सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

बुढ़मू : ठाकुरगांव थाना क्षेत्र में एक यात्री बस अनियंत्रित होकर पलट गयी। इस दुर्घटना में बस में सवार एक व्यक्ति की मौत हो गई। दुर्घटना सुबह सुबह बुढ़मू प्रखंड के तुरमुली के पास हुई। बताया गया कि ठाकुरगांव थाना क्षेत्र में सवारी बस नियंत्रित होकर पलट गई ,जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई,और कई घायल हो गए। मृतक विनोद महतो बुढ़मू थाना क्षेत्र के बेतांगी गांव का रहने वाला बताया गया। जानकारी के अनुसार यह बस रोजाना बेतांगी से चैनगड़ा, सालहन, कोराबार होते हुए रांची जाती थी। साथ ही बताया गया कि मजदूरी करने वाले लोग अधिकतर इसी बस से रांची जाते थे। दुर्घटना की सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस घटना स्थल पहुंचकर छानबीन की। और घायलों को मदद, सहयोग किया। वही स्थानीय पुलिस शव को अपने कब्जे में कर पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया।

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झारखण्ड राज्य के रांची जिला से जयवीर यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि चौबीस अप्रैल को "राष्ट्रीय कृमि दिवस "के रूप में मनाया जा रहा है। जिसमें एक साल से अधिक उम्र के बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र में कृमि की दवा खिलाई जाएगी। हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि आंगनवाड़ी केंद्र में जाकर बच्चों को दवा खिलाएं ,ताकि उनके शरीर को सही पोषण मिल पाए ।

झारखण्ड राज्य के रांची से जयवीर यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं की ग्रामीण क्षेत्र में लोग स्वस्थ्य के प्रति लापरवाह होते हैं जिससे कई बीमारी होती है अधिक जानकारी के ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें

भारत का आम समाज अक्सर सरकारी सेवाओं की शिकायत करता रहता है, सरकारी सेवाओं की इन आलोचनाओं के पक्ष में आम लोगों सहित तमाम बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों तक का मानना है कि खुले बाजार से किसी भी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों में कंपटीशन बढ़ेगा जो आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देगा। इस एक तर्क के सहारे सरकार ने सभी सेवाओं को बाजार के हवाले पर छोड़ दिया, इसमें जिन सेवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है। इसका खामियाजा गरीब, मजदूर और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।