जलवायु शब्द की सामान्य परिभाषा अपना अर्थ खो चुकी है क्योंकि पर्यावरण अप्रत्याशित हो गया है मौसम कब बदल जाए कुछ पता ही नही चलता इसके लिए मनुष्य द्वारा निर्मित सभी कारक जिनका निर्माण मनुष्य ने किया है जैसे भवन, परिवहन, मार्ग, शहर, उद्योग, संचार, व्यापार, बांध, नहर, नदियों को जोडना आदी। मानव निर्मित पर्यावरण मे अनियंत्रित वृध्दि के परिणाम ने पर्यावरण प्रदूषण को जन्मा है। जैसे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदुषण, ध्वनि प्रदूषण एवं प्रकाश प्रदुषण। परिणाम, धुंध, अकाल वर्षा, ओजोन छिद्र, ग्रीन हाउस प्रभाव, शुध्द पेयजल अनुपलब्धता, जहरीली सब्जिया, अनाज, एवं फलों के रुप में हमारे समक्ष है।