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विजय कुमार सिंह,जिला जमुई के सिकंदरा प्रखंड से मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि शिक्षा में सुधार की जरुरत। देश भर में प्राथमिक से लेकर उच्य शिक्षा तक में सुधार के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे है.विद्यालय में भौतिक संरचना के साथ शिक्षको के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जा रही है।वही पुरे राज्य में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय खोले जा रहे है जबकि सरकारी विद्यालयों में आज भी हिंदी माध्यम से पढ़ाई हो रही है हालांकि ऐसा भी नहीं है की इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे मेधावी नहीं है किन्तु अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के छात्र की अपेक्षा पिछड़ रहे है।इसलिए सरकारी स्कूलों के बच्चे के भविष्य के लिए यह जरुरी है कि इन स्कूलों में भी पूर्ण रूप से अंग्रेजी माध्यम में शिक्षण की व्यवस्था हो।इसके साथ ही देश भर में एक समान शिक्षा नीति लागु करने की जरुरत है।

जिला जमुई के सिकंदरा प्रखंड से विजय कुमार सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि किसानो की स्थिति दयनीय है।खेतो में मेहनत कर अन्न उत्पादन करने वाली किसानो की हालत दिन-प्रतिदिन ख़राब होती जा रही है।भारतीय को अंग्रेजो से तो आजादी मिल गई लेकिन अब भी भारतीय किसान गुलामों की जंजीरो से दबते नजर आ रहे है।अधिकतर किसान आज अपनी हालत पर रो रहे है जिसकारण लगातार आत्महत्या कर रहे है।आजादी के लगभक सात दसक बाद भी किसानो के हालत में कोई सुधार नहीं आया है बल्कि स्थिति और भी ख़राब होती जा रही है।आज के इस महंगाई भरे दौर में न तो किसान बीज खरीद सकते है और न ही बुआई कर सकते है.इसलिए सरकार को किसानों के प्रति ज्यादा गंभीर होने की जरुरत है।

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बिहार के जिला जमुई सिकंदरा से ज्योति कुमारी जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि आज प्लास्टिक हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है। किराने की दुकान से लेकर सब्ज़ी मंडी तक बड़ी संख्या में प्लास्टिक के थैले का प्रयोग होता है।घर आ कर प्लास्टिक से वस्तुएं निकाल कर उसे कूड़े -दान में फेंका जाता है। यदि प्लास्टिक की थैली के बजाय जुट की थैली का प्रयोग किया जाये हैं तो शायद प्लास्टिक का प्रयोग कम हो सकेगा।प्लास्टिक पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है।प्लास्टिक को जलने पर हानिकारक गैस पैदा करती है।

बिहार के जिला जमुई सिकंदरा से ज्योति कुमारी जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि हम अपने माता-पिता से जीवन में उपयोगी हर कर्मिय एवं अनुकर्मीय तथ्यों को सीखते जरूर है पर अपने व्यावहारिक जीवन में प्रयोग नहीं करते। आज युवा हो या पुरुष सभी अपने नैतिक जिम्मेदारियों से भागते नजर आते हैं। देखा जाता है कि ट्रेन की बोगियों में बैठे युवा ,क्या बेसहारे पुरुषों या महिलाओं को बैठने की जगह देते हैं? क्या वे बिजली का बिल देने के लिए कतार में खड़े बूढ़े बुजुर्ग या महिलाओं की मदद करते हैं ? आखिर वे भी हम में से किन्ही के माता-पिता हैं। मानव स्वभव को बदलना सम्भव है लेकिन इसे हम और आप मिल कर ही संभव कर सकते है,जब हर व्यक्ति अपने संस्कार व सरोकार को सम्मान देना सिख लेंगे।

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जिला जमुई के प्रखण्ड सिंकदरा से विजय कुमार सिंह मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि सिकंदरा प्रखंड के प्राथमिक मध्य विद्यालय में आज भी मेनू के अनुसार दोपहर का भोजन उसमे पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को नहीं मिल रहा है।सरकार का इस योजना को बनाने का उद्देश्य था की बच्चे भोजन करने के लिए घर चले जाते थे जिससे बहुत से बच्चे टिफिन के बाद विद्यालय नहीं पहुँचते थे,इसी को देखते हुए मिड डे मिल की व्यवस्था हुई.इस बैंक का पैसा बिहार के छात्राओं को पोषण के रूप में भोजन के रूप में बदल-बदलकर देने की व्यवस्था की गई है किन्तु विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष,सचिव और विद्यालय प्रधान इन तीनो ने कमाई का श्रोत बना लिया है।विद्यालय में बनाये गए भोजन को अच्छे घर के बच्चे उस तरह के भोजन को नहीं खाना चाहते है.इस ओर प्रखंड से लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी भी इस तरह के कार्यो पर ध्यान नहीं दे पाते है जिसकारण इस तरह के कार्यो पर बढ़ावा मिलते रहता है और मनमानी तरीके से मिड डे मिल का संचालन होता है।

ज्योति कुमारी,जिला जमुई के सिकंदरा प्रखंड से मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि पर्यावरण को लगातार क्षति पहुंचाने की वजह से पूरी दुनिया प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त है और यही वजह है की कही बेमौसम बारिश हो रही है तो कही ग्लोबवार्मिंग का खतरा बढ़ रही है।इस स्थिति में जरुरी है की तत्काल बचाव के तरीके ढूंढा जाये।भारत तथा अन्य देश इस पर्यावरण असंतुलन का मूल चुकाने को मजबूर है।इन देशो में प्राकृतिक आपदाओ की वजह से जीवन की संपत्ति की व्यापक हानि हो रही है।इसलिए अगर उचित हो तो सभी को व्यक्तिगत स्तर पर भी प्रयास करना चाहिए तथा एक पौधे हर महीने लगाना चाहिए।इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार को पेड़-पौधे लगाने वाले लोगो को बढ़ावा देने की जरुरत है।