जन्म से आठ साल की उम्र तक का समय बच्चों के विकास के लिए बहुत खास है। माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है। आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है?
आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे लोन लेने के विषय में किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
दोस्तों, मोबाइलवाणी के अभियान क्योंकि जिंदगी जरूरी है में इस बार हम इसी मसले पर बात कर रहे हैं, जहां आपका अनुभव और राय दोनों बहुत जरूरी हैं. इसलिए हमें बताएं कि आपके क्षेत्र में बच्चों को साफ पानी किस तरह से उपलब्ध हो रहा है? क्या इसमें पंचायत, आंगनबाडी केन्द्र आदि मदद कर रहे हैं?आप अपने परिवार में बच्चों को साफ पानी कैसे उपलब्ध करवाते हैं? अगर गर्मियों में बच्चों को दूषित पानी के कारण पेचिस, दस्त, उल्टी और पेट संबंधी बीमारियां होती हैं, तो ऐसे में आप क्या करते हैं? क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से बच्चों का इलाज संभव है या फिर इलाज के लिए दूसरे शहर जाना पड रहा है? जो बच्चे स्कूल जा रहे हैं, क्या उन्हें वहां पीने का साफ पानी मिल रहा है? अगर नहीं तो वे कैसे पानी का इंतजाम करते हैं?
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
यह कार्यक्रम मौसम में आ रहे बदलावों और उनसे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने वाले प्रभावों पर केंद्रित है। इसमें बारिश के अनिश्चित पैटर्न से उत्पन्न चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में यह भी बताया जाएगा कि कैसे ये बदलाव किसानों से लेकर शहरी नागरिकों तक, सभी के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। आपने और आपके आसपास के लोगों ने बदलते बारिश के पैटर्न के बारे में क्या अनुभव किया है? क्या आपको या आपके जानने वालों को इससे कोई चुनौती झेलनी पड़ी है?
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ अशोक झा ऑर्गेनिक खेती यानी प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसकी पूरी जानकारी सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
लोग कहते हैं की इतनी दोस्ती मत करो, के दोस्त दिल पर सवार हो जाए, में कहता हूं दोस्ती इतनी करो के, दुश्मन को भी तुम से प्यार हो जाए….! साथियों दोस्ती जीवन के सबसे अनमोल बंधनों में से एक है. यह रिश्ता खून का न होते हुए भी बढ़-चढ़कर साथ निभाता है. दुनिया में यह इकलौता ऐसा रिश्ता है जो बच्चा मां की पेट से बाहर आने के बाद बनाता हैं। इसके अलावा लगभग सभी रिश्ते पहले से ही तैयार होते है। एक अच्छा दोस्त मिलना भी किसी आशीर्वाद से कम नहीं होता है।वैसे तो दोस्ती को सेलिब्रेट करने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नहीं है. फिर भी इस दिन को और खास बनाने के लिए हर साल अगस्त महीने के पहले इतवार को फ्रेंडशिप-डे मनाया जाता है. फ्रेंडशिप-डे मनाने के पीछे की खास वजह ‘दोस्ती के महत्व का समझना’ है. चूंकि यह खास दिन दोस्ती को समर्पित है. इस दिन हर कोई अपने खास दोस्त के साथ एंजॉय करता है. साथियों... आप सभी को मोबाइल वाणी परिवार की और से फ्रेंडशिप-डे की हार्दिक शुभकामनाएं .
क्या आप जानते है कि गुस्से से नहीं बल्कि शांत रहकर ही हम बच्चे का व्यवहार सही रख सकते है। धैर्य से काम लेंगे तो हमारे साथ बच्चों का रिश्ता मीठा होता चला जाएगा। कार्यक्रम सुनिए और अपने नन्हे-मुन्नों के अनुभवों को रिकॉर्ड कीजिये, फ़ोन में नंबर 3 दबाकर।
भूमि का मालिकाना हक़ महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में सहायता करता है। वे खेती कर सकती हैं, फसल उगा सकती हैं और बेच सकती हैं, या जमीन को पट्टे पर देकर आय प्राप्त कर सकती हैं। इससे उन्हें अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने और वित्तीय सुरक्षा हासिल करने में मदद मिलती है।भूमि पर अधिकार होने से महिलाओं को अपने जीवन और भविष्य के फैसले लेने की शक्ति मिलती है। वे यह तय कर सकती हैं कि जमीन का इस्तेमाल कैसे किया जाए, क्या फसल उगाई जाए और आय का कैसे प्रबंधन किया जाए। इससे उनका सामाजिक दायरा बढ़ता है और परिवार में उनकी स्थिति मजबूत होती है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को खत्म करने के लिए, जागरूकता बढ़ाने और सामाजिक रीति-रिवाजों में बदलाव लाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने में पुरुषों और लड़कों की भूमिका क्या होनी चाहिए ? *----- महिलाओं के लिए सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने में मीडिया और नागरिक समाज क्या भूमिका आप देखते हैं?
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...