जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से मनुष्यों के कारण होता है। समानांतर जलवायु परिवर्तन कई वर्षों से धीरे-धीरे हो रहा है, लेकिन आज मनुष्यों द्वारा पेड़ों की कटाई और वनों की कटाई के कारण, जो कि जलवायु परिवर्तन बहुत प्रभावित कर रहा है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से विजय पाल चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वनों के क्षेत्र में कमी के कारण वर्षा की मात्रा कम हो रही है। वनो की सहायता से ही वातावरण अनुकूल होता है और वर्षा होती है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से विजय पाल ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि मनुष्य जंगल काट कर इससे मिले लकड़ियों का बहुत लाभ उठा रहा है ।लकड़ियों से वस्तु बनाए जा रहे है ,जला कर खाना पकाया जा रहा है ,मकान बनाने के उपयोग के लिए जंगलों की कटाई हो रही है। जंगलों की कटाई होगी तो वायु शुद्ध कैसे होगा। अगर पेड़ कटा जाएगा तो उसके हिसाब से पेड़ लगाया भी जाए। जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पेड़ पौधे बहुत ज़रूरी है

गर्मी से बचने के लिए सभी जरुरी कदम उठाने होंगे | बिजली का जरुरत से ज्यादा इस्तेमाल ना करें, पानी का सही इस्तेमाल करें और जब तक ज़रूरी ना हो, घर से बाहर धुप में ना निकले |

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि हरे पेड़ काटने से जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वायु का अभाव हो जाता है जिससे जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ता है। वृक्ष जलवायु नियंत्रण में सहायक होते है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से रमजान अली ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि पर्यावरण के लिए पेड़ों की कटाई रोकनी चाहिए ।ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा जिम्मेवार पेड़ों की कटाई है। इसीलिए पेड़ों की कटाई रोकनी ज़रूरी है। जिस तरह पेड़ों का कटाई किया जा रहा है लेकिन उस के मुकाबले पेड़ों को लगाया नहीं जा रहा है

हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

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विश्व वन्यजीव दिवस जिसे आप वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे के नाम से भी जानते है हर साल 3 मार्च को मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य है की लोग ग्रह के जीवों और वनस्पतियों को होने वाले खतरों के बारे में जागरूक हो इतना ही नहीं धरती पर वन्य जीवों की उपस्थिति की सराहना करने और वैश्विक स्तर पर जंगली जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य या दिवस मनाया जाता है.विश्व वन्यजीव दिवस के उद्देश्य को पूरा करने के लिए है हर वर्ष एक थीम निर्धारित की जाती है जिससे लोगो में इसके प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूकता को बढ़ावा मिले . हर वर्ष की तरह इस वर्ष 2024 का विश्व वन्यजीव दिवस का थीम है " लोगों और ग्रह को जोड़ना: वन्यजीव संरक्षण में डिजिटल नवाचार की खोज" है। "तो आइये इस दिवस पर हम सभी संकल्प ले और वन्यजीवों के सभी प्रजातियों और वनस्पतियों के संरक्षण में अपना योगदान दे।

किसानों के लिए सिरदर्द बन गए छुट्टा मवेशी