पैन एशिया में काम कर रहे फ़िरोज़ कंपनी के भुगतान से परेशान हैं। ओवरटाइम भी नहीं।की साल काम करने के बाद भी ठेकेदार के भरोसे।

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दिल्ली फरीदाबाद सेक्टर-82 के बतौला गांव से रफ़ि और इनके साथ प्रवीण कुमार हैं वे साझा मंच के माध्यम से बताते हैं कि सरकार द्वारा प्रत्येक साल बजट निकाला जाता है। और सरकार द्वारा यह घोषणा भी की जाती है कि इस बजट से दुतीये वर्ग के परिवार वालों के लिए काफी लाभदायक होगा।जो जमीनी स्तर पर लागु नहीं किया जाता है। साथ ही सरकार द्वारा निकाली गई जीएसटी उससे मजदूरों को काफी परेशानी होती है उनका सारा काम बंद पड़ गया है। जो भी योजना निकाली जाती है उसका लाभ दुतीये वर्ग वालों को नहीं मिलता यही। मांग करने पर कहा जाता है बैंक में जाओ वहां इसका लाभ दिया जाता है। बैंक से बात करने पर रेंट एग्रीमेन्ट की मांग की जाती है। अतः सरकार जो भी योजना निकालती है तो उससे पहले हर पहलु की जाँच करनी चाहिए। ताकि गरीब तबके के लोगों को ज्यादा परेशानी ना हो

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फरीदाबाद से बहादुर सिंह जी साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से ये बता रहे है कि बड़ी-बड़ी कंपनियों में लोगों से 8 घंटे की जगह 12 से लेकर 16 घंटे काम लिया जाता है। लेकिन उन्हें ना तो वेतन दिया जाता है और ना ही उन्हें कानून के अनुसार जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वो सुविधाएं दी जाती है।ये भी वह पर काम किये थे और इन्हे मात्र एक महीने काम करा कर निकाल दिया गया। और दुबारा काम पर नहीं रखा गया।और ये काफी कोशिश करते है फिर भी इन्हे काम नहीं मिलता है

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दिल्ली एनसीआर के फरीदाबाद से हमारे बिनोद ने राजू जी के साथ बातचीत की। राजू जी ने बताया कि वे फरीदाबाद स्थित लोवाले कम्पनी में पांच माह से कार्यरत है। इस कम्पनी में मुख्य समस्या यह है कि जब कम्पनी के पास काम रहती है तो मजदूरों से कराते हैं और ठेकेदार के द्वारा वेतन के रूप में केवल 6600 रूपए दिए जाते हैं जिसमे पीएफ और ईएसआई भी शामिल रहता है। जबकि कम्पनी हर मजदुर के नाम पर 8500 रूपए वेतन देने की बात करती है लेकिन ठेकेदार केवल 6600 रूपए ही हाँथ में देती है जिससे पुरे परिवार वालों का पालन पोषण कारन मुश्किल हो जाता है।

फरीदाबाद से मथुरा प्रसाद मंडल जी साझा मंच के माध्यम से यह जानकारी चाहते हैं कि जो कंपनियां बंद हो चुकी है और कार्य करने वाले कर्मचारियों को पीएफ का पैसा नहीं मिल पाया है वे कमिटी से किस प्रकार सम्पर्क कर सकते हैं जो मजदुर भाइयों को पीएफ का पैसा दिलाते है।अतः हरियाणा में किस जगह वो कमिटी खोली गई है।उसका नाम बताएं।

दिल्ली एनसीआर के फरीदाबाद के पीएफ ऑफिस से हमारे संवाददाता रफ़ी ने सांझा मंच के माध्यम से मोहन चंद्र जी के साथ बातचीत की। मोहन चंद्र जी , जो कि उत्तराखंड के अलमोड़ा से है ,उन्होंने सांझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया हैं कि उन्हें ठेकेदार ने एक कंपनी में काम दिलवाया था। और उसने कहा था कि 9500 रुपये दिलवाएंगे पर उन्हें 9000 ही दिया गया। ठेकेदार ने कहा था की ईएसआई और पीएफ नंबर दूंगा पर उसने ईएसआई कार्ड दिया और पीएफ नंबर नहीं दिया। कंपनी द्वारा छः महीने में 1040 रुपये पीएफ कटा है और ईएसआई मिला कर 1240 रुपये जमा हुआ है। पर जब उन्होंने कंपनी से पीएफ नंबर माँगा तो नहीं दिया जा रहा है। इससे पहले जिस कंपनी में काम किया था वहां उन्हें पूरा पैसा मिला था पर यहाँ नहीं दिया गया। उन्हें यहाँ रोज दिन पीएफ के पैसे निकालने के लिए बहुत धक्के खाने पड़ रहे हैं।

दिल्ली एनसीआर के फरीदाबाद से हमारे संवाददाता रफ़ी ने सांझा मंच के माध्यम से श्याम सुन्दर जी के साथ बातचीत की। फिर जब जरुरत होती है तो फिर 2 ,3 महीनो के लिए भर्ती कर लेते है। साथ ही ये भी बताते है कि उनसे झूट भी बुलवाया जाता है। जब जाँच के लिए आता है, तो उनको पी,फ., एस. आई. मिलता है बोलवाया जाता है। श्याम सुन्दर जी बताते है कि नोट बंदी के बाद कम्पनीओ से मजदूरों को निकाला जाना बढ़ गया है और बढ़ता ही जा रहा है।