एक सर्वे के मुताबिक भारत में साल भर में शादियों पर जितना खर्च हो रहा है, उतनी कई देशों की GDP भी नहीं है। सनातन में शादी एक संस्कार होती थी जो अब एक इवेंट बनकर रह गई हैं। पहले शादी समारोह मतलब दो लोगों को जोड़ने का एहसास कराते पवित्र विधि विधान परस्पर दोनों पक्षों की पहचान कराते रीति-रिवाज, नेग भाग मान सम्मान होते थे। पहले हल्दी और मेहंदी यह सब घर के अंदर हो जाता था किसी को पता भी नहीं होता था। पहले जो शादियां मंडप में बिना तामझाम के होती थी, वह भी शादियां ही होती थी और तब दांपत्य जीवन इससे कहीं ज्यादा सुखी थे। परंतु समाज व सोशल मीडिया पर दिखावे का ऐसा भुत चढ़ा है कि किसी को यह भान ही नहीं है कि क्या करना है क्या नहीं? यह एक दूसरे से ज्यादा आधुनिक और अपने को अमीर दिखाने के चक्कर में लोग हद से ज्यादा दिखावा करने लगे हैं। अड़तालीस किलो की बिटिया को पच्चास किलो का लहंगा भारी नहीं लगता। माता-पिता की अच्छी सीख की तुलना में कई किलो मेकअप हल्का लगता है। हर इवेंट पर घंटे का फोटो शूट थकान नहीं देता पर शादी की रस्म शुरू होते ही पंडित जी जल्दी करिए, कितना लंबा पूजा पाठ है, कितनी थकान वाला सिस्टम है" कहते हुए शर्म भी नहीं आती है। वाकई अब की शादियां हैरान कर देने वाली हैं। मजे की बात ये है कि यह एक सामाजिक बाध्यता बनती जा रही है। भारत में शादियों में फिजूल खर्ची धीरे-धीरे चरम पर पहुंच रही है। पहले मंडप में शादी, वरमाला सब हो जाता था। फिर अलग से स्टेज का खर्च बढ़ा, अब हल्दी और मेहंदी में भी स्टेज खर्च बढ़ गया है। प्री वेडिंग फोटोशूट, डेस्टिनेशन वेडिंग, रिसेप्शन, अब तो सगाई का भी एक भव्य स्टेज तैयार होने लगा है। टीवी सीरियल देख-देख कर सब शौक चढ़े हैं। पहले बच्चे हल्दी में पुराने कपड़े पहन कर बैठ जाते थे अब तो हल्दी के कपड़े पांच दस हजार के आते हैं।प्री वेंडिंग सूट फर्स्ट कॉपी डिजाइनर लहंगा, हल्दी/ मेहंदी के लिए थीम पार्टी, लेडीज संगीत पार्टी, बैचलर्स पार्टी ये सब तो लड़की वाले नाक ऊंची करने के लिए करवाता है। यदि लड़की का पिता खर्चे में कमी करता है तो उसकी बेटी कहती है की शादी एक बार ही होगी और यही हाल लड़के वालों का भी है। मजे की बात यह है कि स्वयं बेटा बेटी ही इतना फिल्मी तामझाम चाहते हैं, चाहे वो बात प्री - वेडिंग सूट की हो या महिला संगीत की, कहीं कोई नियंत्रण नहीं है। लड़की का भविष्य सुरक्षित करने के बजाय पैसा पानी की तरह बहाते हैं। अब तो लड़का लड़की खुद मां-बाप से खर्च करवाते हैं। शादियों में लड़के वालों का भी लगभग उतना ही खर्च हो रहा है जितना लड़की वालों का अब नियंत्रण की आवश्यकता जितना लकड़ी वाले को है उतना ही लड़के वालों को भी है। दोनों ही अपनी दिखावे की नाक ऊंची रखने के लिए कर्ज लेकर घी पी रहे हैं। कभी यह सब अमीरों, रईसों के चोंचले होते थे लेकिन देखा देखी अब मिडिल क्लास और लोअर मिडल क्लास वाले भी इसे फॉलो करने लगे हैं। रिश्तो में मिठास खत्म यह सब नौटंकी शुरू हो गई। एक मजबूत के चक्कर में दूसरा कमजोर भी फंसता जा रहा है। कुछ वर्षों पहले ही शादी के बाद औकात से भव्य रिसेप्शन का क्रेज तेजी से बढ़ा धीरे-धीरे यह एक दूसरे से बड़ा दिखने की होड़ एक सामाजिक बाध्यता बनती जा रही है। इन सबमें मध्यम वर्ग परिवार मुसीबत में फंस रहे हैं कि कहीं अगर ऐसा नहीं किया तो समाज में उपहास का पात्र ना बन जायें। सोशल मीडिया और शादी का व्यापार करने वाली कंपनियां इसमें मुख्य भूमिका निभा रहीं हैं। ऐसा नहीं किया तो लोग क्या कहेंगे/ सोचेंगे का डर ही यह सब करवा रहा है। कोई नहीं पूछता उस पिता या भाई से जो जीवन भर जितोड़ मेहनत करके कमाता है ताकि परिवार खुश रह सकें। वो ये सब फिजूलखर्ची भी इसी भय से करता है कि कोई उसे बुढ़ापा में यह ना कहे कि आपने हमारे लिए किया क्या। दिखावे में बर्बाद होते समाज को इसमें कमी लाने की महती आवश्यकता है वरना अनर्गल पैसों का बोझ बढ़ते बढ़ते वैदिक वैवाहिक संस्कारों को समाप्त कर देगा।

