नमस्कार दोस्तों , मैं मोबाइल के साथ संत कविनगर का आलोक बलवाल हूँ , रिक्शा और कार आमने - सामने टकरा गए और रिक्शा चालक की मौत हो गई । यह पूरी घटना धनांगता सीकरी रोड पर बख्ता तुलसीपुर के पास हुई । कार को संसन त्रिपाठी के बेटे विजय शंकर त्रिपाठी चला रहे थे , जब एक अनियंत्रित कार ने इसे टक्कर मार दी । दुर्घटना में चालक घायल हो गया , जिसके बाद आसपास के लोग जमा हो गए और पुलिस को इसकी सूचना दी गई , जहां पुलिस ने घायलों को एम्बुलेंस के माध्यम से अस्पताल भेज दिया ।

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भारत में शादी के मौकों पर लेन-देन यानी दहेज की प्रथा आदिकाल से चली आ रही है. पहले यह वधू पक्ष की सहमति से उपहार के तौर पर दिया जाता था। लेकिन हाल के वर्षों में यह एक सौदा और शादी की अनिवार्य शर्त बन गया है। विश्व बैंक की अर्थशास्त्री एस अनुकृति, निशीथ प्रकाश और सुंगोह क्वोन की टीम ने 1960 से लेकर 2008 के दौरान ग्रामीण इलाके में हुई 40 हजार शादियों के अध्ययन में पाया कि 95 फीसदी शादियों में दहेज दिया गया. बावजूद इसके कि वर्ष 1961 से ही भारत में दहेज को गैर-कानूनी घोषित किया जा चुका है. यह शोध भारत के 17 राज्यों पर आधारित है. इसमें ग्रामीण भारत पर ही ध्यान केंद्रित किया गया है जहां भारत की बहुसंख्यक आबादी रहती है.दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आप क्या सोचते है ? और इसकी मुख्य वजह क्या है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ? *----- और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

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