राज्य के सभी जिलों में साइबर अपराध से जुड़े मामले दर्ज करने के लिए विशेष थाने शुरू कर दिए गए हैं। सभी साइबर थानों के प्रभारी डीएसपी को बनाया गया है और मामलों का अनुसंधान इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी ही करेंगे। इनमें 24 घंटे काम करने वाला हेल्प डेस्क भी बनाया गया है, जो लोगों की मदद करेगा और साइबर से जुड़े मामलों में जागरूक भी करेगा। एडीजी ने कहा कि इनमें तैनात होने वाले डीएसपी से लेकर इंस्पेक्टर समेत अन्य सभी कर्मियों को छह महीने की साइबर से जुड़ी ट्रेनिंग दी गई है। एक हजार से अधिक पदाधिकारियों को अब तक प्रशिक्षण दे दिया गया है। आगामी छह महीने में सभी बचे हुए डीएसपी एवं इंस्पेक्टर को ट्रेनिंग दिला दी जाएगी। इन नवगठित 44 थानों के लिए 660 बल स्वीकृत किए गए हैं। नकेल कसने के लिए चलाया जाएगा विशेष अभियान एडीजी खान ने बताया कि बिहार में छह जिले साइबर अपराध के लिए हॉट-स्पॉट के तौर पर चिन्हित किए गए हैं। इसमें पटना, नालंदा, नवादा, जमुई, शेखपुरा और गया शामिल हैं। हालांकि अब सभी जिलों से इस तरह की शिकायतें आने लगी हैं। कुछ अन्य जिले भी हॉट-स्पॉट के तौर पर चिन्हित हुए हैं। इन सभी जिलों में साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए और इनके गैंग को ध्वस्त करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। साइबर थाने इन गैंगों को चिन्हित कर इनके खिलाफ विशेषतौर पर कार्रवाई करेंगे। कई संगठित गिरोह इसमें सक्रिय हैं, उनके खिलाफ भी जांच कर कार्रवाई की जाएगी। एडीजी ने बताया कि साइबर अपराध के लिए कार्यरत हेल्पलाइन नंबर- 1930 पर रोजाना औसतन 1500 शिकायतें आती हैं। इन शिकायतों के आधार पर पिछले तीन महीने में 600 एफआईआर दर्ज की गई है और लोगों के 7 करोड़ रुपये को ठगी का शिकार होने से बचा लिया गया। साइबर अपराध में सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। समय पर शिकायत आने पर लोगों की राशि को बचाई जा सकती है। रोजाना साइबर ठगी से जुड़े नए-नए पैंतरे सामने आ रहे हैं। यह पुलिस के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है।