नीतीश सरकार ने किसानों के लिए खजाना खोल दिया है। सरकार ने किसानों को 3500 रुपये देना का फैसला किया है। बिहार सरकार वैसे किसानों को 3500 रुपये देगी, जिनके इलाके को सरकार ने सुखा ग्रस्त घोषित किया है। दरअसल, गुरुवार को बिहार कैबिनेट की बैठक हुई थी। नीतीश कैबिनेट ने कुल 21 एजेंडों पर मुहर लगाई है। कैबिनेट ने बिहार के 11 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है। सरकार इन प्रभावित जिलों में हरेक परिवार के खाते में 3500 रुपये भेजने का फैसला किया है। बारिश के दगा देने से इलाके के किसान आफत में फंस गए हैं। बारिश नहीं होने से कृषि कार्य के ऐन मौके पर खेतों की मिट्टी की परत सूखने लगी है। थोड़ा बहुत खेतों में रोपनी करने वाले किसान अब फसल बचाने को जद्दोजहद कर रहें हैं। खेती के लिए लगाए गए बिचड़ा वाली खेत में मोटी दरारें पड़ गई है। ऐसी स्थिति में इलाके के किसानों में जिले को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग उठने लगी है। ऐसे में निजी संसाधनों की बूते सिचाई करना संभव नहीं है। फिलहाल किसानों की सभी उम्मीदें बारिश पर ही निर्भर है। अगर बारिश हुई तो थोड़ी बहुत खेतों में जो रोपनी हुई है फसल बच जाएगी, नहीं तो किसानों को खेतों में धान के उत्पादन की जगह कुछ हाथ आएगा।खबर सुनने के लिए ऑडियो क्लिक करें। 

नदी के जल स्तर में वृद्धि को नोटिस किया गया है। कुछ दिन पहले तक बारिश नहीं होने से खेती प्रभावित हो रही थी।ऑडियो पर क्लिक कर सुनें पूरी खबर को।

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के बावजूद समस्तीपुर जिला के मोहिउद्दीन नगर प्रखंड से रूठे मॉनसून ने शुक्रवार की शाम से लेकर शनिवार की अहले सुबह तक अपना कमाल दिखाते हुए किसानों जिनकी धान एवं अन्य फसलें सूखे की मार झेल रहे थे और सुख रहे थे के चेहरों पर राहत की सांस वापस ला दी है इस वर्ष पूरे बिहार में मानसूनी बारिश 38 से 40% तक कम हुई है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

बारिश नहीं होने से किसान सही समय पर खेती नहीं कर पा रहे है। जिसके कारण उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

बिहार में अच्छी बारिश नहीं होने के कारण सूखे की आशंका प्रबल हो गई है। रूठे मानसून के कारण किसान मायूस हो गए हैं। राज्य में कम बारिश होने के कारण राज्यभर में करीब 20 फीसदी ही धान की रोपनी हो पाई है। कई जिलों में तो धान की बीज (बिचड़े) डालने तक की बारिश नहीं हुई है। आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में अब तक 263 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन नौ जुलाई तक 191.7 मिलीमीटर ही बारिश हुई है। बताया जा रहा है कि राज्य के 20 से 22 जिले ऐसे हैं जहां सामान्य से 40 फीसदी या उससे भी कम बारिश हुई है। कृषि विभाग के अनुसार, राज्य में बारिश नहीं होने के कारण धान और मक्का की खेती पर असर पड़ना अब तय माना जा रहा है। कहा जाता है कि आद्र्रा नक्षत्र में झमाझम बारिश होने के बाद धान की रोपनी होने के बाद धान की उपज अच्छी होती है, लेकिन आद्र्रा नक्षत्र गुजर जाने के बाद भी कहीं भी झमाझम बारिश नहीं हुई है। राज्य के भोजपुर, रोहतास, कैमूर, भागलपुर सहित कई ऐसे जिले हैं, जिनकी पहचान धान की अच्छी उपज के रूप में की जाती है लेकिन इन जिलों में भी आवश्यकता से कम बारिश होने के कारण किसान मायूस हो गए हैं।