सरकारी संस्था आईसीएमआर के डाटाबेस में सेंध लगाकर चुराया गया 81 करोड़ लोगों का डाटा इंटरनेट पर बिक्री के लिए उपलब्ध है। लीक हुए डाटा में लोगों के आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी, पासपोर्ट, नाम, फ़ोन नंबर, पते सहित तमाम निजी जानकारियां शामिल हैं। यह सभी जानकारी इंटरनेट पर महज कुछ लाख रुपये में ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध है। इसे डाटा लीक के इतिहास का सबसे बड़ा डाटा लीक कहा जा रहा है, जिससे भारत की करीब 60 प्रतिशत आबादी प्रभावित होगी।

बिहार राज्य से हमारी एक श्रोता कह रहीं हैं कि, इन्हें आधार कार्ड बनवाना है इन्हें कोण कोण से दस्तावेज़ की ज़रूरत होगी और आधार कैसे बनेगा?

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बिहार राज्य के गया ज़िला ले बांके बाजार प्रखंड से मृत्युंजय कुमार ,मगध मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि लालबीघा ग्राम निवासी पिंकी देवी अपने बच्चे का आधार कार्ड बनवाने के लिए परेशान है। कई बार प्रखंड के चक्कर काटे पर कोई काम नहीं हुआ। आधार कार्ड नहीं बन पाने के कारण बच्चा का एडमिशन स्कूल में नहीं हो पा रहा है। 50 लोगों की भीड़ रहती है परन्तु काउंटर में काम करने वाला कोई कर्मचारी नहीं रहता है

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नेशनल क्राइम इंटेलिजेंस एजेंसी के सूचना के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपना आधार नंबर और फिंगरप्रिंट नहीं दें। फिंगरप्रिंट और आधार नंबर आपका बैंक बैलेंस खत्म होने का कारण बन सकता है।

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