झारखण्ड राज्य के रांची जिला से जयवीर यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि ब्रह्मकुमारी समाज की ओर से प्रीति बहन ने नवरात्रि के महत्व के बारे में विस्तार से बताया

झारखण्ड राज्य के रांची जिला से जयवीर यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कोयलांचल क्षेत्र खेलारी के आस-पास रामनवमी पर्व बड़े धुम धाम से मनाया गया

हमारे देश भारत में पर्वों और त्योहार की परम्परा अति प्राचीन काल से चली आ रही है जो विभिन्न ऋतुओं में भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में सभी समुदायों के द्वारा पुरे हर्षो- उल्लास और प्रसन्नता के साथ मनाये जाते है। जी हां दोस्तों हम बात कर रहे है रामनवमी की जो की आज देश प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनायी जा रही है। रामनवमी का त्योहार जो हमारी धरोहर है और हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है यह हमारे जीवन को खुशियों और उमंग से भर देता है। हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है।सनातन मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म हुआ था। इस अवसर पर मंदिरों में विधि विधान से पूजा पाठ किया जाता है ,और शहर में श्री राम से जुड़ी विभिन्न प्रकार की मनमोहक झांकियां निकाली जाती है। मोबाइल वाणी परिवार की ओर से आप सभी श्रोताओं को रामनवमी की ढेर सारी बधाईयाँ।

