उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राज किशोरी सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि दुनिया भर में आर्थिक समानता में महिलाओं की संख्या 58 प्रतिशत है, लेकिन पुरुषों के बराबर आने में उन्हें अभी भी सदियां लग जायेंगीं । जब महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता और अचल संपत्ति के अधिकार देने की बात आती है तो हम दुनिया में सबसे नीचे आते हैं। ऐसा क्यों है कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में महिलाओं को भूमि का अधिकार नहीं है, जबकि कानून महिलाओं को संपत्ति पर पुरुषों के समान अधिकार देने की अनुमति देता है?

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तीन साल में गायब हुईं 13 लाख लड़कियां-महिलाएं, मध्य प्रदेश से सबसे ज्यादा, यह बात सरकार ने संसद में बताई है। देश में लड़कियों और महिलाओं के गायब होने के लेकर हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। 2019 से 2021 के बीच के इन आंकड़ों को सरकार ने संसद में पेश किया है और सदन में बताया है कि किस राज्य में कितनी लड़कियां-महिलाएं गायब हुई हैं। देश में लड़कियों और महिलाओं के गायब होने का सिलसिला थम नहीं रहा है। अलग-अलग राज्यों में हर साल हजारों की संख्या में लड़कियां और महिलाएं लापता हो रही हैं। ये कहां जा रही है, क्या कर रही है, इनके साथ क्या हो रहा है यह किसी को नहीं पता है। पिछले हफ्ते संसद में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इन्हीं से जुड़े कुछ आंकड़े पेश किए गए हैं, जो यह बताते हैं कि 2019 से 2021 के बीच तीन साल में पूरे देश में 13.13 लाख से अधिक लड़की और महिलाएं गायब हुई हैं। सरकार की ओर से संसद में दी गई जानकारी के अनुसार लापता होने वालों में 10,61,648 लड़कियों और महिलाओं की उम्र 18 साल से अधिक थी जबकि 2,51,430 की उम्र 18 साल से कम रही है। लड़कियों के लापता होने के मामले में मध्य प्रदेश पहले स्थान पर जबकि पश्चिम बंगाल दूसरे नंबर पर है। सूची में राजधानी दिल्ली का भी नाम शामिल हैं। गायब होने के मामले में ओडिशा, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर राज्य भी पीछे नहीं देश के बाकी केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में दिल्ली में सबसे अधिक लड़कियां गायब हुई हैं। सरकार ने संसद में बताया है कि देशभर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई पहल की गई है। जिसमें यौन अपराधों को रोकने के लिए पहले के कानूनों में संशोधन कर उन्हें और कठोर बनाया गया है। इसके साथ-साथ 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ रेप की घटना में दोषी को मृत्यूदंड समेत और कई कठोर दंडात्मक प्रावधान भी तय किए गए हैं। महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से दुनियां भर के देशों में 1.नॉर्वे 2.फिनलैंड 3. आइसलैंड 4.डेनिश 5.लक्जमबर्ग 6.सिंगापुर 7.स्वीडन 8.ऑस्ट्रिया 9.यूनाइटेड किंगडम (इंग्लैंड) 10. नीदरलैंड इस सूची में शामिल हैं। वहीं 170 देशों की इस सूची में वर्ष 2021 में भारत 148वें स्थान पर रहा है। साथियों अहम प्रश्न यह है कि देश की जनता को जाति धर्म के आधार पर बांटने के प्रयास में लगा विपक्ष भी इन मौलिक मुद्दों पर कोई बहस नहीं करता। परिवार की माताओं बहनों, बहूओं और बेटियों अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस्तेमाल करने वाला विपक्ष इस मुद्दे पर खामोश रहता है। जबकि लैंगिक भेदभाव समेत तमाम दुश्वारियों और झंझावातों का सामना करते हुए भी देश की महिलाएं लगातार अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए पुरूषों को आइना दिखाने में लगी हुई हैं। एक ऐसा महाबली पुरुष समाज जो कि महिलाओं को इस्तेमाल तो करता है किन्तु उन्हें उनके हक़, बराबरी और सुरक्षा नहीं देता। आप को बता दें कि अभी पेरिस में चल रहे विश्व ओलंपिक 2024 में देश के लिए पहला कांस्य पदक जीतने वाली मनु भाकर ने रविवार को 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग के महिला वर्ग के फ़ाइनल में तीसरा स्थान पाया है। 