हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

नमस्कार मैं सामुदायिक संवाददाता आशीष कुमार भारत में वायु प्रदुषण से प्रति वर्ष 21 लाख से अधिक मौते l

दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।

Transcript Unavailable.

रीना कुमारी ने पंचायत मधेपुर के रहने वाली है जिन्होंने वनों से क्या लाभ मिल सकता है और साथ ही विद्यालय में जो टूर आता है बच्चों को ऐतिहासिक जगह घूमने के लिए उसके लिए भी राय मांगे हैं।

सोनू दुबे ने रामपुर प्रखंड से बोल रहे हैं कि वृक्षारोपण किया हुआ पैसा अभी तक नहीं मिला।

महुआरी से कर्म तक जल जीवन हरियाली योजना के अंतर्गत पौधा लगाया गया सड़क के किनारे दोनों साइड में बहुत अच्छा लग रहा है राहगीर पेड़ के नीचे आराम भी करते हैं।

Transcript Unavailable.

मै कन्हैया राम ग्राम बभन गांवा से मोबाइल वाणी न्युज एक्सप्रेस कैमूर के सभी श्रोताओ को नमस्कार आज ग्राम बढुपर मे जीविका संगठन के महिलाओ को पर्यावरण संरक्षण के लिए समुह के सभी महीलाओं को पौधे वितरण कर पौधे लगाने की अनुमति दी धन्यावाद

न्यूज़ एक्सप्रेस रोहतास में आप सभी को स्वागत है चेनारी वन प्रक्षेत्र से जल जीवन हरियाली योजना के अंतर्गत पौधारोपण करने के लिए आने को गाड़ी से पौधा ले जाया जा रहा है जो पर्यावरण को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण हो सकता है