रामनवमी पूजा में किसी प्रकार की व्यवधान उत्पन्न ना हो इसे लेकर पूरी तैयारी की गई है। संवेदनशील स्थानों पर ड्रोन से निगरानी करने की योजना बनाई गई है। प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा अचौक निरीक्षण कर तैयारी की जानकारी भी ली जा रही है। लातेहार डीसी गरिमा सिंह के द्वारा जिला मुख्यालय के अलावा आसपास के कई इलाकों का निरीक्षण कर रामनवमी के जुलूस के रूट और सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी ली गई। लातेहार जिले में सभी थाना क्षेत्र में शांति समिति की बैठक की जा रही है, शांति समिति में आने वाले मुद्दों पर प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस अधिकारी त्वरित कार्रवाई भी कर रहे हैं लातेहार जिले के सभी चौक चौराहों पर पुलिस की तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। लातेहार एसपी के निर्देश पर जिला मुख्यालय के सभी चौक चौराहों पर पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। इसके अलावा पूर्व में जिन स्थानों पर विवाद हुआ है, या विवाद होने की संभावना है उन स्थानों पर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है, लातेहार जिला मुख्यालय में रामनवमी के जुलूस का रूट चार्ट तैयार है जिला मुख्यालय स्थित थाना चौक मुख्य अखाड़ा में रामनवमी जुलूस का शुभारंभ किया जाएगा। जिला मुख्यालय स्थित थाना चौक मुख्य अखाड़ा में रामनवमी जुलूस का शुभारंभ किया जाएगा।आसपास ग्रामीण क्षेत्र के सभी अखाड़ों के जुलूस इकट्ठा होंगे सभी अखाड़ों के आगमन के बाद एक साथ थाना चौक से लेकर प्रखंड कार्यालय तक और फिर प्रखंड कार्यालय से वापस बाजारटांड़ तक रामनवमी की जुलूस निकाली जाएगी। बाजार टांड़ में रात्रि में कला प्रदर्शन के बाद कार्यालय से वापस बाजारटांड़ तक रामनवमी की जुलूस निकाली जाएगी। बाजारटांड़ में रात्रि में कला प्रदर्शन के बाद पुरस्कार वितरण किया जाएगा और कार्यक्रम का समापन होगा। इस दौरान शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर संघ समुदायों के द्वारा रामनवमी जुलूस का स्वागत किया जाएगा। रामनवमी के दिन दोपहर 2:00 के बाद बिजली बाधित कर दी जाएगी। रात में कार्यक्रम के समापन के बाद बिजली सेवा बहाल की जाएगी।

झारखण्ड राज्य के रांची से जयवीर यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं की बुढ़मू प्रखंड में यज्ञ का किया जा रहा है आयोजन क्षेत्र में भाईचारा और शांति रहेगी कायम अधिक जानकारी के ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें

बुढ़मू : बुढ़मू प्रखंड क्षेत्र के मुरुपीरी गांव में बजरंग बली मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ,13 अप्रैल शनिवार को बजरंग बली मंदिर में कलश यात्रा निकाला गया। कलश यात्रा में आसपास गांव के लगभग हजारों भक्त लोग शामिल हुए। और कलश यात्रा में भक्त लोग कलश लेकर मुरुपीरी गांव का भ्रमण करते हुए मुरुपीरी गांव के शिव मंदिर का परिक्रमा किया। इस दौरान कलश यात्रा में संजय सेठ, भैरव सिंह, पूर्व विधायक डॉक्टर जीतूचरण राम, मनोज कुमार साहू, जगजीवन महतो एवं यादव समाज के रांची जिला अध्यक्ष तापेश्वर यादव सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए। वही 14 अप्रैल रविवार को वेदी पूजन और 15 अप्रैल सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया गया है। बजरंग बली मंदिर के कलश यात्रा एवं प्राण प्रतिष्ठा के सफल आयोजन में कमेटी के लोगों एवं ग्रामीणों द्वारा भूमिका निभाया जा रहा है।

बुढ़मू :14 अप्रैल रविवार को सरहुल के अवसर पर प्रखंड क्षेत्र से सरहुल का जुलूस निकाला जाएगा। और सभी सरहुल जुलूस बिरसा मुंडा स्टेडियम बुढ़मू पहुंचेगी। सरहुल जुलूस का स्टेडियम बुढ़मू में जुटान होगा। सरहुल जुलूस आयोजन को लेकर कमेटी के द्वारा सारी आवश्यक तैयारी कर ली गई है। साथ ही बुढ़मू प्रखंड के कई गांवों में सरहुल का पर्व मनाया जा रहा है। इस दौरान मुंडा पहानों द्वारा गांव के प्रत्येक घरों में ढोल नगाड़े के साथ जाकर नृत्य गान प्रस्तुत करते हुए घरों में सरहुल का फूल लगा रहे हैं। और सरहुल पर्व की बधाई दे रहे है। वही सरहुल पर्व के अवसर पर बधाई देने वालों में प्राचीन मुंडा धर्म संस्था के सचिव प्रोफेसर डॉक्टर चंद्रदेव मुंडा, अध्यक्ष धर्म गुरु महेंद्र मुंडा एवं मुंडा समाज के अलावे कई समाज के गणमान्य लोग शामिल है।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.