Transcript Unavailable.

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प्रेरणा तो हमारे आस-पास हमेशा ही रहती है। बस हमें उसे पहचाने की देर है और उस पर अम्ल करने की। आज की कड़ी में सुनिये कैसे एक छोटी सी प्रेरणा से आप अपनी मंजिल का रास्ता आसानी से खोज सकते हैं

जो लोग सपने देखते हैं वहीं तो इन्हें पूरा करने के लिए प्रयास भी करते हैं। अगर हम अपनी कल्पनाओं को उड़ान नहीं देंगे तो हमारे सपने कभी साकार नहीं हो सकते हैं

बिहार राज्य के नालंदा जिला के चंडी प्रखंड से निर्मला कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से हुनरबाज़ कार्यक्रम के तहत खनक कुमारी से साक्षात्कार लिया है। जिसमें उन्होंने बताया कि वे हुनरबाज कार्यक्रम को सुनी है जिसे सुनना अच्छा लगता है। हुनरबाज़ कार्यक्रम को सुनकर उन्होंने झूमर बनाना सीखा है। शादी का पुराना कार्ड से बनाने से अच्छा डिज़ाइन बनता है ,चूड़ी में ऊन लपेट कर भी झूमर बनाया जाता है। केले के जड़ से शैम्पू बनाना भी सीखा है। फोकस ग्रुप की बैठक से भी उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला की 30 रूपया खर्च कर हम उस चीज को 50 रूपए में बेच सकते है। पुरानी चूड़ी को नहीं फेकना चाहिए बल्कि उससे झूमर बना कर दीवार में टांग देना चाहिए जो देखने में भी बहुत अच्छा लगता है।

बिहार राज्य के नालंदा जिले के हिलसा प्रखंड से कुमारी आकांक्षा भारती ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि इन्होने हुनरबाज़ कार्यक्रम को सुना है,इसमें बहुत अच्छी जानकारी दी जाती है। इनके पास मेकअप करने का हुनर है,इसलिए इन्होने ब्यूटीपार्लर का दुकान खोला।आकांक्षा ने भाई के साथ बाल्टी में सामान डाल कर ऊपरी मंजिल तक पहुँचाया। इस प्रक्रिया से समय की बचत हुई।

बिहार राज्य के नालंदा जिला के हिलसा प्रखंड से कुमारी आकांक्षा ने मोबाईल वाणी के माध्यम से सत्यन से हुनरबाज़ कार्यक्रम के बारे में साक्षात्कार लिया। सत्यन ने बताया कि इनके पास झंडा और पतंग बनाने का हुनर है।साथ ही इन्होने पतंग बनाने का जानकारी दी

बिहार राज्य के नालंदा जिला के हिलसा प्रखंड के पंचायत अकबरपुर से रिंकू मोबाइल वाणी के माध्यम से हुनरबाज कार्यक्रम के तहत मौसमी कुमारी से साक्षात्कार लिया है। जिसमें उन्होंने बताया कि वे टीचर ट्रेनिंग कर के बैठी हैं आगे उन्हें टीचर बनना है

बिहार राज्य के नालंदा जिला के चंडी प्रखंड से गुड़िआ कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से हुनरबाज कार्यक्रम के तहत जुली कुमारी से साक्षात्कार लिया है। जिसमें उन्होंने बताया कि वे अपनी पढ़ाई करने के साथ साथ छोटे छोटे बच्चों को पढ़ाती हैं और सिलाई भी करती हैं। इसके साथ ही साथ उन्होंने बताया कि घर में जो फटे पुराने कपड़े होते है तो उस से पायदान भी बना लेती हैं जो बाजार से खरीदने में 100 या 200 लग जाते है जिसके पैसे बच जाते है