उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से रमजान अली ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जगह जगह महिलाओं के साथ उत्पीड़न हो रहा है। सबसे बड़ा कष्ट हो गया है दहेज़ प्रथा। इसके प्रति समाज को गहन विचार करना होगा और लैंगिक समानता के प्रति जागरयक होना होगा

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से विजय पाल चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि शिक्षित लोग भी समाज में कुरीतियों को बढ़ावा देते हैं। ये जानते हुए भी दहेज़ प्रथा, व लैंगिक भेदभाव का साथ देते है। साथ ही उन्होंने कहा कि लड़के और लड़कियों को एक समान अधिकार मिलना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से विजय पाल चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि दहेज़ प्रथा आज कल एक अभिशाप बन गया है। दहेज़ के कारण कितनी लड़कियों की शादी नहीं हो पाती है। महिला हिंसा का मुख्य कारण भी दहेज़ प्रथा ही है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से रमजान अली ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि दहेज़ प्रथा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है ।जिससे घर में लड़की है ,उनके लिए दहेज़ इक्कठा करने में मुश्किल होता है। बच्चियों को पढ़ा तो रहे है पर समस्या आ रही है दहेज़ पर। देहज प्रथा के प्रति अब लोगों को जागरूक होना ज़रूरी है

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि बेटों की इच्छा में अक्सर यह देखा जाता है कि महिलाओं के सामाजिक और विकसित जीवन से महिलाओं का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है। इससे भी बदतर, कई मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसी महिलाएं लंबे समय तक पिछले दुर्व्यवहार का शिकार हो जाती हैं, खुद को दोषी मानना शुरू कर देती हैं। ऐसा लग रहा था कि इससे अंधविश्वास भी बढ़ेगा।

बेटों की चाह में बार-बार अबॉर्शन कराने से महिलाओं की सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव लाइफ पर भी बुरा असर पड़ता है। उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी खराब होने लगती है। कई मनोवैज्ञानिको के अनुसार ऐसी महिलाएं लंबे समय के लिए डिप्रेशन, एंजायटी का शिकार हो जाती हैं। खुद को दोषी मानने लगती हैं। कुछ भी गलत होने पर गर्भपात से उसे जोड़कर देखने लगती हैं, जिससे अंधविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि * -------आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? * -------भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा के आपको क्या सम्बन्ध नज़र आता है ?

दहेज में परिवार की बचत और आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता है. वर्ष 2007 में ग्रामीण भारत में कुल दहेज वार्षिक घरेलू आय का 14 फीसदी था। दहेज की समस्या को प्रथा न समझकर, समस्या के रूप में देखा जाना जरूरी है ताकि इसे खत्म किया जा सके। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आपके क्या विचार है ? *----- आने वाली लोकसभा चुनाव में दहेज प्रथा क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से सकीना ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि भारत में दहेज़ प्रथा एक विकट समस्या है । शोधकर्ताओं ने ग्रामीण भारत की चालीस हजार शताब्दियों का अध्ययन किया।उन्होंने पाया कि पंचानबे फ़ीसदी सदियों में दहेज़ दिया गया। यह शोध 17 राज्यों में आधारित है जिससे पता चलता है कि यह प्रथा एक विकराल रूप धारण कर चुकी है। इससे दूर करना ज़रूरी है। दहेज़ एक ऐसी कुप्रथा है जो लड़की के जन्म को अभिशाप बना दिया है

भारत में शादी के मौकों पर लेन-देन यानी दहेज की प्रथा आदिकाल से चली आ रही है. पहले यह वधू पक्ष की सहमति से उपहार के तौर पर दिया जाता था। लेकिन हाल के वर्षों में यह एक सौदा और शादी की अनिवार्य शर्त बन गया है। विश्व बैंक की अर्थशास्त्री एस अनुकृति, निशीथ प्रकाश और सुंगोह क्वोन की टीम ने 1960 से लेकर 2008 के दौरान ग्रामीण इलाके में हुई 40 हजार शादियों के अध्ययन में पाया कि 95 फीसदी शादियों में दहेज दिया गया. बावजूद इसके कि वर्ष 1961 से ही भारत में दहेज को गैर-कानूनी घोषित किया जा चुका है. यह शोध भारत के 17 राज्यों पर आधारित है. इसमें ग्रामीण भारत पर ही ध्यान केंद्रित किया गया है जहां भारत की बहुसंख्यक आबादी रहती है.दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आप क्या सोचते है ? और इसकी मुख्य वजह क्या है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ? *----- और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

Transcript Unavailable.