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दिल्ली के बुराड़ी से राजेश कुमार पाठक ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि चिंता एक ऐसा जहर है जो शरीर को बिस्तर से उठा कर चिता पर सुला सकती है। चिंता को जितना दूर करे वही जीवन के लिए अच्छा है। अगर किसी को चिंता या तनाव होते है तो लोगों के संघर्ष को याद करे ,इससे उन्हें हिम्मत मिलेगी। जब राजेश भी चिंता करते है ,चूँकि वो दृष्टिबाधित व्यक्ति है , तो वो अकेले रह कर महापुरुषों के संघर्ष याद करते है और खुद से प्रेम करने की चेष्टा करते है। साथ ही वो मन को हल्का करने के लिए रो लेते है ,इससे उनका मन शांत हो जाता है। क्योंकि किसी अन्य व्यक्ति से अपनी चिंता साझा करने से बेहतर है अकेले बैठ कर रो लेना क्योंकि पराय व्यक्ति केवल आपके तनाव का मजाक ही बनाएगे
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दिल्ली के बुराड़ी से राजेश कुमार पाठक ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि उनकी 16 वर्ष की बेटी विकलांग है जिसने कोरोना टीका नहीं लिया है। वहीं 13 व 15 वर्ष का दो बेटा ने भी कोरोना का टीका नहीं लिया। तीनों बच्चे कोरोना टीका लेने में इच्छुक नहीं है ,इसीलिए इन्होने भी बच्चों से टीका के लिए ज़ोर जबरदस्ती नहीं की