जानकारी नहीं होने के कारण पहले e श्रम कार्ड नहीं बनाए थे।

मोबाइल वाणी पर जानकारी सुनने के बाद शिवलाल सोरेन चिराग वाणी पर रिकॉर्ड करते हैं कि अब वह भी अपने लिए इस श्रम कार्ड बनवाएंगे क्योंकि यह भारत सरकार की एक मजबूत पहचान पत्र है जिससे वह क्या मजदूरी करते हैं यह पता चलता है।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

चकाई जमुई बिहार से ढेना दीदी के दवारा यह जानकारी मिल रही है सरकार की तरफ से जो मनरेगा चल रही है सरकार 100 दिन का काम देती है मनरेगा की तरफ से लेकिन हम लोगों को तो 15 दिन का काम भी नहीं मिलता है। मनरेगा तरफ से कैसे काम मिलेगा कोई जानकारी बता दीजिए। गांव के पुरुष लोग बाहर काम करने जाते हैं वहां पर भी उन लोगों को पीटा जा रहा है काटा जा रहा है जान से मार दिया जा रहा है हम लोग क्या करें कैसे जिए सरकार हम लोग को नहीं पहचानती है क्या कोई रास्ता बता दीजिए घर वाले परेशान हैं।

एस मुर्मू चकाई जमुई ( बिहार) संथाली चिराग वाणी में बदलते मौसम पानी का समस्या के बारे में सुनते आ रहा हूं।उसी प्रकार से हमारा क्षेत्र हमारे गांव में भी इस वर्ष बरसात नहीं होने के कारण से खेती-बाड़ी नहीं हो पाई और पशुओं को भी पानी पीने का दिक्कत होती है इसी प्रकार से होता रहेगा तो फिर कैसे जिएंगे।

मेरा नाम एस मुर्मू चकाई जमुई (बिहार )से मोबाइल वाणी में चलने वाली कार्यक्रम में सुनते हैं, नरेगा के बारे में भी बताता है। मुझे यह जानकारी चाहिए किसी का जॉब कार्ड बना है 1 साल में सरकार 100 दिन का काम देती है अगर 100 दिन में काम नहीं मिला तो सरकार बेरोजगारी भत्ता देती है लेकिन हम लोग को नहीं मिलती है मुझे समझ में नहीं आता है कैसे मिलेगी बेरोजगारी भत्ता आप लोग बताइएगा।

मैं सुबोनी बेसरा संथाली चिराग वाणी रिपोर्टर चकाई जमुई (बिहार) रेहमा गांव के मालो दीदी से मिली हूं। मालो दीदी से जैविक खाद एवं रासायनिक खाद के बारे में यह जानकारी मिला कि रासायनिक खाद खेत में डालने से खेत खराब हो जाती है और उपजाऊ भी नहीं होती है इस प्रकार खेती करने से हमारे स्वास्थ्य पर भी हानी पहुंचता है जैविक खाद से खेती करना पसंद करते हैं सभी लोग जैविक खाद का उपयोग करें जोहार धन्यवाद

मेरा नाम सुबोनी बेसरा संथाली चिराग वाणी रिपोर्टर चकाई जमुई (बिहार)से मनरेगा के संबंध में गांव वालों के साथ चर्चा करना। इससे यह पता चला कि गांव वाले को मनरेगा के बारे में जानकारी नहीं है और इन लोगों को मनरेगा से जुड़ा कोई भी कार्य नहीं दिया जाता है। ये लोग जंगल से लकड़ियां लाकर मार्केट में बेचा करते हैं यही काम करते हैं।