मैं झांसी महलवानी से निशंक नामद हूं , यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए तीन उप - संग्रह और एक संग्रह केंद्र बनाया गया है , इसके अलावा परीक्षा केंद्र की निगरानी के लिए प्रशासन ने एक दल का भी गठन किया है जो प्रतिदिन परीक्षा केंद्रों का दौरा करेगा । हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 22 फरवरी से शुरू हो रही हैं । जिले में उनके लिए छियासठ परीक्षाएँ निर्धारित हैं । परीक्षा केंद्रों की स्थापना की गई है और पुलिस परीक्षा केंद्रों की चौबीसों घंटे सुरक्षा करेगी । एस . डी . एम . को व्यवस्था बनाए रखने और किसी भी समय परीक्षा केंद्र की निगरानी करने के लिए भी ड्यूटी पर रखा गया है ।

यू . पी . बोर्ड और यू . पी . बोर्ड का अध्ययन कैसा रहा । नमस्कार दोस्तों , आप यू . पी . बोर्ड की अध्ययन स्थिति राजीव की दारी के विशेष पृष्ठ को सुन रहे हैं । मैं आपका मित्र विकेश प्रजापति तोता हूँ दोस्तों , यूपी बोर्ड की परीक्षाएँ आ रही हैं , कुछ ही दिन बचे हैं , बच्चों द्वारा की गई तैयारी बेहतर है या उस तैयारी में शिक्षकों का सहयोग कैसा रहा ? भविष्य में बच्चों को सफल बनाने के लिए सभी बदलाव कितने प्रभावी होंगे या कोई नकारात्मक परिणाम होंगे क्योंकि आज के समय में शिक्षा को उस स्तर तक ले जाने के लिए मोबाइल की एक मर्मस्पर्शी प्रणाली है । ऐसा हो गया है कि हर बच्चा जिसके हाथ में मोबाइल है , चाहे वह यूपी बोर्ड का इंटरमीडिएट या हाई स्कूल का छात्र हो , वह अभी भी अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रहा है और उसके हाथ में मोबाइल है । क्या शिक्षा में मोबाइल के इंटरनेट का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है , जो बदलते आधुनिक युग में आया है , क्रांति युग बोर्ड के परिणामों में क्या होगा ? भविष्य में , परिणाम कब आएंगे , तभी उस परिणाम को इस आधार पर बताया जा सकता है कि तब क्या हुआ था , बच्चों या शिक्षकों द्वारा आधुनिक क्रांति का उपयोग या दुरुपयोग कैसे किया गया था । उन्होंने कितना नियंत्रित करने की कोशिश की , क्या वे सफल हुए या असफल रहे और माता - पिता ने भी इस पर कितना प्रयास किया , इन सभी परिणामों का जवाब उसी दिन दिया जाएगा जब यूपी बोर्ड के परिणाम आएंगे , यानी पेपर कब प्रकाशित होगा ।

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2016 में 14% छात्र औपचारिक शिक्षा से बाहर थे जो कि देश में 2023 में भयानक सुधार होने के बाद भी अब मात्र 13.2 फीसद बाहर हैं ... 2016 में 23.4 फीसद अपनी भाषा में कक्षा 2 का पाठ नहीं पढ़ पाते थे आज 2023 में अति भयानक सुधार के साथ ये आंकड़ा 26.4 प्रतिशत है ... देश के आज भी 50 फीसद छात्र गणित से जूझ रहे हैं ... मात्र 8 साल में गणित में हालात बद से बदतर हो गए ... 42.7% अंग्रेजी में वाक्य नहीं पढ़ सकते हैं... अगर आप सरकार से जवाब माँगिए , तो वे कहती है कि वो लगातार बैठकें कर रहे हैं लेकिन असर की रिपोर्ट बताती है कि ये बैठकें कितनी बेअसर हैं... तो विश्व गुरु बनने तक हमें बताइये कि *-----आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? *-----वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? *-----और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ?

हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।