145 करोड़ की आबादी वाले अपने देश को यह गौरव दिलाने वाली एक महिला ही है। विकसित राष्ट्र बनने का सपना देख रहे अपने देश को सबसे पहले महिलाओं के साथ हो रहे सभी प्रकार के भेदभाव को मिटाना होगा उन्हें बराबरी का दर्जा देने के साथ ही उनकी निजता का सम्मान करते हुए आगे बढ़ने का हर अवसर देना होगा और इसकी पहली शुरुआत देश के हर नागरिक को करनी होगी। साथियों मोबाइल वाणी का मानना है कि "बोलेंगे तो बदलेगा" इसलिए यह विचार और सुझाव आप को कैसा लगा हमें जरूर बताएं।

हर व्यक्ति स्वस्थ्य और सेहतमंद रहने के बाद अपने रूप रंग और साज सज्जा पर विशेष ध्यान देता है। महिलाएं हों या पुरुष खुद को अप टू डेट रखना समय की मांग है, इस दिशा में कैरियर बनाने और कौशल विकास की बेशुमार संभावनाएं हैं। यह बातें आज क्षेत्रीय विधायक प्रदीप शुक्ला ने खजनी कस्बे में स्थित ग्लैम अप ब्यूटी पार्लर सैलून और ट्रेनिंग सेंटर के उद्घाटन के अवसर पर कहीं वैदिक मंत्रों के साथ पूजन के बाद फीता काट कर शुभारंभ करते हुए उन्होंने बताया कि टेक्निकल,मेहनत,मजदूरी, खेती और पशुपालन के काम न हों तो आॅफिस,बैंकिंग आदि सेक्टर में हमारा फिजिकल फिटनेस और लुक अर्थात सुंदर दिखना बहुत महत्व रखता है। सेंटर के प्रबंधक अनंत मिश्रा ने बताया कि ट्रेनिंग सेंटर में एक महीने से लेकर 6 महीने तक प्रशिक्षण कोर्स हैं। जिसमें मेकअप, हेयर स्टाइल, मेंहदी और स्किन (त्वचा) से संबंधित विभिन्न पार्लर के कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाएगा कोर्स पूरा होने पर उसका सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा साथ ही साथ सेंटर में नियमित रूप से पार्लर से जुड़ी सभी प्रकार की सेवाएं उपलब्ध होंगी। बहनें और बेटियां ट्रेनिंग लेकर आत्मनिर्भर बन सकती हैं। इस अवसर पर विधायक के साथ पिपरौली ब्लॉक के प्रमुख दिलीप यादव भाजपा मंडल अध्यक्ष राम प्रकाश चौरसिया, दिलीप शुक्ला, उदय नारायण, आनंद नारायण, सुरेश शुक्ला, विपिन पांडेय, मनीष वर्मा, अंकिता शुक्ला,अंजली मिश्रा, सचिन गुप्ता, विवेक चतुर्वेदी समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।

वन क्षेत्राधिकारी ने सुरक्षित रेस्क्यू का निर्देश दिए गोरखपुर जिले की खजनी तहसील क्षेत्र के कस्बा संग्रामपुर उनवल नगर पंचायत के वार्ड संख्या-3 टेकवार में गुरुवार को देर शाम हो रही मूसलाधार बारिश के दौरान गोह सरीसृप जीव का बच्चा मिला जिसे देखकर स्थानीय लोग दहशत में आ गए। पहले वह संगम तिवारी के घर के समीप नजर आया फिर वाचनालय की तरफ। बड़ी छिपकली या गिरगिट की तरह नजर आ रहे इस जीव को देख कर लोग उसे पहचान नहीं पाए। कुछ लोग उसे मगरमच्छ समझ बैठे तो कुछ ने डायनासोर का बच्चा बताया, उसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई। इस दौरान वन क्षेत्राधिकारी बांसगांव राजेश श्रीवास्तव को व्हाट्स एप पर उसकी फोटो भेज कर जानकारी मांगी गई। वन क्षेत्राधिकारी ने बताया कि गोह से घबराने की जरूरत नहीं है, अभी बारिश हो रही है सबेरे उसे रेस्क्यू करके सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया जाएगा।

