जिला मधुबनी प्रखंड खुटौना से चंदू जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है की डॉक्टर को भगवान मानते थे।परन्तु आज का डॉक्टर सरकारी ,लाइसेंसधारी या प्राइवेट या झोलाछाप डॉक्टर वर्तमान में शैतान ,व्यपारी आपदाई बन बैठा है।प्राइवेट या झोलाछाप डॉक्टर से आम जनताओ का तत्क्षण इलाज हो पाता है। परन्तु उपचार की फीस व दवा की कीमत समस्त परिवार को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। जेवर ,जमीनव जायदाद ,पेड़ पौधों ,पशु ट्रैक्टर कर्ज लेकर चुकता करने में बीमार वयक्तियों के परिजन तबाह हो जाते है।अब ऐसा समय आ गया है की बिना फीस के डॉक्टर मरीज को देखते भी नहीं है।रुपये के आभाव में अनगिनत मरीजों की मौते हुई है।गावं से लेकर शहरों तक गैरलाइसेंसी अस्पतालों और डाक्टरो की कमी नहीं है। प्राइवेट डाक्टरो द्वारा लिखी दवा उनकी ही निजी दुकानों में मिलती है अन्य दुकानों में नहीं।यही नहीं सरकारी डॉक्टर अस्पतालो में आये मरीजों के साथ संतोषजनक बात भी नहीं करते।करते भी है तो कहते है की सरकारी अस्पतालों में क्या सुविधा है जो मै आपका इलाज करू, आप मेरे निजी क्लिनिक में चले आइये।

बिहार, जिला जमुई प्रखण्ड सिंकदरा, से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि राज्य के विभिन्न स्थानों से नकली दवाओं का जखीरा पकड़े जाने के संकेत मिल रहे है। राज्य में लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है।पटना में ही कुछ महीनो में करोड़ो के मूल्य की एक्सपायरी और नकली दवाएं पकड़ी जा चुकी है।हर बार नकली दवाओं के साथ इनके सौदागर भी पकड़े जाते है किन्तु कमजोर कानून और लचर पैरवी के चलते ये अपराधी कुछ दिन में ही जमानत पाकर जेल से बाहर आ जाते है और फिर से उसी काले धंधे में लिप्त हो जाते है।बिहार राज्य के पुलिस के पास कानून व्यवस्था संबंधित इतनी अधिक व्यवस्था रहती कि फिर भी वो नकली दवाओं के कारोबार से निपटने को प्राथमिकता नहीं दे पाती है।सरकार को इसके लिए पुलिस विभाग में अलग से टीम गठित की जाये, जो सिर्फ उसी काम पर ध्यान केंद्रित रखे।और इस कारोबार से जुड़े व्यक्तियों को कठोर सजा दिलवाए।नकली दवा के कारोबार को जघन्य अपराध मानकर इसके लिए अलग कानून बनाया जाये। शराबबंदी कानून की तरह कठोर सजा का प्रावधान हो।

बिहार, जिला जमुई प्रखण्ड सिंकदरा, से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में छोलाछाप डॉक्टरों की चपेट में गरीब और अनपढ़ लोग आसानी से फंस जाते है। बिहार राज्य में औसतन 4 लाख फर्जी डॉक्टर है।ऐसे डॉक्टर अधिकतर ग्रामीण इलाकों में अपना क्लीनिक खोल कर बैठे है।ये डॉक्टर बिना किसी डिग्री के अपने बोर्ड पर तरह-तरह की डिग्री लिखवाकर लोगों को फंसाने में कामयाब हो रहे है।जानकारी के बिना लोगो का इलाज कर उनकी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे है।आये दिन कहीं-न-कहीं छोलाछाप डॉक्टरों का भंडाफोड़ होते रहता है तब जाकर प्रशासन हरकत में आती है।जगह-जगह छापेमारी की जाती है उसके बाद इसे ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाता है उसके बाद वे फिर से सक्रिय हो जाते है।प्रशासन को इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। ताकि गरीबो के सेहत के साथ खिलवाड़ ना हो।

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बिहार के सारण जिला ,दिघवारा प्रखंड से अजय कुमार जी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हॉस्पिटलों का समीकरण ऐसी समस्या है ,जो ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों में होती है और जिन्हे सही डॉक्टर और सही मार्गदर्शन नहीं मिलने और जो गरीब और असहाय व्यक्ति है , वे झोलाछाप डॉक्टरों के चक्क्र में पड़ जाते हैं।झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा सही तरीके से इलाज नहीं होने पर मरीजों को बड़े तबके के डॉक्टरों के पास ले जाते हैं और मरीजों के माध्यम से ही बड़े तबके के डॉक्टरों के साथ अपने फायदे के लिए साठ गांठ करते है । जिस के कारण कभी-कभी मरीजों को अपनी जान भी गवानी पड़ती है। यह समस्य सारण जिला ही नहीं बल्कि पुरे बिहार की है। बिहार में कई ऐसे गावँ है जहाँ सही मार्गदर्शन नहीं होने के कारण निजी झोलाछाप डॉक्टर फल-फूल रहे हैं और इसी कारण ऐसे डॉक्टर खुद को एमबीबीएस बता क्र मरीजों के जान से खेल रहे हैं।

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