गंभीर स्थिति को बताती है। भारत का यह हाल तब है जब कि देश में सरकार की तरफ से ही राशन मुफ्त या फिर कम दाम पर राशन दिया जाता है। उसके बाद भी भारत गरीबी और भुखमरी के मामले में पिछड़ता ही जा रहा है। ऐसे में सरकारी नीतियों में बदलाव की सख्त जरूरत है ताकि कोई भी बच्चा भूखा न सोए। आखिर बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं।स्तों क्या आपको भी लगता है कि सरकार की नीतियों से देश के चुनिंदा लोग ही फाएदा उठा रहे हैं, क्या आपको भी लगता है कि इन नीतियों में बदलाव की जरूरत है जिससे देश के किसी भी बच्चे को भूखा न सोना पड़े। किसी के व्यक्तिगत लालच पर कहीं तो रोक लगाई जानी चाहिए जिससे किसी की भी मानवीय गरिमा का शोषण न किया जा सके।

एक सामान्य समझ है कि कानून और व्यवस्था जनता की भलाई के लिए बनाई जाती है और उम्मीद की जाती है कि जनता उनका पालन करेगी, और इनको तोड़ने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसके उलट भारतीय न्याय संहिता में किये गये हालिया बदलाव जनता के विरोध में राज्य और पुलिस को ज्यादा अधिकार देते हैं, जिससे आभाष होता है कि सरकार की नजर में हर मसले पर दोषी और पुलिस और कानून पूरी तरह से सही हैं।

दैनिक जागरण बिहार की मई 2023 की रिपोर्ट के अनुसार नरपतगंज प्रखंड से सटे सुपौल जिला के छातापुर प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय ठूठी में सोमवार को एमडीएम परोसने के क्रम में बच्चों के भोजन में मरी हुई छिपकली मिली, जिसके बाद बच्चों व गांव वालों में हड़कंप मच गया। लेकिन क्या ये हड़कंप हमारा अपने जन प्रतिनिधियों के सामने झलकता है ? जिस पन्ना ज़िले के स्कुल में 40 बच्चे बीमार हो गए , क्या वोट देते समय हम ये बात सोचते है? नहीं .. बिलकुल भी नहीं सोचते। क्योंकि हम एक वोट देने की मशीन में ढल चुके है। कुछ लोग इसे मेरी ही मूर्खता करार देंगे कि मध्यान भोजन के लिए हम नेताओ को दोष क्यों दें ? लेकिन सच ये है कि जब तक कोई घटना हमारे या हमारे अपनों के साथ नहीं घटती , तब तक हम राजनितिक पार्टियों की चाटुकारिता में लगे रहते है। लोग आपको ही बार बार समझायेंगे कि हमें इन सभी पचड़ों में नहीं पड़ना चाहिए। दोस्तों, अपने देश, समाज और बच्चों के भविष्य को बदलने के लिए किसी न किसी को शुरुआत करनी पड़ेगी और वह शुरुआत स्वयं से ही होगी, इसके बाद अन्य समाज के लोगों का साथ मिलता चला जाएगा। तब तक आप हमें बताइए कि * ------ आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन की स्थिति क्या है ? *------- आपने क्षेत्र या गाँव के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कैसा पौष्टिक खाना मिलता है क्या ? आपके अनुसार बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन का क्या मतलब है ? *------ साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।