गोरखपुर जिले के सिकरीगंज कस्बे के समीप स्थित कुंआंनों नदी में तैरते हुए मगरमच्छ को देख कर लोगों में दहशत फैल गई। वर्षों से कुंआंनों नदी में किसी को मगरमच्छ नहीं दिखाई दिया था। नदी के पानी में मछलियां पकड़ने पहुंचे मछुआरों ने जैसे ही पानी में तैरते हुए मगरमच्छ को देखा तो मोबाइल फोन से उसकी वीडियो भी बना ली। नदी में मगरमच्छ मिलने की जानकारी मिलते ही यह खबर क्षेत्र में जंगल के आग की तरह फ़ैल गई है। दरअसल कुंआंनों नदी के पानी में प्रायः बच्चे और युवा स्नान करने के लिए पहुंचते हैं, वहीं दिन हो या रात मछुआरे बेखौफ होकर नदी में मछलियां पकड़ने में लगे रहते हैं। पहली बार नदी के पानी में लोगों को मगरमच्छ दिखाई दिया है। स्थानीय लोगों में तबरेज, संतोष, हिमांशु, राहुल, विवेक मौर्या, सुधीर शर्मा,असलम, जावेद रमेश आदि ने बताया कि नदी में बाढ़ आई है पानी लबालब भर चुका है। पहली बार नदी के पानी में मगरमच्छ दिखाई दिया है, अब हम सभी को सतर्क रहना होगा।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से ताराकेश्वरी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं की उमस भरी गर्मी से नहीं मिल रहा राहत।भारत में, गर्मियों का मौसम अक्सर आर्द्र और अत्यधिक तापमान के साथ होता है, जिससे लोगों को कई समस्याएं होती हैं। यह गर्मियों की औपचारिकता और राहत के लिए व्यक्तिगत स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। गर्मियों के इस समय में, लोगों को कई समस्याओं का ध्यान रखना पड़ता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उमस भरी गर्मी से राहत नहीं मिल रही है, गर्मी का समय सभी के लिए कठिन होता है लेकिन जब यह बहुत अधिक हो जाता है तो यह सामान्य गर्मी होती है। इस प्रकार की आर्द्र गर्मी से राहत पाना मुश्किल हो सकता है, और इसे दूर करने के लिए, एक व्यक्ति को नियमित रूप से पानी और बॉडी कूलर पीना चाहिए। कपड़े पहनने चाहिए लंबे समय तक धूप के संपर्क में रहने से बचें व्यायाम और शारीरिक गतिविधि गर्मियों के दौरान सुबह या शाम को की जानी चाहिए जब हवा ठंडी हो। ठंडे पानी से नहाने से भी राहत मिलती है। जब आप अपने शरीर को ठंडा करते हैं, तो यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है। गर्मी को मात देने के लिए ये सरल कदम उठाएँ।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या है जलवायु परिवर्तन मौसम के स्वरूप में परिवर्तन का कारण बन रहा है। जलवायु परिवर्तन का कृषि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिससे अधिक तीव्र सूखा पड़ रहा है। बदलते मौसम के कारण फसल की पैदावार कम हो रही है, और जहां खाद्य सुरक्षा खतरे में है, वहीं स्वास्थ्य पर भी असर दिखाई दे रहा है। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव केवल प्राकृतिक पर्यावरण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक प्रणालियों पर भी पड़ता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि अधिक गर्मी पड़ने से अस्पतालो मे मरीजों की संख्या बढ़ी गई है। अस्पतालों में बढ़ती भीड़ ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर दबाव बढ़ा दिया है। आपातकालीन वार्डों में बिस्तरों की कमी हो रही है और दवाओं की मांग बढ़ रही है। अस्पताल प्रबंधक को इन स्थितियों से निपटने के लिए अतिरिक्त उपाय करने होते हैं, जैसे कि अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति, आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार और जागरूकता बढ़ाना। अभियानों के माध्यम से जनता को सचेत करना सरकार और स्वास्थ्य विभाग को लोगों को अत्यधिक गर्मी से खुद को बचाने के तरीके बताने चाहिए जैसे कि पर्याप्त पानी पीना, घर के अंदर रहना, हल्के कपड़े पहनना और धूप में स्नान करना।