कम्पनियाँ अक्सर श्रमिकों के हक़ों/ अधिकारों से खिलवाड़ करती आयी हैं और आज भी वे वही कर रही हैं। धड़ल्ले से श्रमिकों को को काम से निकाले जा रही हैं। कम्पनियाँ शायद यह भूल गयी हैं कि मुसीबत के समय में इन श्रमिकों ने ही हमेशा उनका साथ दिया है। कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों द्वारा उठायी गयी मुसीबतों और परेशानियों का दर्द तो हम बयान भी नहीं कर सकते। एक तरफ़ जहां कम्पनियों की पूंजी को बचाने के लिए श्रमिक साथी निरंतर अपना श्रम खर्च करते रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ जब उनके मेहनताने की बात आती है तो वही कम्पनियाँ इनसे मुँह मोड़ लेती हैं... आइए सुनते हैं इस विषय पर हमारे श्रमिक साथियों का क्या कहना है! ओवर टाइम कराकर उचित मेहनताना न देना, समय से वेतन का भुगतान न करना और बिना कारण बताए काम से निकाल देना जैसी समस्याएँ तो अब आम बात हो गयी हैं। कम्पनियों को किसी भी तरीक़े से श्रमिकों का शोषण कर अपनी पूँजी बचानी होती है। आखिर कब तक इस तरह श्रमिकों का शोषण होता रहेगा? कब तक श्रमिकों को अपने श्रम के बदले उचित मेहनताने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा? कब तक उन्हें काम से निकाले जाने की धमकी दी जाती रहेगी? आख़िर कब श्रमिक साथी खुल कर अपनी ज़िंदगी जी पाएंगे? इस विषय पर अपना अनुभव और विचार हमारे साथ ज़रूर साझा करें अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर