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किस्सा ख्वानी बाजार अब भारत का हिस्सा नहीं है लेकिन यहां से जुड़ा एक ​इतिहास है जो भारतीय होने के नाते आपको जानना चाहिए. खासतौर से तब जब देश में सांप्रदायिकता के नाम पर राजनीति हो रही है...

आजाद हैं, आजाद ही रहेंगे: बनारस में ही चंद्रशेखर हो गए 'आजाद', काशी में ही पहली और अंतिम बार हुए थे गिरफ्तार मात्र 15 साल के चंद्रशेखर तिवारी काशी के संस्कृत पाठशाला में धरना देते हुए पहली और अंतिम बार अंग्रेजों के हाथ गिरफ्तार हुए थे। कोर्ट में ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट ने जब उनका नाम पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, आजाद, पिता का नाम स्वाधीनता और घर का पता जेल मैं आजाद हूं, दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे। आजाद हैं, आजाद ही रहेंगे। अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने अपने नाम के साथ आजाद इसलिए जोड़ लिया था क्योंकि वह आजाद रहते हुए जीना चाहते थे।

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उत्तरप्रदेश राज्य के सिद्धार्थनगर से अनिल , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि उनको आज़ादी की कहानी सुनकर अच्छा लगा। वह तिलका मांझी की कहानी सुनना चाहते है।

चंद्रशेखर आजाद के जीवन के वो किस्से जो आप नहीं जानते! उनकी पहली तस्वीर की कहानी! उनके दोस्ती निभाने के अंदाज की बातें! उनके परिवार और देशभक्ति के किस्से...अगर सुनना चाहते हैं तो अभी क्लिक करें!

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शुरू हुआ क्रांति के महानायकों का अध्याय... तो फिर देर कैसी, क्लिक करें और अभी सुनें

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