इस कार्यक्रम में हम जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और असमान बारिश के पैटर्न से उत्पन्न हो रहे जल संकट पर चर्चा करेंगे। "मौसम की मार, पानी की तकरार" से लेकर "धरती प्यासी, आसमान बेपरवाह" जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा। हम समझेंगे कि कैसे सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारे जल संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर क्या समाधान हो सकते हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं – आपके इलाक़े में पानी की क्या स्थिति है? क्या आपने कोई जल संरक्षण के उपाय अपनाए हैं? या आप इस दिशा में कोई क़दम उठाने की सोच रहे हैं?

साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तार केशवरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पेड़ हमारे लिए अनेक प्रकार के फायदे प्रदान करते हैं। वे संसार के वायुमंडल को शुद्ध रखने में मदद करते हैं जो कि ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं और कार्बन डायोक्साइड को अवशोषित करते हैं। इसके अलावा वे हवा को ठंडा भी करते हैं और वायुमंडल के प्रदुषण को कम करने में सहायक होते हैं। पेड़ हमारी मानव जीवन शैली के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उनके फल हमारे भोजन के स्रोत के रूप में काम आते हैं और उनके वृक्ष पत्ते और तने हमे ऊर्जा प्रदान करते हैं ये आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वृक्ष और लकड़ी निर्माण कार्य में उपयोग होता है। पेड़ों के नीचे की मिटटी में अन्य संजीवी जीवों का विविधता होता है जिससे फसलों की उर्वरकता बढ़ती है

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तार केशवरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जलवायु परिवर्तन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे पृथ्वी के जलवायु क्रिया में स्थिरता खत्म हो रही है और मौसमी तथा जलवायु में परिवर्तन हो रही इसकी मुख्य वजह वायु प्रदूषण ,जलवायु उत्सर्जन अन्य जैविक उत्सर्जन हैं। यह परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग के रूप में दिखाई देता है। इसमें पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होती है और इससे जलवायु के प्रभाव भी बदल जाते हैं उच्चतर तापमान के कारण बर्फ के पिघलाव समुन्द्री तटों की कटाव और विप्लव आकार में बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाओं के खतरे बढ़ जाते हैं । इस परिवर्तन का सीधा प्रभाव मानव समुदायों पर होता है जैसे कि खाद्य सुरक्षा ,पानी की आपूर्ति ,स्वास्थ्य और निवास की स्थिति पर विशेष रूप से उन समुदायों पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है जो पर्यावरण पर अधिक निर्भर रहते हैं जैसे कि कृषि और निर्माण क्षेत्र इस समस्या का समाधान ग्लोबल स्तर पर संयुक्त प्रयास के बिना सम्भव नहीं है। विशेष रूप से सौर ऊर्जा और संचयन तथा सड़क निर्माण परिवहन में परिवर्तन करने से ही हम इन चुनौतियों का समाधान पा सकते हैं

पेड़ो से हमें क्या फ़ायदा होता है

प्रकृति और पर्यावरण मानव जीवन का आधार-श्रीनारायण त्रिपाठी राष्ट्रीय सेवा योजना का साप्ताहिक शिविर खजनी गोरखपुर।। प्रकृति और पर्यावरण मानव जीवन का मूल आधार है, आज विकास की अंधी दौड़ में इंसानों द्वारा प्रकृति और पर्यावरण का दोहन किया जा रहा है, और दुरुपयोग किया जा रहा है जो कि पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है। इसके कारण अनेक भौगोलिक एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। भौगोलिक समस्याओं में खनन से भूस्खलन,भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। साथ ही जल प्रदूषण,वायु प्रदूषण,ध्वनि प्रदूषण से आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है। वीर बहादुर सिंह पीजी कॉलेज हरनहीं महुरांव में चल रहे राष्ट्रीय सेवा योजना के साप्ताहिक शिविर के चौथे दिन बौद्धिक सत्र को संबोधित करते हुए उक्त विचार भुगोल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रवक्ता श्रीनारायण त्रिपाठी ने व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि मानव स्वास्थ्य से संबंधित सभी समस्याओं में प्रदूषणों का विशेष योगदान है। इन सभी समस्याओं को रोकने के लिए युवाओं को आगे आना होगा तथा मूल प्राकृतिक संसाधनों की ओर बढ़ना होगा। अपने जीवन को प्राकृति के नजदीक रख कर जीवन यापन करना होगा। यदि मानव इसी तरह से कृत्रिम जीवन जीने की होड़ में तकनीकी विकास,मोटर गाड़ी,कल कारखाने जैसे संसाधन विकसित करता रहा तो निश्चित रूप से इंसानों का पृथ्वी पर जीवित रहना कठिन हो जाएगा। उन्होंने बताया कि आज अनेक जीव जंतु विलुप्त होते जा रहे हैं। जो कि एक प्राकृतिक पारिस्थितिकी के संकट के रूप में दिखाई दे रहा है। हम प्रकृति को जितना कम प्रभावित करेंगे उतनी ही समस्याएं कम होंगी और जितना ही अधिक प्रभावित करेंगे उतनी ही विकराल समस्याएं उत्पन्न होंगी। इस अवसर पर कार्यक्रम प्रभारी डॉक्टर पुष्पा पांडेय,अरुण कुमार नायक,युसूफ आजाद ने भी संबोधित किया और पर्यावरण के संबंधी में विस्तृत जानकारी दी। बौद्धिक सत्र में प्राध्यापक सुमंत मौर्य,शैलेंद्र कुमार,वीरेंद्र सिंह,रोली सिंह,अरुण सिंह,राजन आदि लोग भी उपस्थित रहे। बौद्धिक कार्यक्रम में महाराणा प्रताप,क्षत्रपति शिवाजी और वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई इन तीनों इकाइयों के स्वयंसेवक विद्यार्थी मौजूद रहे।

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