मध्यप्रदेश राज्य के जिला खंडवा से भगीरथ मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रहे है कि जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण है कि किसान आजकल रासायनिक खेती कर रहे है इसके साथ ही पेड़ों की कटाई भी तेजी से की जा रही है जिसके कारण तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। आगे कह रहे है कि तापमान की बढ़ोतरी के कारण ऊष्मा पूरी तरह से संचालित नहीं हो पा रही है
मध्य प्रदेश राज्य के जिला खंडवा से एकता मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रही है कि जलवायु परिवर्तन आज समाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती है जिससे निपटना वर्तमान समय में सबसे बड़ी आवस्यकता बनती जा रही है । आगे कह रही है कि आकड़े बताते है कि उन्नीसवीं सदी से अब तक पृथ्वी की तापमान लगभग 1.62 डिग्री तक बढ़ गया है। जलवायु परिवर्तन को समझने से पहले यह समझना जरूरी है की जलवायु क्या होता है। जब किसी क्षेत्र के मौसम में औसत परिवर्तन आता है तो इसे जलवायु परिवर्तन कहते है। वनों की कटाई भी जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा कारण हैं
मध्यप्रदेश राज्य के छिंदवाड़ा जिला से दिनकर पातुलकर ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कृष्णा पहाड़ी से बातचीत की। बातचीत में कृष्णा पहाड़ी ने बताया कि मजदूरों को स्वास्थ्य सुविधायें नहीं मिलती हैं। कृष्णा का कहना है मजदूरों को सप्ताह में एक दिन का छुट्टी अवश्य रहना चाहिए। साथ ही उनके बच्चों के लिए शिक्षा भी नि शुल्क और स्वास्थ्य व्यवस्था सुनिश्चित किया जाना चाहिए ।
मध्यप्रदेश राज्य के खंडवा जिला से राकेश वर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से फूलचंद से कृषि करने में क्या-क्या सामना करना पड़ता हैं,इस सम्बन्ध में साक्षात्कार लिया है। जिसमें उन्होंने बताया कि कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण मौसम होता है और मौसम के परिवर्तन के कारण कभी धुप और कभी बारिश इस कारण फसलों का नुक्सान होता है। सोयाबीन और धान काटने का समय है और बारिश हो जाती है तो इस कारण फसलों का नुक्सान हो जाता है। बारिश के कारण नमी आ जाती है और बीज सिकुड़ जाते है और इसे अधिक से अधिक धुप की आवश्यकता होती है। किसानों को अपनी फसलों को उपजाऊ बनाने के लिए खेतों को जोतना होगा। अब गेहूं और चना की बुआई होगी। किसान ही किसान की कठिनाईओं को समजह पाते है वो जानवरों और कीड़ों के दर को हटा कर अपनी खेती करते है और अपनी फसलों का उपज करते है। सरकार द्वारा किसानों को सुविधा मलनि चाहिए।
मध्यप्रदेश राज्य के जिला खंडवा से शीतल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से किसानों को अनेक प्रकारों की समस्याएँ हो रही है। आगे बता रही है कि खेतों में मनचाहा दवा का प्रयोग करने से खेत की मिट्टी तथा जलप्रदूषण बढ़ रहा है इसलिए हमेशा किसानों को सलाह ले कर ही खाद का उपयोग करना चाहिए। आगे कह रही है कि भविष्य में किसानों को पानी की कमी ना हो इसके लिए उन्हें रेन वाटर हार्वेस्टिंग का प्रयोग करना चाहिए,पानी को छोटे गड्ढों और टैंकों पर बचा कर रखना चाहिए ताकि फसलों में पानी को बेहतर उपयोग कर सकें
