किसानों को खेती किसानी में आत्मनिर्भर बनाने और मौसम की जानकारी त्वरित उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पंचायतों में वर्षा मापक यंत्र लगाई गई। परंतु रख-रखाव के कारण दम तोड़ रहा है। प्रखण्ड मुख्यालय में लगा एक वर्षा मापक यंत्र कार्य करता है। लेकिन पंचायतों में इस पर खर्च लाखों रुपए किसानों को लाभ नहीं पहुंचा रहा है।  पंचायतों में वर्षा अनुपात का अध्ययन पंचायत वार करने में विभाग को कठिनाई होती है। पंचायतों में यंत्र की स्थापना से फसलों की बुवाई एवं सिंचाई की वास्तविक जरूरतें भी पूरी हो सकती हैं। साथ ही सूखाग्रस्त इलाके की पहचान भी हो सकेगी और किसानों को वास्तविक लाभ प्राप्त हो सकेगा।  लेकिन इसके रखरखाव की स्थिति काफी दयनीय है। स्टेशन को तार के बाड़े से घेराबंदी की गयी है। लेकिन साफ सफाई के अभाव में झाड़ झंखाड़ उग आए हैं। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि स्थानीय मौसम स्टेशन की दुर्दशा दर्शाने के लिए काफी है कि विभाग किसानों के प्रति कितना सापेक्ष और उत्तरदायी है। सांख्यिकी पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने बताया कि पंचायतों में स्थापना के बाद उसका लिंक पटना से होगा। उसका सारा कंट्रोल पटना से हो गया। उसके बाद जब भी डाटा कलेक्ट के लिए उसे ओपन किया जाता है तब सिर्फ कृषि विभाग लिखा मिलता है। इधर बीडीओ मुकेश कुमार ने बताया कि इसके लिए विभाग से पत्राचार भी किया गया, परंतु कोई परिणाम नही निकला।