"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ श्री जिव दास साहू मटर के फसल में लगने वाली बीमारियां एवं उपचार से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं। पूरी जानकारी विस्तार से सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

एड्स इस नाम से हम सभी भली भांति परिचित हैं इसका पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम ' यह एक तरह का वायरस है जिसे एचआईवी के नाम से भी जाना जाता है।यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन आज भी लोगों में एड्स को लेकर सतर्कता नहीं है।साथ ही इसे समाज में भेदभाव की भावना से देखा जाता है। एड्स के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। दोस्तों , हम सभी को एड्स को लेकर सतर्क रहना है ,साथ ही लोगों में सर्तकता लाने की भी ज़रुरत है।साथियों, एड्स का उपचार भेदभाव नहीं बल्कि प्यार है। आइये हम सभी मिलकर विश्व एड्स दिवस मनाए और लोगों में एड्स के प्रति अलख जगाए। सतर्क रहें,सुरक्षित रहें

यह कार्यक्रम बताता है कि कैसे अनियमित बारिश, सूखा और बाढ़ किसानों की आजीविका, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और समग्र जीवन गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं। यह श्रोताओं को अपने अनुभव साझा करने और समाधान सुझाने के लिए आमंत्रित करता है, जिससे जागरूकता बढ़ाने और सामुदायिक समर्थन को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला झाँसी से विकेश प्रजापति , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि हम सभी इस समय बरसात के मौसम से गुजर रहे हैं। इस समय मच्छरों का खतरा और बढ़ गया है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें या पंखे के नीचे सोएं। मच्छर के काटने से लोग बीमार पड़ रहे हैं और बीमार पड़ने के बाद उन्हें डॉक्टरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं क्योंकि जान है तो जहां है, स्वास्थ्य का ध्यान रखना हमारी जिम्मेदारी है। स्वस्थ रहने के लिए मच्छरों के काटने से बचें क्योंकि डेंगू और मलेरिया जैसा बुखार हो सकते है . हमें मच्छरों से बचना पड़ता है क्योंकि अगर हम मच्छरों से बचेंगे तो ही हम स्वस्थ रहेंगे क्योंकि यह बारिश का मौसम है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला झाँसी से विकेश प्रजापति , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि दूषित पानी पीने से या फिर मच्छरों के प्रजनन होने पर वह हमें काट देगा, रोग पैदा करेगा और हमने जो पानी जमा किया है वह गंदा हो जाएगा। बीमारियाँ होंगी , फिर हम बीमार पड़ जाएँगे, यह बिल्कुल निश्चित है, इसे कोई रोक नहीं सकता, यह सबसे बड़ी सच्चाई है, इसलिए कोशिश करें कि साफ पानी पीएँ, अगर हमें कहीं से भी साफ पानी नहीं मिल रहा है तो अपने घर में पानी उबालें और पियें। बारिश में हम मच्छरदानी का उपयोग करते हैं, मच्छरों से बचने के लिए सोते समय इसका उपयोग करें। हमारे चारों ओर एक पूर्ण जल निकासी प्रणाली रखने की कोशिश करें,बाजार में कई प्रकार के रसायन उपलब्ध हैं, जिससे हमारे पास उस पानी में जो मच्छर हैं वे मरते हैं। यदि गंदगी होती है तो हमे कहीं न कहीं उपाय करने होते हैं ताकि हम बारिश में बीमार न पड़ें, क्योंकि बारिश में कई बीमारियां पैदा होती हैं, यह भी ध्यान रखें कि जब हम इन बीमारियों से मुक्त होंगे तो हमारा स्वास्थ्य पर पड़ने वाला खर्च कम होगा, जब खर्च कम होगा तो हम इसका बेहतर उपयोग कर सकेंगे और अच्छी बचत कर सकेंगे।

पानी में आर्सेनिक, लोह तत्व और दूसरे घातक पदार्थों की मात्रा महिलाओं के स्वास्थ्य पर सबसे बुरा असर कर रही है और फिर यही असर गर्भपात, समय से पहले बच्चे का जन्म या फिर कुपोषण के रूप में सामने आ रहा है. साथियों, हमें बताएं कि आपके परिवार में अगर कोई गर्भवति महिला या नवजात शिशु या फिर छोटे बच्चे हैं तो उन्हें पीने का पानी देने से पहले किस प्रकार साफ करते हैं? अगर डॉक्टर कहते हैं कि बच्चों और महिलाओं को पीने का साफ पानी दें, तो आप उसकी व्यवस्था कैसे कर रहे हैं? क्या आंगनबाडी केन्द्र, एएनएम और आशा कार्यकर्ता आपको साफ पानी का महत्व बताती हैं? और ये भी बताएं कि आप अपने घर में किस माध्यम से पानी लाते हैं यानि बोरवेल, चापाकल या कुएं और तालाबों से?

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साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?

लू लगने के लक्षण और घरेलू उपचार के साथ साथ सावधानियां और बचाव के तरीके, डॉक्टरी सलाह के साथ गर्मी से निपटने की तैयारियां। क्या आपने भीषण गर्मी यानी लू लगने के ऐसे लक्षण खुद में या अपने परिवार, दोस्त या पड़ोसी में देखे हैं? अगर हाँ, तो आपने या उन्होंने ऐसे में क्या कदम उठाए? भीषण गर्मी से जुड़ी और किस तरह की जानकारी आप सुनना चाहेंगे?

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला झाँसी से विकेश कुमार प्रजापति , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि बारिश होने के बाद भी नहीं मिली गर्मी से राहत। कल रात बुंदेलखंड, छुटपुट मूल में आंधी के बाद भी लोगों को गर्मी से राहत नहीं मिली है और गर्मी बढ़ने से लोग बेचैन हैं, जबकि दोपहर में लोग मजबूरी में काम करने पर मजबूर हो जाते हैं। ये सभी उपाय किए जा रहे हैं और सरकारी प्रशासन भी सभी उपाय करके लोगों को सुविधाएं देने का पूरा प्रयास कर रहा है और आज बिजली आपूर्ति और पानी के संकट जैसी समस्याओं से लोग कई जगहों पर परेशान हैं। और यह स्थिति समस्याग्रस्त हो जाती है जब यह देखा जाता है कि जब लोग लू से परेशान होने के बाद बीमार हो जाते हैं, जब वे बीमार हो जाते हैं, तो वे अस्पताल जाते हैं और वे बड़ी राशि देकर इलाज करवा सकते हैं। आप कितना कमाएँगे, फिर आपको इलाज कहाँ से मिलेगा? यह तब लागू होता है जब गरीब परिवार हर दिन खाते हैं और कमाते हैं। उनके लिए एक बड़ा संकट है।