मध्यप्रदेश राज्य के खंडवा जिला से मधु सूर्यवंशी निष्ठा स्वास्थ्य वाणी के माध्यम से परिवार नियोजन के अस्थाई साधन के बारे में बताया कि परिवार नियोजन के अस्थाई साधन से स्वास्थ्य की भलाई एवं बच्चे की उचित देखभाल के लिए दोबारा गर्भवती बनने से पहले पांच वर्ष का अंतर होना चाहिए। माँ बनने में अंतर रखने के लिए अनेक गर्भ निरोधक साधन मौजूद है। जैसे स्तनपान भी गर्भधारण करने से छह माह तक बचाता है दूसरा डीएमपी हर तीन महीने पर डीएमपी का एक इंजेक्शन दिया जाता है,जिसे स्तनपान के दौरान प्रयोग किया जा सकता है और तीसरा है निरोध पुरुषों के लिए गर्भ निरोधक उपाय यह गर्भ और यौन संक्रमण रोगों से बचाता है चौथा है गर्भाशय के भीतर लगाने वाला गर्भ निरोधक उपकरण आईयूसीडी यह एक बार अपनाया जाने वाला है और दस वर्ष तक कार्यगर रहता है। गर्भ नरोधक गोलियां बच्चे के जन्म के छह माह के बाद शुरू की जाती है जिसे रोजाना एक गोली लेनी चाहिए अगर स्तनपान नहीं करा रही हैं तो तो तुरंत शुरू कर सकती हैं। माँ बनने के बिच तीन वर्ष का अंतर माँ और बच्चे को स्वस्थ रहता है।
मध्यप्रदेश राज्य के खंडवा जिला से मधु सूर्यवंशी निष्ठा स्वास्थ्य वाणी के माध्यम से पगर्भवती माता के लिए आयरन फोलिक एसिड खाना क्यों आवश्यक है इसके बारे में बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए आईएफए मतलब आयरन की गोली गर्भावस्था के चौथे महीने से ही आयरन की गोली खाना शुरू कर देनी चाहिए। प्रसव पूर्व 180 दिनों तक गर्भवती माता को आईएफए मतलब आयरन फोलिक एसिड की एक गोली खानी चाहिए। गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन फोलिक एसिड बहुत आवश्यक है क्यूंकि ये शिशुओं को सही और मानसिक और शारीरिक विकास के लिए जरुरी है। गर्भावस्था के दौरान कोख में पल रहे शिशु के लिए आयरन की कमी की पूर्ति करने के लिए सहायक होता है ,जो गर्भवती माता से होती है। गर्भवती महिला के कोख में पल रहे शिशु को पर्याप्त मात्रा में आयरन नहीं मिल पाने के कारण शिशु जन्म से ही कम वजन का और एनिमिक हो सकता है साथ ही साथ शिशु शारीरिक और मानसिक रुओ से भी स्वस्थ नहीं होता है। एनिमिक गर्भवती महिला का एक स्वस्थ महिला के मुकाबले प्रसव के दौरान जब रक्त बह जाता है तो वह कमजोर हो जाती है और उसको मृत्यु हो सकती है। इसलिए आईएफए मतलब आयरन फोलिक एसिड की गोली खाना कितना आवश्यक है।
मध्यप्रदेश राज्य के खंडवा जिला से मधु सूर्यवंशी निष्ठा स्वास्थ्य वाणी के माध्यम से ये बताना चाहती है कि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पोषक आहार युक्त भोजन बच्चों को देना अतिआवश्यक है। जैसे रोटी चावल के साथ साथ अलग अलग रंग के व्यंजन देना चाहिए जिनमें हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे मेथी ,पालक साग ,दालें सलाद चटनी आदि को भी शामिल कर सकते हैं एवं दूध और दूध से बानी चीज़े दही ,पनीर को प्रतिदिन देना चाहिए। मांसाहारी लोग मांस एवं अंडे का भी सेवन कर सकते हैं। फल में भी हम केला ,आम ,अमरुद के साथ साथ अन्य मौसमी फल आदि भी दे सकते हैं।साथ ही साथ काजू ,बादाम ,अखरोट भी बच्चें को खाने को देना चाहिए इससे बच्चों के मानसिक विकास में सहायता मिलती है क्यूंकि लाल सफ़ेद और हरे रंग रंगों से जब होगा थाल भरा तभी होगा मातृत्व सुनहरा।
मध्यप्रदेश राज्य के खंडवा जिला से मधु सूर्यवंशी निष्ठा स्वास्थ्य वाणी के माध्यम से आशा कार्यकर्ता निर्मला रुपाली से साक्षात्कार लिया है। जिसमे उन्हों ने बताया कि छह माह से पांच वर्ष के बच्चों को सप्ताह में आयरन की सिरप दो बार पिलायी जाती है एवं पांच वर्ष से दस वर्ष के बच्चो को सप्ताह में आयरन की एक गोली खिलायी जाती है जो गुलाबी रंग की होती है जो की प्रत्येक मंगलवार को खिलायी जाती है। दस से उन्नीस साल के किशोर किशोरियों को आईएफ की नीली गोली खिलायी जाती है हर मंगलवार को। गर्भवती महिलाओं को तीन माह के बाद प्रतिदिन लाल गोली दी जाती है और अगर खून की कमी होती है उन्हें दो आयरन की गोली दी जाती है एवं धात्री महिलाओं को आईएफ की एक गोली प्रतिदिन खानी चाहिए छह माह तक और प्रजनन आयु वाली महिलाओं को 20 से 50 वर्ष की महिलाओं को सप्ताह में एक आयरन की लाल गोली खिलायी जाती है।